अमेरिकी संसद पर ट्रंप समर्थकों का हमला, कैपिटल हिल हिंसा में चार की मौत, भारी मात्रा में विस्फोटक बरामद
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20 जनवरी से पहले ही पद से हटाए जा सकते हैं ट्रंप
वाशिंगटन। दुनिया के सबसे पुराने लोकतंत्र का दर्जा हासिल करने वाले अमेरिका में 3 नवंबर को राष्ट्रपति चुनाव 2020 के बाद से डोनान्ड ट्रंप की हटधर्मिता ने लोकतंत्र को जो नुकसान पहुंचाया उसकी परणिति हिंसा के रूप में हुई। दरअसल ऐसी आशंका पहले से ही थी और यही हुआ। 3 नवंबर को ही यह तय हो गया था कि जो बाइडन दुनिया के सबसे ताकतवर देश के अगले राष्ट्रपति होंगे, लेकिन जिद्दी डोनाल्ड ट्रंप को ये मंजूर नहीं है, वो हार मानने को तैयार नहीं दिख रहे। ट्रंप चुनावी धांधली के आरोप लगाकर जनमत को नकारते रहे। इस बीच वाशिंगटन डीसी स्थित कैपिटल हिल पर ट्रंप के समर्थक हिंसक हो गए। उन्होंने संसद में तोड़फोड़ और हिंसा की। इस दौरान पुलिस के साथ झड़प में गोली भी चली। गोली लगने से एक महिला समेत कम से कम चार लोगों की मौत हो गई है। पुलिस ने भारी मात्रा में विस्फोटक भी बरामद किया है। मिलिट्री की स्पेशल यूनिट ने प्रदर्शनकारियों को खदेड़ा। फिलहाल वॉशिंगटन डीसी में गुरुवार शाम 6 बजे तक कर्फ्यू है।
मालूम हो कि अमेरिकी चुनाव में डेमोक्रेट उम्मीदवार जो बाइडन को 306 और ट्रंप को 232 वोट मिले। नतीजे साफ होने के बावजूद ट्रंप ने हार नहीं कबूली। उनका आरोप है कि वोटिंग के दौरान और फिर काउंटिंग में बड़े पैमाने पर धांधली हुई। इसके कारण कई राज्यों में केस दर्ज कराए। ज्यादातर में ट्रंप समर्थकों की अपील खारिज हो गई। दो मामलों में सुप्रीम कोर्ट ने भी उनकी याचिकाएं खारिज कर दीं।
अमेरिका के इतिहास में राष्ट्रपति चुनाव को लेकर बवाल जितना इस बार हुआ है, शायद ही कभी हुआ हो। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप डेमोक्रैट जो बाइडन की जीत स्वीकार करने को पहले ही तैयार नहीं थे लेकिन शायद ही किसी को अंदाजा होगा कि हालात इतने बिगड़ जाएंगे। ट्रंप समर्थक बुधवार को जबरन संसद कैपिटल में घुस गए, हिंसा हुई और चार लोगों की जान चली गई। इतिहासकार बताते हैं कि देश की संसद ने ऐसा हाल कम से कम 200 साल में पहली बार देखा है। यह घटना इतनी गंभीर है कि खुद रिपब्लिकन नेता लोकतंत्र पर हुए इस हमले के बाद डोनाल्ड ट्रंप को बाहर करने की मांग करने लगे हैं।
कैपिटल हिल हिस्टॉरिकल सोसायटी के डायरेक्टर ऑफ स्कॉलशिप एंड ऑपरेशन्स सैम्युअल हॉलिडे ने बताया है कि 1812 के युद्ध के बाद ऐसा पहली बार हुआ है कि कैपिटल में इस तरह दाखिल हुआ गया है। तब अगस्त 1814 में अंग्रेजों ने इमारत पर हमला कर दिया था और आग लगा दी थी। 1954 में हाउस चेंबर में तीन पुरुष और एक महिला विजिटर गैलरी में हथियारों के साथ जाकर बैठ गए थे। प्योर्टो रीकन नेशनलिस्ट पार्टी के ये सदस्य देश की आजादी की मांग कर रहे थे। उन्होंने 1 मार्च, 1954 की दोपहर को सदन में ओपन फायरिंग कर दी और प्योर्टो रीको का झंडा लहरा दिया। इस घटना में कांग्रेस के पांच सदस्य घायल हुए थे।
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