मजबूत साक्ष्यों के बावजूद आवेदक का नाम सूची में दर्ज न करने वाली बीएलओ की भूमिका संदेह के घेरे में मौके पर जाकर जांच पड़ताल किए बगैर दे डाला थाने में शिकायती पत्र मानसिक रूप से पीड़ित आवेदक दर दर भटकने को मजबूर

मामुन अंसारी जिला ब्यूरो बाराबंकी(एस0एम0 न्यूज 24 टाइम्स)9044641489

बाराबंकी। आसन्न त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव से संबंधित मतदाता सूची संशोधन में लगे कुछ बीएलओ स्वयं को बाहुबली से कम नहीं समझते। यही नहीं बल्कि एक महिला बीएलओ ने तो एक ग्राम पंचायत के प्रधान पद के एक संभावित प्रत्याशी द्वारा मजबूत साक्ष्य प्रस्तुत करने के बावजूद उसका नाम मतदाता सूची में दर्ज न करने की जबरदस्त हठधर्मी अपना रखी है। और तो और जब आवेदक ने बीएलओ से समस्त साक्ष्य जायज होने के बाबत विनम्र तर्क वितर्क किया तो महिला बीएलओ ने थाने में उसके विरुद्ध अभद्रता करने का फर्जी प्रार्थना पत्र तक दे डाला। जिसकी पुलिस ने जांच शुरू कर दी है। मामला विकासखंड देवा की ग्राम पंचायत मामापुर से संबंधित है। बता दें कि पूर्व में कहीं और के निवासी शैलेंद्र यादव   उर्फ छोटे अब अपने परिवार सहित समस्त सरकारी अभिलेखों के आधार पर ग्राम पंचायत मामा पुर के निवासी हैं तथा आने वाले चुनाव में यहां से प्रधान पद का चुनाव लड़ने के इच्छुक हैं। बात अगर शैलेंद्र के मामा पुर के अभिलेखों के विषय में की जाए तो उनके पास यहां की वोटर आईडी आधार कार्ड यहां तक कि कार्यालय ग्राम पंचायत मामापुर द्वारा जारी परिवार रजिस्टर की नकल जिसमें उनके परिवार के नाम साफतौर पर दर्ज हैं मौजूद हैं। फिर भी यहां की महिला बीएलओ जिनका नाम प्रभादेवी बताया जाता है। शैलेंद्र यादव छोटे का नाम मतदाता सूची में दर्ज करने से साफ इंकार कर रही हैं। उनका कहना यह है कि अन्य संभावित प्रत्याशी शैलेंद्र यादव छोटे के मामापुर निवासी होने को लेकर आपत्ति कर रहे हैं। इस संबंध में जब शैलेंद्र ने प्रभादेवी को अपने समस्त अभिलेख उपलब्ध कराने का प्रयास किया तो उन्होंने यह अभिलेख मानने से साफ इंकार करते हुए कहा कि वह उनका नाम मतदाता सूची में दर्ज नहीं कर सकती क्योंकि अन्य प्रत्याशियों को ऐतराज है शैलेंद्र ने प्रभादेवी से यहां तक कहा कि वह मामापुर में मौके पर पहुंचकर जांच पड़ताल भी कर सकती हैं लेकिन प्रभादेवी ने उनकी एक नहीं सुनी। काबिले गौर है कि एक जिम्मेदार पद पर रहने वाली प्रभादेवी अपने कर्तव्य से विमुख होकर उनकी बात को महत्त्व दे रही हैं जिनका केवल एक उद्देश्य है कि मामापुर पंचायत से शैलेंद्र यादव प्रधान पद का चुनाव न लड़ने पाएं और मौके पर जांच न करके सीधे थाने तक पहुंच गई जबकि होना यह चाहिए कि प्रभा देवी द्वारा साक्ष्यों के आधार पर मौके पर जाकर जांच करके सही पाए जाने पर शैलेंद्र का नाम मतदाता सूची में दर्ज कर लेना चाहिए था बाकी किसी की आपत्ति से उनका क्या लेना देना था। क्योंकि मतदाता सूची में नाम दर्ज करने के लिए उनको केवल मजबूत साक्ष्यों की जरूरत जो थी। कुल मिलाकर परिस्थितियों के मुताबिक इस जायज मामले में बेमतलब की न नुकुर करने वाली प्रभादेवी की भूमिका संदिग्ध मानी जा रही है। क्योंकि उन्होंने शैलेंद्र के विरुद्ध थाना देवा में अभद्रता करने का प्रार्थना पत्र तक दे डाला है। अर्थात वह अपने आप में स्वयं को सक्षम अधिकारी मानकर चल रही है। जबकि होना यह चाहिए था कि अगर उनको किसी तरह कि कोई दिक्कत पेश आ रही थी तो उनको यह मामला अपने उच्चाधिकारियों के संज्ञान तक पहुंचा कर अंतिम निर्णय उन पर छोड़ देना चाहिए था। जबकि उन्होंने ऐसा ना करके मामले को बिल्कुल व्यक्तिगत धरातल पर लाकर खड़ा कर दिया। प्रभादेवी ने थाना देवा में दिए गए प्रार्थना पत्र में यह तर्क दिया है कि शैलेंद्र मोहल्ला लालापुर नगर पंचायत देवा के निवासी हैं। देखा जाए तो पूर्व में शैलेंद्र यादव लालापुर के निवासी अवश्य थे लेकिन बाद में उन्होंने वहां से अपना मकान इत्यादि हटाकर स्वयं को ग्राम पंचायत मामापुर में शिफ्ट कर लिया और वर्तमान में ऐसा कोई भी दस्तावेज नहीं जो यह सिद्ध कर सके की शैलेंद्र यादव मोहल्ला लालापुर के निवासी हैं। एक मजबूत बात यह भी कि ग्राम पंचायत मामापुर से संबंधित अभिलेखों में शैलेंद्र यादव ही नहीं बल्कि उनकी पत्नी तक का नाम आधार कार्ड वोटर आईडी एवं परिवार रजिस्टर की नकल में साफ तौर पर प्रदर्शित होता है। कुल मिलाकर मामले में प्रभादेवी की भूमिका पूरे तौर से संदेह के घेरे में हैं बताने की आवश्यकता नहीं है कि एक जायज मामले को प्रतिष्ठा बनाकर किसी का मानसिक उत्पीड़न किन परिस्थितियों में किया जा रहा है। यहां तक की बात बिना किसी जड़ बुनियाद के थाने तक पहुंचा दी गई है। अब प्रभादेवी का इसमें क्या फायदा है या उनको इसका क्या फायदा मिला है यह तो वही जाने लेकिन मामले की वास्तविकता में कुछ और ही झलकता है देखना यह है कि निकट भविष्य में प्रभा देवी की नाहक प्रतिष्ठा मामले को कहां तक ले जाती है। फिलहाल प्रभादेवी द्वारा मानसिक रूप से बुरी तरह पीड़ित शैलेंद्र यादव छोटे हताश निराश हालत में न्याय के लिए दर दर भटकने पर विवश है।

मामुन अंसारी जिला ब्यूरो बाराबंकी(एस0एम0 न्यूज 24 टाइम्स)9044641489

 

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