पसमांदा आंदोलन एक सामाजिक आंदोलन: वसीम राईन ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज के प्रदेश अध्यक्ष ने कही बात

सगीर अमान उल्लाह जिला ब्यूरो बाराबंकी

बाराबंकी। सामाजिक आंदोलन कछुए की तरह होते हैं। जो धीरे-धीरे चलते हैं और जमीन पर अपनी छाप छोड़ते जाते है। पसमांदा आंदोलन भी एक सामाजिक आंदोलन ही है। उक्त विचार ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज के प्रदेश अध्यक्ष वसीम राईन ने व्यक्त किये। श्री राईन ने आगे कहा कि राजनीतिक आंदोलन सामाजिक आंदोलन से कई मायने में अलग होते हैं। सामाजिक आंदोलन राजनितिक आंदोलन को जमीन देते है अर्थात सामाजिक आंदोलन का परिणाम राजनीतिक आंदोलन हैं। श्री राईन ने आगे बताया की दलित आंदोलन का इतिहास देखें कम से कम सैकड़ो साल पुराना इतिहास है इस आंदोलन का और आज भी दलित बुद्धिजीवी दलित आंदोलन को मजबूत कर रहे हैं जबकि एक राजनीतिक आंदोलन के रूप में दलित आंदोलन बहुत पुराना नहीं है। पसमांदा आंदोलन को फर्क नही पड़ता की कोई विरोध करता हैं बल्कि इससे फायदा ज्यादा है पसमांदा समाज को सत्ता एवं राजनितिक पार्टियो के संगठन में हिस्सेदारी मिलनी चाहिए पसमांदा समाज का इस्तेमाल सिकुलर के नाम पर बहुत किया गया हैं वोट हमारा राज तुम्हारा बहुत चला अब नही चलेगा। इस मौके पर पसमांदा समाज के कार्यकर्ता मौजूद रहे।सगीर अमान उल्लाह जिला ब्यूरो बाराबंकी 

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