ज़माने के साथ चलने वाले गुमरही का शिकार हो जाते हैं, साहिबुज़्ज़मान के साथ चलने वाले राहे नजात पाते हैं – मौ. मो.   मोहसिन

सगीर अमान उल्लाह जिला ब्यूरो बाराबंकी।

अक़्ल़ो शऊर के साथ कदम बढ़ाने वाला फरिश्तों से अफ़ज़ल और ख्वाहिशात का गुलाम जानवरों से बत्तर होता है
बाराबंकी । ज़माने के साथ चलने वाले गुमरही का शिकार हो जाते हैं, साहिबुज़्ज़मान के साथ चलने वाले राहे नजात पाते हैं ।  यह बात मस्जिद इमामियां में आली जनाब मौलाना इब्ने अब्बास साहब क़िबला के वाल्दैन की ईसाले सवाब की मजलिस को ख़िताब करते हुए फ़ैज़ाबाद  वसीक़ा अरबी कालेज के प्रिंसिपल आली जनाब मौलाना मोहम्मद मोहसिन साहब क़िबला ने कही ।उन्होंने यह भी कहा कि अक़्ल़ो शऊर के साथ कदम बढ़ाने वाला फरिश्तों से अफ़ज़ल और ख्वाहिशात का गुलाम जानवरों से बत्तर होता है । इंसान बढ़े तो फ़रिश्ता भी कदम चूमे,घटे तो पत्थर के आगे सर झुकाता नज़र आये । उन्होंने यह भी कहा कि हर इंसान घाटे में है सिवाय उसके जो ईमान लाये,अमल भी करे और दूसरों को भी हिदायत कर अमल की दावत दे।आखिर में करबला वालों के मसायब पढ़े  जिसे सुनकर मोमनीन रो  पडे़।मजलिस से पहले अजमल  किन्तूरी ने अपना कलाम पेश करते हुये पढ़ा – फिर ख़िलाफ़े हक़ वही साजिश सफ़े बातिल में है, एक रंग माजी़ में था और एक मुश्तक़बिल में है । मुहिब रिज़वी ने अपना बेहतरीन कलाम पेश करते हुये पढ़ा – जिसे भी चाहिए फ़िरदौस ए नुसरत ए शब्बीर, मिजाज़ ए हज़रत ए हुर से क़दम मिला के चले ।हसन मेहदी ने पढ़ा – हवा चलने  से जैसे पत्तियां  हिलती हैं पेड़ों से , लईं  यूं लरज़ाबरअंदाम थेअब्बास के डर से।कलीम आज़र रिज़वीने पढ़ा- अब्बास तो अली की दुआ का कमाल है,इस बावफ़ा के हुश्न का सदका़ बिलाल है ।बाक़र नक़वी ने पढ़ा – खंजरो ,तेगो तबर और तीर न तलवार से, दीने ख़ालिक को बचाया शाह के इंकार ने।सरवर करबलाई ने अपना कलाम पेश करते हुए पढ़ा  – क़ुरआं  से अहले  बैत  जुदा  हो ना  पायेंगे, सरवर  की  ये सिना  पे सदा  बे मिसाल  है । हैदर गाज़ी पुरी ने पढ़ा – ख़ालिक की बारगाह से इज़्जत मिली हमें, जन्नत के मालिकान से जन्नत मिली हमें ।इसके अलावा आसिफ़ अख़्तर बाराबंकवी,अदनान रिज़वी और ज़मानत अब्बास ने भी नज़रानये अक़ीदत पेश की । मजलिस का आग़ाज़ क़ारी मो.अब्बास ने तिलावत ए कलाम ए पाक से किया।निज़ामत बाक़र नक़वी ने की। बड़ी तादाद में लोगों ने पहुंच कर मजलिस में शिरकत की। मजलिस के फ़ौरन बाद बा जमात नमाज़ आली जनाब मौ.मो.रज़ा ज़ैदपुरी ने पढा़ई । मजलिस में कई आलिमे दीन भी शामिल हुए । बानिये मजलिस ने सभी का शुक्रिया अदा किया ।
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