आतंकी हमलों से निपटने में सक्षम होंगी राज्यों की पुलिस

समाचार एजेंसी न्यूज़ एसएम न्यूज़ के साथ 9889789714

नई दिल्ली । देश की सबसे सक्षम कमांडो फोर्स- नेशनल सिक्योरिटी गार्ड्स एनएसजी की तर्ज पर कई राज्यों में पुलिस बलों को नई सुरक्षा चुनौतियों के मद्देनजर बहु लक्ष्यीय हमलों से निपटने में सक्षम बनाया जाएगा। राज्यों के पुलिस बलों की एनएसजी के साथ साझा ट्रेनिंग को विस्तार दिया जाएगा। इसमें केंद्र राज्यों को मदद करेगा, जिससे राज्यों में काम करने वाली फोर्स भी ज्यादा चुनौतीपूर्ण स्थितियों का सामना कर सकें। सूत्रों ने बताया, देश के अलग-अलग शहरों में अब तक हुए अलग-अलग तरह के हमलों को केस स्टडी के तौर पर ट्रेनिंग में रखा गया है। साथ ही दुनियाभर के आतंकी हमलों के रुझान और सुरक्षा विशेषज्ञ एजेंसियों के इनपुट को ध्यान में रखकर सुरक्षा बलों को आधुनिक तकनीक से लैस किया जा रहा है। सूत्रों ने कहा कि आगामी बजट में भी सुरक्षा बलों को अत्याधुनिक तकनीक से लैस करने और आधुनिक जरूरतों के हिसाब से अपडेट करने की जरूरतों पर ध्यान देकर राशि का प्रावधान किया जाएगा। एनएसजी द्वारा लगातार जवानों को प्रशिक्षित किया जा रहा है। इसे राज्यों के स्तर पर विस्तार देने की योजना पर काम हो रहा है। सूत्रों ने कहा कि सुरक्षा बल अपनी पुख्ता तैयारी करना चाहते हैं कि अगर कभी देश के दुश्मनों ने एक वक्त में कई शहरों को निशाना बनाने की साजिश रची तो उन्हें तत्काल मुंहतोड़ जवाब दिया जा सके। इसकी चर्चा आंतरिक सुरक्षा को लेकर बैठक में भी हुई थी। सूत्रों ने कहा, सुरक्षा एजेंसिया चाहती हैं कि भारत जैसे देश मे ये तैयारी विभिन्न स्तरों पर होनी चाहिए। बैकअप प्लान के तहत राज्यो के सुरक्षा बलों में विशेष दस्ते बहु लक्ष्यीय से निपटने में सक्षम हों ये कोशिश हो रही है। गौरतलब है कि वर्ष 2008 में हुए मुंबई हमले में एनएसजी ने इस तरह के हमले का सामना किया था। अब तकनीक और रणनीतिक तैयारियों में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है। इलेक्ट्रॉनिक गैजेट के अलावा कमांडो बल ने अपने कुत्तों के लिए के- 9 कैमरा सिस्टम भी खरीद लिया है। कई अत्याधुनिक उपकरण सुरक्षा बल के पास हैं जिनमे नुकसान को कम करते हुए आतंकी हमलों को नाकाम किया जा सके। किसी ऑपरेशन के दौरान 360 डिग्री नजर रखने की छमता सुरक्षा दस्तों के पास है। सूत्रों ने कहा, के- 9 आतंकियों के खिलाफ लड़ने के लिए कमांडरों को मजबूत बनाती है। इस तकनीक के जरिए ऑपरेशनल कमांडर को कुत्ते के चश्मे पर लगे कैमरों से यह पता चल जाता है कि वह किस संदिग्ध जगह या दुश्मन को देख रहा है।

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