एक सुपर पॉवर को कैसे बर्बाद किया जाता है, यह कोई ट्रम्प से सीखे

समाचार एजेंसी न्यूज़ एसएम न्यूज़ के साथ

पिछले 35 वर्षों से एक सुपर पॉवर होने के रूप में अमरीकी साम्राज्य के कमज़ोर पड़ने के बारे में चेतावनियां दी जा रही थीं।

पॉल कैनेडी की सबसे ज़्यादा बिकने वाली किताबः द राइज़ एंड फ़ॉल ऑफ़ द ग्रेट पावर्स (महाशक्तियों का उदय और पतन) में यह भविष्यवाणी की गई थी कि साम्राज्यवाद का भारी बोझ, ग्रेट ब्रिटेन की तरह, अमरीका के पतन का कारण बन सकता है। यह एक ऐसा पूर्वानुमान था जो ठीक समय पर सही साबित हो रहा है।दूसरे कई विद्वानों और विशेषज्ञों का भी यही मानना है कि दुनिया पर अपना वर्चस्व थोपने के बाद, अब अमरीका एक “साधारण देश” बनने के मार्ग पर अग्रसर है। सोवियत संघ के पतन के बाद, अमरीका एकमात्र महाशक्ति के रूप में उभरा था।

1990 के दशक में अमरीका ने ख़ुद को दुनिया के थानेदार की भूमिका में पाया। इसके आर्थिक, सैन्य और सॉफ़्ट पॉवर के संयोजन ने अन्य सभी को अपने सामने बौना कर दिया। विलियम वॉल्फॉर्थ और स्टीफ़न ब्रूक्स जैसे विद्वान यह तर्क पेश करने लगे कि विश्व में एकध्रुवीय युग बहुध्रुवीय युग की तुलना में किस तरह अधिक समय तक टिक सकता है।लेकिन अफ़सोस यह है कि इन आशावादियों ने यह आशा नहीं की थी कि अमरीका, जल्द ही अपने शरीर पर ऐसे घाव लगा लेगा कि जिनसे उबरना उसके लिए कठिन होगा। उसके बाद डोनल्ड ट्रम्प जैसा कोई राष्ट्रपति सत्ता संभालेगा, जो इन घावों को कुरेद कुरेदकर सड़ने के लिए छोड़ देगा।

विशेष रूप से कोविड-19 महामारी से निपटने में ट्रम्प की ग़लत नीतियां, अमरीका पर दीर्घकालिक प्रभाव छोड़ रही हैं, जिसने अमरीकी साम्राज्य के पतन को तीव्रता प्रदान कर दी है। यहां तक ​​कि अगर वह नवंबर में चुनाव हार जाते हैं और बाडन प्रशासन सबकुछ ठीक ठाक करते हैं, तो भी ट्रम्प की ग़लतियों का ख़मियाज़ा अमरीका वर्षों तक भुगतता रहेगा।ट्रम्प से पहले, वाशिंगटन ने तीन बड़ी ग़लतियां कीं। पहली ग़लती, पूरे विश्व पर उदारवाद को थोपने की रणनीति को अपनाना था, जिसके तहत लोकतंत्र, बाज़ार और अन्य उदारवादी मूल्यों को पूरी दुनिया पर थोपने का प्रयास किया गया। इस विशाल महत्वाकांक्षी रणनीति के परिणाम स्वरूप, अंतहीन युद्ध और लड़ाईयां शुरू हुईं, जिनमें अमरीका को अरबों और खरबों डॉलर झोंकने पड़े, जिससे अमरीकी अर्थव्यवस्था कमज़ोर हुई।

सार्वजनिक संस्थानों को तहस-नहस करना दूसरी सबसे बड़ी ग़लती थी। संस्थाओं के संसाधनों को बंद करना और फिर उन्हें अपनी सभी समस्याओं के लिए दोषी ठहराना। अमरीकी नेताओं ने मज़बूत, सक्षम और सम्मानित सार्वजनिक संस्थानों के निर्माण के बजाय यह फ़ैसला किया कि अमरीका को उनकी ज़रूरत ही नहीं है।तीसरी ग़लती, अमरीकी कांग्रेस में पक्षपातपूर्ण राजनीति का शस्त्रीकरण करना था। अमरीकी कांग्रेस में न्यूट गिंगरिच के शस्त्रीकरण के फ़ैसले ने एक ऐसी प्रक्रिया शुरू की, जिसने अमरीकी राजनीति को ख़ून के खेल में बदल दिया, जहां सत्ता हासिल करना और उस पर क़ब्ज़ा जमाए रखना, सार्वजनिक हितों को आगे बढ़ाने से ज़्यादा मायने रखता था।

इन तीन ग़लतियों के परिणाम स्वरूप एक ऐसा ज़हरीला नुस्ख़ा तैयार हुआ, जिसने ट्रम्प जैसे अक्षम और अयोग्य शख़्स की व्हाइट हाउस तक पहुंचने में मदद की। ट्रम्प ने दुनिया भर में अमरीका की छवि को अपने सबसे निचले स्तर तक पहुंचा दिया। उन्होंने चीन के साथ व्यापार युद्ध शुरू किया, ईरान को चीन के काफ़ी क़रीब धकेल दिया और कई हत्यारे तानाशाहों की प्रशंसा की।कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि ट्रम्प अगर नवम्बर का चुनाव जीत जाते हैं और वह फिर से अमरीका के राष्ट्रपति बनते हैं, तो यह महाशक्ति के रूप में अमरीका के ताबूत में आख़िरी कील होगी।

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