जब होगी कम चिराग़ ए मोहब्बत की रोशनी! तब दिल जला जला कर उजाला करेंगे हम?

समाचार एजेंसी न्यूज़ एसएम न्यूज़ के साथ

जगममग दीपो के प्रज्वलन से आभामयी रौशनी बिखेरती रौशनी घनघोर निशा में जो दृष्य पैदा करती है वह भारतीय सनातन परम्परा का सदियों से चला आ रहा दुनियाँ मे अनुपम उदाहरण है!हर्षोल्लाश! उत्साह ! के बदलते वातावरण के बिगङते आवरण में आस्था बर्तमान ब्यवस्था को

दुर्ब्यवस्था में परिवर्तित कर प्रयावरण के प्रदुषण मे यह बिकृत होता त्योहार भरपूर योगदान दे रहा है!हलाकी मानव जीवन को खतरा बन रहे प्रदुषण को नियन्त्रित करने के लिये प्रदुषण फैलाने वाले सामानो की बिक्री पर सरकार ने रोक लगा दिया है फिर भी गुणात्मक सुधार नही है! परम्परागत ब्यवस्था को कायम रखने का प्र्यास जारी है लेकीन आधुनिकता की महामारी से ग्र्सित समाज आज खुद ही मौत का सामान शौक से बनाता है बेमौत मरता है!आज के हालतात जुगनूओ की हो गयी है! जानते है रौशनी के करीब जायेगे तो अन्त हो जायेगा फीर भी रौशनी पर टूटते है!पुरातन काल में मिट्टी के दिये में रौशनी बिखेरती सुनहरी आभामयी किरणे अद्भुत नजारा पेश करती थी ! मगर अब सब कूछ आधुनिक हो गया! पुरातन ब्यवस्था आधुनिकता के प्रदुषित आवरण मे खो गया है! जलाओ दिये पर रहे ध्यान इतना अन्धेरा धरा पर कही रह न जाये! कबि ने इन पक्तियो को ऊस समय लिखा था जब दिया से दिया जलाने का प्रचलन भारतीय समाज मे जारी था! परम्परा के परिचालन में दीपोत्सव का उत्सव बदलते हालात मे फीका पङ गया है!महंगाई! बेरोजगारी!महामारी! ने मानवीय ब्यवस्था को हिला कर रख दिया है।मन की सोच को महकते जीवन मे तबाही के दौर ने मिट्टी में मिलाकर रख दिया है!


