ईरानी अर्थ व्यवस्था को अपाहिज बनाने का दावा करने वाले अमरीका की पिघल रही है अर्थ व्यवस्था, इतिहास की सब से बड़ी मंदी!

समाचार एजेंसी न्यूज़ एसएम न्यूज़ के साथ

अमरीकी अर्थ व्यवस्था की हालिया रिपोर्ट से पता चलता है कि इस देश में अभूतपूर्व मंदी पैर पसार रही है।

अमरीकी अर्थ व्यवस्था, अप्रैल से लेकर जून के मध्य 9.5 प्रतिशत छोटी हो गयी है जिसका यह अर्थ है कि अगर अगली तीन चरणों में भी अमरीकी अर्थ व्यवस्था की यही दशा रही तो अमरीकी अर्थ व्यवस्था का एक तिहाई भाग, कोरोना से पिघल कर खत्म हो जाएगा।अमरीका में यह मंदी सन 1947 के बाद से अभूतपूर्व है। इसी तरह 11 वर्षों के बाद अमरीकी अर्थ व्यवस्था में आर्थिक विकास नकारात्मक हो गया जिसका यह अर्थ है कि अमरीका आर्थिक मंदी में प्रवेश कर रहा है। यूरो ज़ोन के बारे में भी रिपोर्टों से पता चलता है कि अर्थ व्यवस्था पर कोरोना का प्रभाव किसी एक देश तक सीमित नहीं है। युरो ज़ोन में आने वाले देश भी 12.9 प्रतिशत कमी के शिकार हैं जो सन 1995 के बाद रिकार्ड है।

 अमरीका की दशा बेहद खराब है। अमरीका में 20वीं सदी के आरंभ से अब तक इस परकार के मंदी का उदाहरण नहीं मिलता। विशेषज्ञों का कहना है कि यह आर्थिक मंदी, साधारण नहीं है। अमरीका कोरोना से बुरी तरह जूझ रहा है जबकि जीडीपी में भारी गिरावट भी असाधारण है। इसी लिए अमरीकी अर्थ व्यवस्थ की जो हालत है उसकी सही अनुमान केवल आंकड़ों से ही नहीं लगाया जा सकता है। अप्रैल में ही कारोबार बंद होने की वजह से इस देश में दो करोड़ से अधिक रोज़गार के अवसर खत्म हो गये जो अमरीका मे पिछले 80 वर्षों के दौरान अभूतपूर्व और एक रिकार्ड है।अमरीका में बेरोज़गारी भत्ता चाहने वालों की संख्या बड़ी तेज़ी से बढ़ रही है। अमरीका में कोरोना की पहली लहर के बाद, इस देश के राष्ट्रपति ट्रम्प ने उतावलेपन में सब कुछ पुनः खोले जाने का आदेश दिया जिसकी वजह से कोरोना की दूसरी लहर ने अमरीका को बुरी तरह से अपनी लपेट में ले लिया और उसके परिणाम में बेरोज़गारी और आर्थिक मंदी अधिक प्रचंड रूप में सिर उभार रही है।

अमरीकी अर्थ व्यवस्था के बारे में जारी आंकड़ों से पता चलता है कि अमरीका में व्यापार की दशा में आंशिक सुधार के बावजूद आज भी कोरोना के आरंभ से पहले की तुलना में इस देश में डेढ़ करोड़ रोज़गार के अवसर कम हैं और यह एसी कमी है जिसे पूरा करना इतना सरल नहीं होगा। आज भी अमरीका में बेरोज़गारी की जो दर है वह 21वीं सदी के पहले दशक के आर्थिक संकट से भी अधिक है।अमरीका की वर्तमान सरकार ने ईरान पर हर ओर से दबाव डालते हुए उस पर पंगु बनाने वाले प्रतिबंध लगाए और जैसा कि वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनई ने भी अपने हालिया भाषण में कहा कि अमरीका का एक मकसद ईरान की अर्थ व्यवस्था को तबाह करना और दिवालिया बनाना है। ईरानियों ने तो प्रतिबंधों से लाभ उठाते हुए  कई क्षेत्रों में अपने पैरों पर खड़ा होना सीख लिया है और जहां नहीं खड़े हो पाए वहां अभाव व कमी के साथ जीने का तरीका सीख लिया है लेकिन अर्थ व्यवस्था की दीवार पर चढ़ कर चुनाव जीतने की इच्छा रखने वाले ट्रम्प, अमरीका की पिघलती अर्थ व्यवस्था को सहारे क्या वाइट हाउस तक पहुंच पाएंगे?

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