भतीजे के मन को पढऩे से चूक गए चाचा

24/11/2019

मुंबई महाराष्ट्र में चल रहे हाई-वोल्टेज पॉलिटिकल ड्रामे के केंद्र में मुख्य तौर पर पवार फैमिली का अंतर्कलह है। भतीजे की बगावत के बाद सकते में आए शरद पवार आनन-फानन में डैमेज कंट्रोल में जुट गए और फिलहाल पलड़ा सीनियर पवार का भारी है और डेप्युटी सीएम बने अजित पवार अलग-थलग पड़ते दिख रहे हैं। वैसे यह नौबत आई क्यों? अजित पवार ने अचानक बीजेपी के साथ मिल सरकार बनाने का फैसला क्यों किया? एनसीपी या पवार फैमिली के भीतर किसी को इसकी भनक तक क्यों नहीं लगी?
17 को ही अजित ने दिए थे संकेत
अजित पवार ने पुणे में शरद पवार के घर पर 17 नवंबर को हुई एनसीपी की बैठक में अपने भविष्य के कदम के बारे में बहुत हद तक संकेत दे दिया था। बैठक में अजित ने यह कहकर सबको चौंका दिया कि एनसीपी को शिवसेना और कांग्रेस के साथ गठबंधन करने के बजाय अगली सरकार बनाने में बीजेपी की मदद करनी चाहिए। उनके इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया गया क्योंकि तब तक एनसीपी, शिवसेना, कांग्रेस के बीच बातचीत आखिरी चरण में पहुंच चुकी थी। इनके बीच दिल्ली और मुंबई में कई दौर की बातचीत हो चुकी थी। भले ही अजित के सुझाव को शरद पवार ने तब सिरे से खारिज कर दिया लेकिन वह खतरे को भांपने में नाकाम हो गए। उसके एक हफ्ते के भीतर ही अजित पवार ने बगावत कर शरद पवार और एनसीपी को हक्का-बक्का कर दिया। वैसे पुणे की मीटिंग में एनसीपी नेतृत्व न सिर्फ अजित पवार के मन में क्या चल रहा है, उसे पढऩे में नाकाम रहा, बल्कि बाद के अन्य संकेतों को भी नहीं पढ़ पाया। मुंबई में शरद पवार के घर पर भी हुई छोटी बैठकों में धनंजय मुंडे और सुनील तटकरे ने भी वैसी ही राय रखी जो अजित पवार ने पुणे बैठक में रखी थी।
फडणवीस-अजित में होती रही बात
देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार के बीच 10 नवंबर को पहली बार इस सिलसिले में बातचीत हुई थी। उसके बाद से ही दोनों नेताओं में हर रोज बात हो रही थी। कई बार तो एक ही दिन में कई बार बातचीत हो रही थी। दोनों जानते थे कि अगर उनके बीच की बात थोड़ी सी भी लीक हो गई तो उनका सारा प्लान गड़बड़ हो जाएगा। अजित पवार और देवेंद्र फडणवीस में कुछ-कुछ चल रहा है, इसकी जानकारी एनसीपी में सिर्फ धनंजय मुंडे और सुनील तटकरे को ही थी। तटकरे अजित पवार के बेहद करीबी माने जाते हैं। मुंडे का चयन इसलिए हुआ कि फडणवीस को उन पर भरोसा था।
आरएसएस की भूमिका
पूरे घटनाक्रम में आरएसएस की भूमिका से भी इनकार नहीं किया जा सकता। दरअसल अजित पवार के मैटरनल कजिन जगदीश कदम आरएसएस से जुड़े हुए हैं। उन्हें पवार फैमिली में मतभेद बढ़ाने की जिम्मेदारी दी गई थी। कदम डेक्कन एजुकेशन सोसाइटी के वाइस प्रेसिडेंट हैं। यह सोसाइटी महाराष्ट्र में कई नामी कॉलेज और संस्थान चलाती है और इसका नियंत्रण आरएसएस करता है। कदम ने अजित पवार से बात की और उन्हें भरोसे में लिया। अजित को लगता था कि वह पार्टी में हाशिए पर हैं। उनके बेटे लोकसभा चुनाव में हार चुके थे। उनके भतीजे रोहित पवार का पार्टी में तेजी से उदय हो रहा है। सुप्रिया सुले के साथ जब-तब उनके मतभेद होते रहते हैं। ये सारी वजहें अजित पवार को अप्रत्याशित और अलग रास्ता अपनाने के लिए उकसा रही थीं।

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