सऊदी अरब गिरती अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए सख़्त उपाय अपनाने पर मजबूर, भारत पर इसका असर, बिन सलमान से कहां हुयी चूक!!
सऊदी अरब कोरोना वायरस पेन्डेमिक के आर्थिक असर से निपटने के लिए कठोर उपाय अपनाने जा रहा है।
सऊदी अरब के वित्त मंत्री ने शनिवार को कहा कि इस संकट से निपटने के लिए सभी विकल्प खुले हैं। मोहम्मद अलजदान ने शनिवार को अलअरबिया टीवी चैनल से इंटरव्यू में कहाः “हमें बजट ख़र्चे को बहुत तेज़ी से कम करना होगा।” उन्होंने यह भी कहा कि नए कोरोना वायरस कोविड-19 का सऊदी अरब के वित्त पर असर दूसरी तिमाही से ज़ाहिर होने लगेगा।
सऊदी अरब में काम करने वाले लाखों भारतीयों की नौकरी भी ख़तरे में पड़ सकती है।
सऊदी वित्त मंत्री ने कहाः “सऊदी वित्त के क्षेत्र में और सुधार की ज़रूरत है और यह रास्ता लंबा है।” उन्होंने कहा कि एक उपाय जो अपनाया जाएगा वह ख़र्च को कम करने के लिए महा परियोजनाओं सहित सरकारी परियोजनाओं की रफ़्तार को धीमी करना है।
सऊदी अरब का केन्द्रीय बैंक का रिज़र्व मार्च में पिछले 20 साल की तुलना में सबसे तेज़ी से गिरा और यह, 2011 के सबसे निचले स्तर तक पहुंच गया। सऊदी अरब को तेल की क़ीमत गिरने से 9 अरब डॉलर के बजट घाटे का सामना है।
सऊदी वित्त मंत्री मोहम्मद अलजदान ने पिछले महीने कहा था कि रियाज़ को इस साल 26 अरब डॉलर क़र्ज़ लेना पड़ सकता है, जबकि वह बजट घाटे को पूरा करने के लिए विदेशी रिज़र्व से 32 अरब डॉलर निकालेगा।
पर्यवेक्षक, सऊदी अरब की गिरती अर्थव्यवस्था के लिए यमन ज़ंग को बहुत बड़ा कारण मानते हैं। यमन जंग का सऊदी अरब की अर्थव्यवस्था पर बहुत बुरा असर पड़ा है। मोहम्मद बिन सलमान ने युवराज बनते ही, यमन पर हमला शुरु किया।