सत्य की राह, चमत्कारों के बाद भी कठिन, अमरीका हमें कभी झुका नहीं सकता, ईरानियों ने अमरीकी प्रतिबंधों से भी लाभ उठाया… ईद पर वरिष्ठ नेता का महत्वपूर्ण भाषण

समाचार एजेंसी न्यूज़ एसएम न्यूज़ के साथ

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने ईद अज़हा के अवसर पर अपने भाषण में कहा कि ज़िलहिज्जा के महीने के पहले दस दिनों से पता चलता है कि सत्य की राह पर चलना हज़रत मूसा के चमत्कारों के बावजूद, कठिन होता है।

वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनई ने अपने भाषण में कोरोना वायरस का उल्लेख करते हुए कहा कि ईरानी जनता ने जिस तरह से कोरोना के खिलाफ संघर्ष में एक दूसरे का साथ दिया और सहयोग किया है उसकी मिसाल दुनिया में नहीं मिलती इस लिए अब जबकि यह वायरस फिर से अपने चरम पर है, जनता की ओर से उसी प्रकार के सहयोग की फिर से ज़रूरत है। वरिष्ठ नेता ने कहा कि कोरोना के दौरान कुछ लोगों को भारी नुक़सान हुआ है इस लिए उनके नुकसान की भरपाई होना चाहिए। वरिष्ठ नेता ने कहा कि पिछले साल, खुज़िस्तान प्रान्त की बाढ़ में शहीद सुलैमानी और शहीद अबू मेहदी अलमुहन्दिस क्षेत्र में मौजूद थे और उन्होंने दोनों देशों की सीमाओं को जोड़ दिया था। शहीद अबूमेहदी, ज़रूरी सामान लेकर इराक़ से आये थे और इन दो नायकों की उपस्थिति की वजह से बहुत से लोग वहां गये।

वरिष्ठ नेता ने कहा कि ईरानी जनता के साथ दुश्मनी बहुत अधिक है और जब दुश्मनी अधिक होती है तो सहयोग भी अधिक होता है, दुश्मन ईरानी जनता को सताना चाहते हैं, जैसा कि बनी इस्राईल, हज़रत मूसा को परेशान करते थे।वरिष्ठ नेता ने कहा कि अमरीका ने ईरानी जनता के खिलाफ जो प्रतिबंध लगाए हैं वह निश्चित रूप से एक बहुत बड़ा अपराध है। दुश्मन का अल्पकालीन उद्देश्य, ईरानी जनता को तंग करना, उन्हें बदहवास करना और सरकार व व्यवस्था के खिलाफ उन्हें खड़ा करना है लेकिन अब वह स्वंय ही “हॉट समर” में फंस चुके है।वरिष्ठ नेता ने कहा कि दुश्मनों का मक़सद , ईरान के विकास को रोकना और ऐसी बाधाएं उत्पन्न करना है जिसकी वजह से ईरान में विकास के क्षेत्र में कोई काम न हो पाए।वरिष्ठ नेता ने कहा कि दुश्मनों का दीर्घकालिक उद्देश्य, देश और सरकार को दिवालिया करना है। वह लोग ईरान की अर्थ व्यवस्था को बिखेर देना चाहते हैं, उनका अस्ल मक़सद यही है। इसके अलावा भी उनके कई मक़सद है। वह ईरान और क्षेत्र के प्रतिरोधक संगठनों के मध्य संबंध खत्म करना चाहते हैं, लेकिन हम कहेंगे कि बिल्ली को ख्वाब में छीछड़े ही नज़र आते हैं, वह लोग जो चाह रहे हैं वह न कभी हुई है और न ही होगी, अपने मक़सद की नाकामी को वह लोग खुद स्वीकार कर रहे हैं, वह खुद कह रहे हैं कि प्रतिबंध के भारी दबाव का मक़सद पूरा नहीं हुआ है।वरिष्ठ नेता ने कहा कि इस्लामी क्रांति के आरंभ से ही दुश्मनों का मक़सद जनता के मनोबल को तोड़ना रहा है, वह हालात को बेहद खराब दर्शाते हैं और सैंकड़ों भाषाओं और साधनों की मदद से देश की अच्छी बातों का या तो इन्कार करते हैं या उन पर चुप्पी साध लेते हैं लेकिन अगर कोई कमज़ोरी मिल जाती है तो उसे दस बल्कि कभी कभी सौ गुना बढ़ा कर पेश करते हैं लेकिन अधिकांश लोगों पर असर नहीं होता क्योंकि हमारी जनता ने अमरीकी दुश्मन को पहचान लिया है।

वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनई ने कहा कि बुद्धिमान ईरानियों ने अमरीका की दुश्मनी से फायदा उठाया, अमरीकी प्रतिबंधों की वजह से ईरानी युवा वैज्ञानिकों ने बहुत कुछ देश के भीतर ही बना लिया, अगर हमें ट्रेनिंग के लिए जेट विमान बेचे जाते तो हमारे देश में ट्रेनिंग का जेट विमान नहीं बनाया जाता।वरिष्ठ नेता नेता ने कहा कि निश्चित रूप से प्रतिबंधों का इलाज है लेकिन उसका इलाज यह नहीं है कि अमरीका के सामने हम पीछे हट जाएं। कोई बुद्धिमान व्यक्ति अमरीकी मांगों को स्वीकार नहीं कर सकता। अमरीका, इस्लामी गणतंत्र व्यवस्था के मूल सिद्धान्तों से हटने की मांग कर रहा है, कोई भी सम्मानीय व्यक्ति उसकी बात नहीं मान सकता, अमरीकियों द्वारा वार्ता का उद्देश्य यही है और जो हम वार्ता पर तैयार नहीं होते उसकी वजह भी यही है। प्रतिबंधो का एकमात्र उपाय, देश की क्षमताओं व संभावनाओं पर भरोसा है।वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनई ने कहा कि हमारे मुख्य दुश्मन जो अमरीका है उसकी समस्याओं की हमारी समस्याओं से तुलना नहीं की जा सकती। अमरीका आज पूरी दुनिया में घृणित और अलग थलग है। राख के नीचे दबी चिंगारी फूट पड़ी है, हो सकता है फिर से उसे दबा दिया जाए लेकिन वह चिंगारी बुझने वाली नहीं है। आज अमरीकी किसी दुश्मन की तलाश में हैं लेकिन सच्चाई यह है कि अमरीकी सरकार, अपने देश की जनता की सब से बड़ी दुश्मन है।वरिष्ठ नेता ने कहा कि अमरीका को हम से यह परेशानी है कि न तो वह हमें खत्म कर पा रहा है और न ही हमें झुका पा रहा है।वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनई ने कोरोना के दौरान मुहर्रम और इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की अज़ादारी के बारे में बात करते हुए कहा कि शोक सभाओं के दौरान, कोरोना की राष्ट्रीय समिति जो नियम बनाएगी उसका पालन करना सब का कर्तव्य होगा क्योंकि अगर नियमों का पालन नहीं किया गया तो बहुत बड़ी त्रासदी उभर सकती है

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