राजनीति फायदों के लिए पसमांदा समाज के लोगो को इस्तेमाल किया गया: वसीम राईन

(एसएम न्युज24टाइम्स) जिला ब्यूरो सगीर अमान उल्ला बाराबंकी

बाराबंकी। पसमांदा तहरीक वह है जो कोई शख्स या जाति अपने ही लोगों से सामाजिक और सियासी तौर से दबायीं गई और बराबरी के हक के लिहाज से नजरअंदाज कर दिए गए। उक्त विचार ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज के प्रदेश अध्यक्ष वसीम राईन ने व्यक्त किये उन्होंने अपनी बात जारी रखते हुए कहा की ऐसा भी नहीं है कि अब हम अपने हक को लेने के लिए किसी के साथ नाइंसाफी करेंगे और ना ही हम किसी को जाती तौर पर निशाना बनाएंगे क्योंकि असलियत तो यह है कि ऊंच-नीच की बुराई किसी भी एक खास में नहीं बल्कि हर हिस्से में देखने को मिलती है जैसे कि आम जिन्दगी में, स्कूल कॉलेजों में, यूनिवर्सिटीज में इसलिए मेरा मानना है कि हमें अपने हक की मांग करते हुए अपने लोगों में पसमांदा की हकीकत को बताना होगा कि कुछ लोगों ने किस तरह अपने फायदों के लिए इस ऊंच-नीच की बुराई का कैसे इस्तेमाल किया ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग इस पसमांदा-अशराफ की बुराई को समझकर इस तहरीक का साथ दें। जो लोग खुद को जाति तौर पर आला समझते हैं या आलिमे दीन की बातों को अपने मंशा के हिसाब से तोड़-मरोड़ कर कुछ लोगों को नीचा समझते हैं तो बेशक यह असली गुनहगार हैं और इस्लाम की बुनियादी बातों से भी पूरी तरह से नावाकिफ हैं। पसमांदा तहरीक की कुछ अहम बातें जिसको समझना चाहिए जैसे कि समाज में इंसाफ और बराबरी को तरजीह पसमांदा समाज में सामाजिक, राजनैतिक जागरूकता का निर्माण करना पसमांदा समाज को राजनैतिक, सामाजिक व शैक्षणिक रूप से सुदृण बनाना पसमांदा समाज की शासन-प्रशासन, सरकारी अर्धसरकारी संस्थाओ, तमाम मुस्लिम संस्थाओ व तमाम अल्पसंख्यक विद्यालयो, विश्वविद्यालयों व अन्य संस्थाओ में हिस्सेदारी आबादी के अनुपात में सुनिश्चित करवाना व लक्ष्य की प्राप्ति के लिए संवैधानिक दायरे में संघर्ष व जन आंदोलन का निर्माण करना बिना किसी जाति व धर्म के भेद-भाव के समाज के सभी धर्मो व वर्गो के निर्धन, असहाय छात्रो के लिए निः शुल्क शिक्षा, कोचिंग आदि की व्यवस्था करना बिना जाति व धर्म के भेद-भाव के सभी धर्मो व वर्गो की बेसहारा महिलाओ व यतीम बच्चों के लिए एक मानव के जीवन यापन की बुनियादी जरूरतों के लिए आवश्यक वस्तुओं की व्यवस्था करना हैं।

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