सांस रोकने और कम सांस लेने से कोरोना संक्रमण बढ़ने का खतरा ज्यादा

संपादक मोहिनी शर्मा एडवोकेट एसएम न्युज24 टाइम्स 8004283330

नई दिल्ली । भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मद्रास के अनुसंधानकर्ताओं ने पाया है कि सांस रोकने से कोविड-19 संक्रमण होने का खतरा बढ़ सकता है। अनुसंधानकर्ताओं ने पता लगाने के लिए प्रयोगशाला में सांस लेने की आवृत्ति का एक मॉडल तैयार किया कि कैसे वायरस वाली छोटी बूंद के प्रवाह की दर फेफड़ों में इसके जमा होना निर्धारित करती है।अनुसंधानकर्ताओं के दल के अनुसार उन्होंने प्रयोगशाला में सांस लेने की आवृत्ति का मॉडल तैयार कर पाया कि सांस लेने की कम आवृत्ति वायरस की उपस्थिति के समय को बढ़ाती है जिससे इसके जमा होने की संभावना बढ़ जाती है। इसके परिणामस्वरूप संक्रमण होता है। इसके अलावा, फेफड़े की संरचना का किसी व्यक्ति के कोविड-19 के प्रति संवेदनशीलता पर भी महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। आईआईटी-मद्रास के ‘डिपार्टमेंट ऑफ एप्लाइड मैकेनिक्स के प्रोफेसर महेश पंचागानुला ने कहा, हमारे अध्ययन से पता चला है कि कण कैसे गहरे फेफड़ों में पहुंचते हैं और कैसे वहां जमा होते हैं। प्रोफेसर पंचागानुला ने कहा कि उन्होंने पाया है कि सांस रोककर रखने और कम सांस लेने की दर से फेफड़ों में वायरस के जमने की संभावना बढ़ सकती है। इस अध्ययन से श्वसन संक्रमण के लिए बेहतर चिकित्सा और दवाओं के विकास का मार्ग प्रशस्त हुआ है। टीम के अन्य सदस्यों में आईआईटी मद्रास के अनुसंधानकर्ता अर्नब कुमार मलिक और सौमल्या मुखर्जी शामिल थे।

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