किसी भी स्थिति में प्रस्ताव 2231 का उल्लंघन स्वीकार नहीं करेंगेः रूहानी की वाॅर्निंग
समाचार एजेंसी न्यूज़ एसएम न्यूज़ के साथ
राष्ट्रपति रूहानी ने कहा है कि उन्होंने गुट चार धन एक के राष्ट्राध्यक्षों को पत्र लिख कर स्पष्ट कर दिया है कि अगर ऐसा हुआ तो हम भी वैसा करेंगे और वे भी जानते हैं कि अगर हम ऐसी ग़लती करेंगे तो उनके लिए उसके कितने बुरे परिणाम सामने आएंगे।
डाॅक्टर हसन रूहानी ने बुधवार को मंत्रीमंडल की बैठक में कहा कि 7 मई को ईरान के ख़िलाफ़ एक अत्याचारी सरकार की ओर से अभूतपूर्व दबाव शुरू होने का दिन है। दो साल पहले इसी दिन अमरीका, सभी अंतर्राष्ट्रीय क़ानूनों और संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव का उल्लंघन करते हुए परमाणु समझौते से निकल गया था। उन्होंने ईरान के ख़िलाफ़ अमरीका के षड्यंत्रों की तरफ़ इशारा करते हुए कहा कि परमाणु समझौते से निकलने के बाद वह सोच रहा था कि हम भी तुरंत इस समझौते से निकल जाएंगे और फिर ईरान का मामला सुरक्षा परिषद में पहुंचाया दिया जाएगा लेकिन हमने गुट चार धन एक को मोहलत दी और उसमें वृद्धि भी और लगभग उन्हें एक साल की मोहलत दी।
राष्ट्रपति रूहानी ने कहा कि उन्हें काफ़ी मोहलत दी जा चुकी थी और चूंकि आपने अपने वादों को पूरा नहीं किया थीा इस लिए हमने भी अपनी कटिबद्धताओं को धीरे धीरे कम करना शुरू कर दिया। उन्होंने कहा कि हमने पांच चरणों में जितनी आवश्यकता थी उतनी कटिबद्धताएं कम कर दीं और एक बार फिर पहले के स्तर पर पहुंच गए। ईरान के राष्ट्रपति ने कहा कि अब संतुलन स्थापित हो चुका है और जिस दिन गुट पांच धन एक अपने वादों को पूरा करेगा, उस दिन हम भी अपनी पुरानी कटिबद्धताओं का फिर से पालन करने लगेंगे।
राष्ट्रपति रूहानी ने कहा कि इन बरसों में अमरीका, यूरोप को अपने साथ करने में नाकाम रहा और अब उसकी समझ में आ रहा है कि परमाणु समझौते से निकल कर उससे कितनी बड़ी ग़लती हो गई है। अब उसके पास कोई रास्ता ही नहीं बचा है। राष्ट्रपति ने कहा कि कुछ ही महीनों में ईरान पर लगे हथियारों के प्रतिबंध समाप्त हो जाएंगे जिसके बाद वही सऊदी अरब व इस्राईल और कट्टरपंथी जिन्होंने ट्रम्प को परमाणु समझौते से निकलने के लिए उकसाया था, यह कहेंगे कि हमसे बहुत बड़ी ग़लती हो गई। उन्होंने कहा कि अगर कभी किसी भी रूप में और किसी भी नाम से ईरान पर हथियारों का प्रतिबंध बहाल करने की कोशिश की गई तो हमारा जवाब वही होगा जो मैंने गुट चार धन एक के राष्ट्राध्यक्षों को लिखा है और वे अच्छी तरह जानते हैं कि अगर हमने वैसा कर दिया तो उनकी कितनी बड़ी पराजय होगी।