नई दिल्ली। कोरोना वायरस का कहर देश में अभी भी लगाता बढ़ता ही जा रहा है। कोरोना की तुरंत पहचान हो, इसके लिए कई तकनीक का सहारा लिया जा रहा है और कई पर काम भी हो रहा है। इस बीच एक नया अध्ययन सामने आया है कि कोविड-19 की पहचान के लिए लार के नमूनों की जगह गरारे किए हुए पानी के नमूने परीक्षण के लिए व्यवहार्य विकल्प हो सकते हैं। यह न केवल जमा करने के लिहाज से आसान हो सकते हैं बल्कि नमूने जमा करने के लिए इसमें प्रशिक्षित स्वास्थ्य कर्मियों की जरूरत भी नहीं होगी। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद आईसीएमआर के भारतीय चिकित्सा अनुसंधान जर्नल में छपे एक अध्ययन में यह जानकारी सामने आई है। इस तरह से नमूने जमा किए जाने का व्यापक असर होगा और इससे लार और पीपीई किट की जरूरत नहीं होने से खर्च में भी कटौती होगी। ‘सार्स-कोविड-2 की पहचान के लिए लार के नमूने के विकल्प के तौर पर गरारे किया हुआ पानी शीर्षक से प्रकाशित इस अनुसंधान के लेखकों में डॉक्टर नवीत विग, डॉक्टर मनीष सोनेजा, डॉक्टर नीरज निश्चल और डॉक्टर अंकित मित्तल एम्स के मेडिसिन विभाग से हैं जबकि अन्य लेखक डॉक्टर अंजन तिरखा और डॉ. कपिल देव सोनी एम्स के एनेसथिसिया एंड क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग से हैं।
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संपादक मोहिनी शर्मा एडवोकेट एसएम न्युज24 टाइम्स