आह के बीच चाह दब कर रह गयी है! कभी कभी कुछ ऐसे उदाहरण सामने आ जाते है जो इन्सानियत के बूझते दीये से नवजीवन की रौशनी का आभाष करा जाते है! आजकल सोसल मिङीया पर पुलिस की वर्दी में इन्सानी फरीश्ताा बनकर इन्सानियत को जिन्दा रखने का मिसाल बन गये है! मासूम बच्चे जो चन्द सिक्को के लिये सङक किनारे दीये बेच रहे है! दीवाली मनाने के लिये चन्द सिक्को की चाहत ने सङक किनारे मिट्टी के दिये बेचने को मजबूर कर दिया है!लेकीन खुद्दारी के साथ! जरा उनके जज्बात भरे मासूम अल्फाज को आप भी जाने मन कराह उठेगा!हम दीये बेच रहें हैं साहब!,मगर कोई नहीं खरीद रहा!जब बिक जाएंगे तो सङक किनारे से हट जाएंगे’,! पुलिसवालों के सवाल पर बच्चों ने मासूमियत से दिया ये जवाब अत्यंत भावुक सत्य…..
आमतौर पर पुलिस को लेकर लोगों की राय बहुत अच्छी नहीं रहती!,अगर बात यूपी पुलिस की हो तो पिछले कुछ महीनों की घटनाएं सोच को और पुख्ता कर देती हैं! लेकिन यूपी के अमरोहा में ऐसा वाक्या सामने आया है कि पुलिस वालों को सैल्यूट करने का मन करेगा! इस वाक्ये से जुड़ी तस्वीर सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही है। इस तस्वीर में दो छोटे-छोटे बच्चे बैठ कर मिट्टी के दीये बेच रहे हैं! वहीं उनके सामने पुलिस के लोग खड़े हुए दिखाई दे रहे हैं।-कल ‘दिवाली का बाजार सजा था। तभी पुलिस का एक दस्ता बाजार का मुआयना करने पहुंचता है। चश्मदीद का लिखना है कि दस्ते में सैद नगली थाना के थानाध्यक्ष नीरज कुमार थे। दुकानदारों को दुकानें लाइन में लगाने का निर्देश दे रहे थे!, उनकी नजर इन दो बच्चों पर गई। जो जमीन पर बैठे कस्टमर का इंतजार कर रहे हैं। चश्मदीद का कहना है कि मुझे लगा अब इन बच्चों को यहां से हटा दिया जाएगा। बेचारों के दीये बिके नहीं और अब हटा भी दिए जाएंगे। रास्ते में जो बैठे हैं…।
थानाध्यक्ष बच्चों के पास पहुंचे। उनका नाम पूछा। पिता के बारे में पूछा। बच्चों ने बेहद मासूमियत से कहा, ‘हम दीये बेच रहे हैं। मगर कोई नहीं खरीद रहा। जब बिक जाएंगे तो हट जाएंगे। अंकल बहुत देर से बैठे हैं!,मगर बिक नहीं रहे। हम गरीब हैं। दिवाली कैसे मनाएंगे?’- बच्चों की उस वक्त जो हालत थी बयां करने के लिए लफ्ज नहीं हैं। मासूम हैं, उन्हें बस चंद पैसों की चाह थी! ताकि शाम को दिवाली मना सकें।
नीरज कुमार ने बच्चों से कहा, दीये कितने के हैं!, मुझे खरीदने है!थानाध्यक्ष ने दीये खरीदे। इसके बाद पुलिस वाले भी दीए खरीदने लगे। इतना ही नहीं, फिर थानाध्यक्ष बच्चों की साइड में खड़े हो गए। बाजार आने वाले लोगों से दीये खरीदने की अपील करने लगे! बच्चों के दीए और पुरवे कुछ ही देर में सारे बिक गए। जैसे जैसे दीये बिकते जा रहे थे। बच्चों की खुशी का ठिकाना नहीं था।’-‘जब सब सामान बिक गया तो थानाध्यक्ष और पुलिस वालों ने बच्चों को दिवाली का तोहफा करके कुछ और पैसे दिए।पुलिस वालों की एक छोटी सी कोशिश से बच्चों की दिवाली हैप्पी हो गई। घर जाकर कितने खुश होंगे वो बच्चे। आप अंदाजा भी नहीं लगा सकते। मुझे लगता है, बच्‍चों को भीख देने से बेहतर है कि अगर वो कुछ बेच रहें हैं तो खरीद लिया जाए! ताकि वो भिखारी न बन जाएं। या किसी अपराध की तरफ रुख ना कर बैठें। उनमें इस तरह मेहनत करके कमाने का जज़्बा पैदा हो सकेगा। गरीबी ख़तम करने में सरकारें तो नाकाम हो रही हैं। मगर हमारी और आप की इस तरह की एक छोटी कोशिश किसी की परेशानी को हल कर सकती है। आज भी इन्सानियत जिन्दा है! खासकर जिस वर्दी को देखकर लोग भङकते है उस वर्दी मे जवाँ मर्दी जहाँ कूट कूट कर भरी है वही इन्सानियत भी बशर करती है! मगर वक्त के बेरहम फैसलो में कभी कभी कुछ वाक्या जरूर शर्मशार कर देता है! फीर भी वर्दी के सानिध्य में जवाँ मर्दी की मिसाल पेश करने वाले इन्सानी फरिश्तो को कोटिश: बधाई! दिल से प्रणाम! सभी देशवासीयो को दीवाली की हार्दिक शुभकामना!
परवाह न करो चाहे सारा जमाना खिलाफ हो!
चलो उसी रास्ते पर जो सच्चा और साफ हो अमरोहा का यह वायरल वीडियो कब का है इसकी पुष्टि नहीं करते हां यह जरूर है कि
अपनी कार्यप्रणाली को लेकर बदनाम यूपी पुलिस का दीवाली पर एक बेहद ही मानवीय चेहरा सामने आया है, जब यूपी के अमरोहा में पुलिस वालों ने दिवाली पर दीये बेच रहे गरीब बच्चों की मदद कर लाखों लोगों का दिल जीत लिया। उनकी एक फोटो सोशल मीडिया पर काफी तेजी से वायरल हो रही है। इस तस्वीर में दो छोटे-छोटे बच्चे बैठ कर मिट्टी के दीये बेचते हुए दिखाई दे रहे हैं वहीं उनके सामने पुलिस वाले खड़े हुए दिखाई दे रहे हैं। दरअसल इस घटना को एक फेसबुक यूजर ने अपनी बॉल पर शेयर किया था।
जिसके बाद से लोग पुलिसवालों की तारीफ कर रहे जिस पर अकेले फेसबुक पर एक दिन में एक लाख से ज्यादा लाइक, 11 हजार शेयर और करीब 3 हजार कमेंट मिल चुके हैं, जिनमें लोग पुलिसवालों को सैल्यूट कर रहे हैं।
एक यूजर ने शेयर किया था वाक्या
एक यूजर ने अपनी पोस्ट में लिखा- ‘दिवाली का बाजार सजा है। तभी पुलिस का एक दस्ता बाजार का मुआयना करने पहुंचता है। चश्मदीद का कहना है कि दस्ते में सैद नगली थाना के थानाध्यक्ष नीरज कुमार थे। दुकानदारों को दुकानें लाइन में लगाने का निर्देश दे रहे थे, उनकी नजर इन दो बच्चों पर गई। जो जमीन पर बैठे कस्टमर का इंतजार कर रहे हैं। चश्मदीद का कहना है कि मुझे लगा अब इन बच्चों को यहां से हटा दिया जाएगा। बेचारों के दीये बिके नहीं और अब हटा भी दिए जाएंगे। रास्ते में जो बैठे हैं…।
पुलिसवालों से बोले बच्चे- हम गरीब हैं, कैसे मनाएंगे दिवाली
??लोगों से विनम्र अपील गरीबों से खरीदे सामान जिससे मने उनके घर दिवाली

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