क्या अब मध्यप्रदेश में सचिन पायलट कांग्रेस को गुर्जरों के वोट दिला पाएंगे? प्रदेशाध्यक्ष और डिप्टी सीएम का पद छीन लेने से राजस्थान में पायलट समर्थक बेहद खफा है। ज्योतिरादित्य को मात दिलवाने के लिए कमलनाथ ने सचिन पायलट को आमंत्रित किया है। गद्दार, नकारा, मक्कर, धोखेबाज कहने पर सीएम अशोक गहलोत ने अभी तक खेद नहीं जताया है।
मुबारक शाह जिला ब्यूरो चीफ खरगोन मध्य प्रदेश
मध्यप्रदेश में 27 विधानसभा सीटों पर उप चुनाव होने हैं। इन चुनावों के परिणाम पर ही शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार का भविष्य टिका है। यही वजह है कि पूर्व सीएम और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमलनाथ हर कीमत पर चुनाव जीतना चाहते हैं। इन 27 सीटों में से 10 सीटें ऐसी हैं, जहां गुर्जर मतदाताओं की संख्या अधिक है। अब कमलनाथ चाहते हैं कि राजस्थान में गुर्जर मतदाताओं पर असर रखने वाले सचिन पायलट मध्यप्रदेश आएं और गुर्जर मतदाताओं के वोट कांग्रेस को दिलवाएं। बताया जा रहा है कि कमलनाथ ने पायलट को निमंत्रण भेज दिया है। लेकिन सवाल उठता है कि क्या बदली हुई परिस्थितियों में सचिन पायलट मध्यप्रदेश में गुर्जरों के वोट कांग्रेस को दिलवा पाएंगे? सब जानते हैं कि गत जुलाई माह में पायलट को राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष और डिप्टी सीएम के पद से हटा दिया गया था। 18 कांग्रेस के विधायकों के साथ एक माह तक दिल्ली में रहने पर सचिन पायलट को बगावती नेता माना। इस बीच सीएम अशोक गहलोत ने पायलट के लिए गद्दार, नकारा, निकम्मा, धोखेबाज जैसे शब्दो का इस्तेमाल किया। हालांकि 12 अगस्त को पायलट वापस कांग्रेस के साथ आकर खड़े हो गए और 14 अगस्त को गहलोत सरकार ने विधानसभा में बहुमत भी साबित कर दिया, लेकिन सीएम गहलोत ने अपने शब्दों पर अभी तक भी खेद प्रकट नहीं किया है और न ही संगठन और सरकार में पायलट का सम्मान लौटा है। यही वजह है कि जयपुर और अजमेर संभाग में हुई प्रभारी महासचिव अजय माकन की रायशुमारी में पायलट समर्थकों की नाराजगी देखने को मिली। यहां तक कि मंत्रियों के फ्लैक्स फाड़ दिए गए। दो संभागों की स्थिति को देखते हुए शेष 5 संभागों में रायशुमारी को फिलहाल टाल दिया गया है। पायलट समर्थकों खासकर गुर्जर समाज के प्रतिनिधियों ने साफ कहा है कि पंचायतीराज के डीआर और सीआर के चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवारों को सबक सिखाया जाएगा। यानि राजस्थान में सचिन पायलट की मौजूदा स्थिति को देखते हुए गुर्जर समुदाय में भी कांग्रेस को लेकर भारी नाराजगी है। जब पायलट के गृह प्रदेश राजस्थान में ही गुर्जर समुदाय खुश नहीं है, तब मध्यप्रदेश में पायलट कांग्रेस उम्मीदवारों को वोट कैसे दिलवाएंगे? यदि कांग्रेस हाई कमान के दबाव में पायलट मध्यप्रदेश के गुर्जर बाहुल्य क्षेत्रों में प्रचार के लिए चले भी जाते हैं तो पायलट को निरुत्तर करने के लिए सीएम अशोक गहलोत के वो बयान ही काफी है जो उन्होंने जुलाई और अगस्त माह में पायलट के विरुद्ध दिए थे। यदि सिर्फ गहलोत के बयान ही मध्यप्रदेश के गुर्जर बहुल्य क्षेत्रों में सुनाए जाएं तो स्वयं सचिन पायलट को जवाब देना मुश्किल होगा। इसमें कोई दो राय नहीं कि सचिन पायलट का गुर्जर मतदाताओं पर खासा असर रहा है। गत विधानसभा चुनाव में भाजपा का एक भी गुर्जर उम्मीदवार चुनाव नहीं जीत सका। सचिन पायलट मुख्यमंत्री बनेंगे, इस लालसा में गुर्जर मतदाताओं ने कांग्रेस उम्मीदवारो के पक्ष में एक तरफा वोटिंग की। सभी जातियों के समर्थक भी मानते हैं कि पायलट ने प्रदेशाध्यक्ष रहते हुए भाजपा के पांच वर्ष के शासन में जो संघर्ष किया उसी का परिणाम रहा कि विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत हुई। अन्यथा वर्ष 2014 के चुनाव में तो कांग्रेस को 200 में से मात्र 21 सीटें मिली थीं। इतना सब कुछ करने के बाद आज राजस्थान की राजनीति में सचिन पायलट की स्थिति सबके सामने हैं।