देश में फूटा कोरोना बम, विशेषज्ञों के अनुमान से 5 दिन पहले बना रिकॉर्ड

समाचार एजेंसी न्यूज़ एसएम न्यूज़ के साथ

1000000 हुए कोरोना मरीज, अगले साल 3 करोड़ जून में विशेषज्ञों ने कहा था जुलाई अंत में दस लाख पार हो सकता है आंकड़ा

नई दिल्ली । कोरोना को लेकर विशेषज्ञों का अनुमान था कि देश में जुलाई के चौथे सप्ताह में संक्रमित मरीजों की संख्या 10 लाख पार हो सकती है लेकिन पांच दिन पहले ही यह आंकड़ा पार हो चुका है। विभिन्न गणितीय मॉडल के आधार पर विशेषज्ञों ने बीते जून माह में ही कोरोना के रोजाना बढ़ रहे मामलों को लेकर आगाह किया था। बावजूद इसके पहली बार सबसे ज्यादा कोरोना के मरीज इसी माह में अब तक सामने आ चुके हैं। 1 से लेकर 16 जुलाई के बीच देश में पांच लाख से अधिक केस मिले हैं। यानी जुलाई अंत तक आंकड़ा सात से आठ लाख के बीच हो सकता है। केरल के डाटा विशेषज्ञ जेम्स विल्सन का कहना है कि सरकार अब तक कोरोना का एक पक्ष जनता के सामने रख रही है। जबकि संक्रमण के बढ़ते ग्राफ पर स्थिति स्पष्ट नहीं कर रही है। 26 जून की स्थिति को लेकर उन्होंने 2 जुलाई तक मरीजों की संख्या छह लाख और आठ जुलाई तक यह आंकड़ा सात लाख के करीब होने की आशंका व्यक्त की थी। जोकि सच साबित हुई। विशेषज्ञों का कहना था कि 22 जुलाई तक देश में संक्रमितों की संख्या 10 लाख पार हो सकती है। जॉन का कहना है कि हालात अब भी बदले नहीं हैं। मरीजों की संख्या 20 दिन में दोगुना हो रही है। इस रफ्तार को रोकने के लिए सरकार के उपाय फिलहाल नाकाफी हैं।
कोरोना वायरस का पीक अभी नहीं

विशेषज्ञों का कहना है कि अभी भारत कोरोना वायरस के पीक से दूर है। सफदरजंग अस्पताल के ही डॉ. जुगल किशोर का कहना है कि मरीजों की संख्या भले ही लाखों में हो, लेकिन उन्हें नहीं लगता कि यह कोरोना का पीक है। वहीं दिल्ली एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया का कहना है कि भले ही इसे पीक न कहें लेकिन उसका संकेत जरूर माना जा सकता है। वहीं एक अन्य महामारी विशेषज्ञ प्रो. विश्व मोहन गुप्ता का कहना है कि हकीकत में कोरोना का पीक भारत में इटली जैसा होगा या अमेरिका की तरह, यह कोई नहीं जानता।

अगले वर्ष 3 करोड़ होने की आशंका
इनके अलावा बेंगलुरु स्थित भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी) के शोद्यार्थियों ने भी गणितीय मॉडल के आधार पर अगले वर्ष जनवरी तक भारत में मरीजों की संख्या करीब 3 करोड़ होने की आशंका व्यक्त की है। इनके मुताबिक आगामी एक सितंबर तक देश में मरीजों की संख्या 35 लाख हो सकती है, जिनमें से सक्रिय मरीज 10 लाख और 1.40 लाख मौतें शामिल होंगी। ठीक इसी तरह 1 नवंबर तक मरीजों की कुल संख्या 1.2 करोड़ होगी। साथ ही वायरस के चलते तब तक पांच लाख लोगों की मौत हो सकती है।

भारत दुनिया में तीसरा देश
भारत अब दुनिया में तीसरा ऐसा देश बन गया है, जहां कोरोना संक्रमित मरीजों के मामले दस लाख के पार हो चुके हैं। कोविड-19 के दस लाख मामले पार करने वाला अमेरिका सबसे पहला राष्ट्र बना था, अमेरिका में ये आंकड़ा 28 अप्रैल को ही पार हो गया था। अमेरिका में एक हजार से मामले बढ़कर दस लाख तक पहुंचने में करीब 49 दिन ही लगे थे। इसके बाद 19 जून को ब्राजील दूसरा ऐसा देश बना था, जहां कोरोना वायरस के दस लाख मामले हुए। ब्राजील को एक हजार से दस लाख तक पहुंचने में 91 दिन लगे थे। हालांकि भारत ने एक हजार से दस लाख तक पहुंचने में ज्यादा समय लिया, भारत में दस लाख तक का आंकड़ा छूने में 110 दिनों का समय लगा। अब दस लाख के मामलों के साथ भारत, अमेरिका और ब्राजील के बाद दुनिया का तीसरा देश बन गया है। एक मार्च को भारत 38वें स्थान पर था, एक अप्रैल को 35वें स्थान पर, एक मई को 16वें स्थान पर और एक जून को सातवें स्थान पर था।

जनसंख्या के हिसाब से भारत काफी पीछे
अगर जनसंख्या की दृष्टि से देखें तो चीन के बाद भारत का नंबर आता है, भारत में लगभग 130 करोड़ से ज्यादा की जनसंख्या है। अगर दस लाख आंकड़ों की तुलना कुल जनसंख्या से करें तो ये नंबर 0.07 फीसदी है, यानि कि 0.07 फीसदी जनसंख्या ही कोरोना वायरस से संक्रमित हैं। संक्रमित मरीजों की ये संख्या उन पांच देशों में संक्रमित मरीजों की संख्या से कम हैं, जहां जनसंख्या के आधार पर कोरोना वायरस के मामले तुलनात्मक ज्यादा हैं। अगर बात करें यूरोपीय देशों की तो इटली, जर्मनी और फ्रांस में संक्रमित मरीजों की संख्या का प्रतिशत भारत से ज्यादा है।
भारत में अब तक 1.31 करोड़ लोगों के टेस्ट

अमेरिका में कोरोना वायरस के लगभग 37 लाख मामले हैं और वहां की जनसंख्या 33 करोड़ के आस-पास है, यानि कि अमेरिका की कुल जनसंख्या का 1.13 फीसदी हिस्सा कोविड-19 से संक्रमित हैं। ये आंकड़ा और भी ज्यादा हो सकता है, अगर हर किसी का टेस्ट होना शुरू हो जाए। इस महामारी का एक दूसरा पहलू टेस्टिंग करना भी है। भारत में अब तक 1.31 करोड़ लोगों के टेस्ट कर लिए हैं। अगर बात करें जनसंख्या के आधार पर तो भारत ने अब तक हर दस लाख लोगों पर 9,567 मरीजों का ही टेस्ट कर लिया है। वहीं अमेरिका ने प्रति दस आबादी पर 1,39,455 टेस्ट किए हैं। अमेरिका का पॉजिटिविटी रेट 8.1 फीसदी तो भारत की पॉजिटिविटी दर 7.7 फीसदी है।

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