अवधी काव्य संग्रह चितैरयि अवधी कयि के विमोचन मौके पर कवि सम्मेलन आयोजित हुआ 

शमीम अंसारी बाराबंकी एसएम न्युज24 टाइम्स बाराबंकी

हैदरगढ़, बाराबंकी। अवधी मधुरस कला समन्वय समिति द्वारा अवधी काव्य संग्रह चितैरयि अवधी कयि के विमोचन समारोह के द्वितीय सत्र में कवि सम्मेलन आयोजित हुआ। शिक्षाविद् माता प्रसाद अवस्थी की अध्यक्षता में आयोजित कवि सम्मेलन के मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार इन्द्र बहादुर सिंह भदौरिया इन्द्रेश  रहे। प्रवीण त्रिपाठी के संचालन में कार्यक्रम की शुरुआत संत प्रसाद जिज्ञासु ने मां सरस्वती की वाणी वंदना से की। तत्पश्चात हास्य व्यंग के कवि सुनील वाजपेयी शिवम् ने गीत भरा जोश जज्बातों में लिए लेखनी हाथों में,शब्दाध्वनि की मन: रोशनी का दीप जलाने निकले हैं तथा वर्तमान परिवेश को नदी कुआं नारा झाड़ी तौ आम भरम है,भूत पतियन कै आजु सीमेंट अउर डरम है जैसे मुक्तकों से रेखांकित किया। लखनऊ के वरिष्ठ साहित्यकार डॉ सत्यदेव प्रसाद द्विवेदी पथिक ने जेब मा कंघी बुढ़ऊ दिवाने,मुस्काय ठुंठवा ठाढ़ि सिवाने रितुपति कै गति केउ ना जाने गीत सुनाकर मंत्र मुग्ध कर दिया।डा विद्या सागर मिश्र सागर ने मां को समर्पित महतारी पियारु करै हमका,दिनु राति हमैं कनिया मां खिलावै अंचरा म छुपाय कै दूध पियावै जैसे छंदोंबद्ध कविताएं सुनाईं। कृष्ण कुमार द्विवेदी राजू भैया ने अपना सुप्रसिद्ध लाडली गीत सुनाया तो रायबरेली के शिवकुमार सिंह शिव ने गांव पर आधारित अवधी गीत है बदला हमारु गांउ धीरे-धीरे बदलत अहै सुभाउ धीरे-धीरे सुनाकर वाहवाही बटोरी। दुर्गा शंकर वर्मा दुर्गेश ने अम्मा हम हन बिटिया तुम्हारि,कोख मइहां मत मारो से भ्रूणहत्या जैसी विसंगति पर गीत सुनाया। कवियत्री सुधा सिंह सुधा मिथिला में हो रही तैयारी खुश रहे बिटिया हमारी गीत तथा आई हो दादा कईसन चाचा कै चरित्र बा,रोज रोज पार्टी बदलै रोज रोज रुठत बा जैसे राजनीतिक व्यंग्य सुनाकर शमां बांध दिया। दिलीप सिंह दीपक ने ठण्ढी चालीसा सुनाकर श्रोताओं को भाव विभोर किया। अमेठी से पधारे सुशील पांडेय ने किसानों का दर्द धरती सपूतन के पूंछौ नहीं हाल कुछ बरिषा कबौ तौ कबौ सूखा झेलि रहे जैसी पंक्तियों के माध्यम से उकेरा। इन्द्र बहादुर सिंह भदौरिया इन्द्रेश ने केतनौ रावण मारौ भइया रावण कबहूं न मरी तथा पता नहीं तुम जीहौ कब तक बैठे पहुड़े खइहौ कब तक जैसी समसामयिक विषयों पर कविताएं सुनाईं।डा कण्व कुमार मिश्र इश्क सुल्तानपुरी ने हेरत हेरत अंधियार भवा जागत जागत भिनसार भवा देखा देखी दुई चार भवा तौ हमका उनसे प्यार भवा जैसे श्रंगारिक ग़ज़लों से ओत-प्रोत किया। ज्ञानेंद्र पाण्डेय अवधी मधुरस ने वियोग गीत बीतलि दिनवां न बीतलि रतिया, काहे सजनु नाहीं भेजलि पतिया से विभोर किया तो वेद प्रकाश सिंह प्रकाश ने कलयुगी पिता पुत्र के द्वंद्व का चित्रण करती कविता काहे क अत्ता जियादा नर्राय रहेव बप्पा,बैठेन तौ रहत तब्बूउ टर्राय रहेव बप्पा से किया।

इसके अलावा सौरभ वर्मा स्माइल, सत्यनाम केवट प्रेमी, कृष्ण कुमार सिंह कान्ह,एस पी सिंह चौहान व प्रवीण त्रिपाठी आदि कवियों ने अपनी कविताओं से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।

इससे पूर्व सभी आगंतुक कवियों साहित्यकारों को आयोजकों ने अंगवस्त्र व फूल मालाओं से स्वागत किया तथा अवधी गौरव सम्मान से सम्मानित किया।शमीम अंसारी बाराबंकी एसएम न्युज24 टाइम्स बाराबंकी

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