एक दूसरे का बोझ नहीं उठाता,मगर बेटे की ज़िम्मेदारी है कि बाप का बोझ उठाए – मौ0 जाबिर जौरासी अज़ाने अकबरे सरवर तो हो चुकी रन में ,तुम्हारा काम सदा से सदा मिला देना – डा 0 रज़ा मौरान्वी
नेवाज अंसारी संवाददाता एस0एम0 न्यूज 24 टाइम्स)
बाराबंकी । एक दूसरे का बोझ नहीं उठाता,मगर बेटे की ज़िम्मेदारी है कि बाप का बोझ उठाए । बाप की क़ज़ा अदा करना बेटे का फ़र्ज है । यह बात मस्जिद इमामिया जामा मस्जिद में बादे नमाज़े जमा मौ0 जाबिर जौरासी ने मौलाना अली मेहदी के वालिद मरहूम नक़ी हैदर की ईसाले सवाब की मजलिस को खिताब करते हुये कही । उन्होने यह भी कहा कि हर जगह नहीं बोलना चाहिये,मगर जहां हक़ दब रहा हो वहां खामोश नहीं रहना चाहिये।आपसी इख्तेलाफ मिटाएं इत्तेहाद के लिए हाथ आगे बढ़ाएं ।उन्होने यह भी कहा दुनियां में फकत एक मुल्क ईरान है जहां इस्लामी हुकूमत है ।अमरीका और इजराईल जिससे दोस्ती करे वो नाहक़ पर और जिसकी मुखालफत करे वो हक़ पर है।इस्लाम फैलाने काबेहतरीन ज़रीया फर्शेअज़ा व अज़ादारी है । आखिर में कर्बलावालों के मसायब बयान किया जिसे सुनकर सभी रोने लगे ।मजलिस से पहले अपना कलाम पेश करते हुये
डॉ 0 रज़ा मौरान्वी ने पढ़ा – अज़ाने अकबरे सरवर तो हो चुकी रन में , तुम्हारा काम सदा से सदा मिला देना ।मजलिस का आगाज़ मौलाना अली मेहदी ने तिलावते कलामे पाक से किया । आखि में मौलाना अली मेहदी ने सभी का शुक्रिया अदा किया ।नेवाज अंसारी संवाददाता एस0एम0 न्यूज 24 टाइम्स)
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