सधी यात्रा में मग्न मोदी के लिए दीवाल तोड़ने वाले सिद्धार्थ चौधरी अजीत सिंह के गढ़ में फूंकी भाजपा किसान मोर्चा में जान।

कृष्ण कुमार द्विवेदी (राजू भैया)https://www.smnews24.com/?p=2573&preview=true

स्वर्गीय पुत्तू अवस्थी के पुत्र सिद्धार्थ के राजनीतिक अभियान पर लगी है निगाहें।

लखनऊ। बीते 30 अप्रैल को बाराबंकी जनपद के हैदरगढ़ में एक जनसभा को संबोधित करने आ रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यक्रम में जब एक दीवार अड़चन बनी तो भाजपा किसान मोर्चा के नेता सिद्धार्थ अवस्थी ने उसे खुद तोड़ डाला। यही नहीं उन्होंने इस सफल कार्यक्रम की जिम्मेदारियों को भी खूब आगे बढ़कर निभाया ।संगठन को ही सर्वोपरि मानने वाले अवस्थी का यह समर्पित राजनीतिक अभियान क्या रंग लाएगा इस पर सभी की निगाहें जमी हुई है?

एक जमाने में प्रदेश के कद्दावर नेता के रूप में स्थापित स्वर्गीय पंडित सुरेंद्र नाथ अवस्थी पुत्तू भैया के सबसे छोटे पुत्र सिद्धार्थ अवस्थी सिद्धू आज अपने पिता के वैभव को वापस लौटाने के लिए प्रयासरत हैं। विदेश में अच्छी शिक्षा ग्रहण करके लौटे सिद्धार्थ जब आम जन की भाषा में लोगों से वार्ता करते हैं तब नहीं लगता कि यह युवा विदेश में पढ़ा है । भाजपा में अच्छी राजनीतिक मंजिल की तलाश में लगे सिद्धार्थ ने अपना पूरा समय भाजपा के संगठन को दे रखा है। वर्तमान में वे भारतीय जनता पार्टी के किसान मोर्चा के प्रदेश मंत्री हैं। जबकि उन्होंने सदस्यता अभियान से लगाकर पन्ना प्रमुख तक के कार्य को भी बखूबी अंजाम दिया है।

पिछले विधानसभा चुनाव में सिद्धार्थ बाराबंकी जनपद के रामनगर विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के टिकट के दावेदार थे। लेकिन उन्हें उस समय पार्टी ने टिकट नहीं दिया था। जिस पर इस युवा नेता ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा था कि मुझे टिकट नहीं मिला इसका मुझे कोई गम नहीं है। फिर कौन कहता है कि मुझे टिकट नहीं मिला। मुझे पार्टी ने बाराबंकी जनपद की सभी 6 विधानसभा सीटों पर टिकट दिया है जहां पर मुझे पार्टी के लिए प्रचार का काम करना है। वहाँ मैं एक कार्यकर्ता के तौर पर अड़िग रहूंगा ।पार्टी नेतृत्व ने युवा नेता की इसी भावना को देखते हुए उन्हें किसान मोर्चा प्रदेश स्तर पर ताजपोषित किया।सिद्धार्थ को पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी किसान मोर्चा के काम को आगे बढ़ाने के लिए भेजा गया।

रालोद नेता चौधरी अजीत सिंह के गढ़ बागपत सहित कई अन्य आसपास के जिलों में सिद्धार्थ ने भाजपा किसान मोर्चा संगठन के कार्य को बखूबी आगे बढ़ाया। जिसका परिणाम बीते लोकसभा चुनाव में भी दिखाई दिया। यही नहीं इस युवा नेता ने पार्टी के निर्देश पर केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के चुनाव के लड़ने के समय अमेठी में भी खूब काम किया।

लोकसभा चुनाव के दरमियान जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कार्यक्रम हैदरगढ़ में तय हुआ तो सिद्धार्थ के प्रयास से ही वह कार्यक्रम स्वर्गीय पुत्तू अवस्थी के द्वारा स्थापित ग्राम्यांचल महाविद्यालय के बड़े मैदान में भाजपा के द्वारा लगाया गया। यहां प्रधानमंत्री के कार्यक्रम की तैयारियों के बीच एक बड़ी दीवार बाधा बन रही थी। जिसे सिद्धार्थ ने स्वयं जेसीबी चलाकर तोड़ दिया ।उन्होंने उस समय कहा था कि प्रधानमंत्री जी हैदरगढ़ आ रहे हैं यह हम सभी का सौभाग्य है। ऐसे में दीवाल पेड़ अथवा कोई भी बाधा इसमें आड़े नहीं आ सकती। खास बात यह भी थी कि सिद्धार्थ इस दौरान बीमार भी हो गए थे।उन्हें अस्पताल में भर्ती भी होना पड़ा था।

युवा भाजपा नेता सिद्धार्थ अवस्थी संगठन को ही सर्वोपरि मानते हैं ।वह भले ही स्वर्गीय सुरेंद्र नाथ अवस्थी पुत्तू भैया के छोटे पुत्र हो अथवा प्रदेश के उपमुख्यमंत्री डॉ दिनेश शर्मा के सगे संबंधी हो। लेकिन उनका मानना है की जमीनी स्तर पर काम करने के बाद जब किसी पद की प्राप्ति होती है तब ही एक आम व्यक्ति की पीड़ा का जनप्रतिनिधि को एहसास होता है। विदेश में पढ़े एकदम युवा सिद्धार्थ किसानों के बीच ऐसे घुल मिलकर बात करते हैं जैसे लगता है कि वह पेशेवर किसान हो। जाहिर है कि आज सिद्धार्थ के कंधों पर स्वर्गीय अवस्थी जी के वैभवशाली राजनीतिक आभामंडल को दोबारा स्थापित करने की जिम्मेदारी है। ऐसे में वह इसे पूरा करने में कितना सफल होंगें इसके जवाब आज भविष्य के गर्त में हैं। यही नहीं लोगों की निगाहें इस बात पर भी जमी हुई है कि भाजपा संगठन सिद्धार्थ का उपयोग किस तरह से आने वाले समय में करता है! विभिन्न सामाजिक संगठनों से जुड़े इस युवा नेता से जब भी बात होती है उनका यही कहना होता है कि मैं संगठन का हूं और संगठन से बड़ा कोई नहीं। संगठन जो निर्देश देगा मुझे उसका पालन करना है। गौरतलब यह भी हो कि बीते नगर निकाय के चुनाव में जब उनकी मां ने कांग्रेस के टिकट पर लखनऊ से महापौर का चुनाव लड़ा था तो उस समय भी सिद्धार्थ भाजपा के साथ खड़े नजर आए थे। उनके इस कदम से जहां उनका भाजपा के प्रति अड़िग समर्पण दिखाई दिया था वही उनके विरोधियों के मुंह पर भी ताले पड़ गए थे। यह अलग बात है कि बाद में उनकी मां प्रेमा अवस्थी भी भाजपा में शामिल हो गई। कुल मिलाकर भाजपा किसान मोर्चा को सियासी स्तर पर मजबूत करने में जुटे सिद्धार्थ के राजनीतिक जीवन का अगला पड़ाव क्या होगा इस पर तमाम राजनीतिक दरबारों की निगाहें जमी हुई है? सधी सियासी यात्रा में मग्न एवं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए अपने महाविद्यालय की दीवार तोड़ डालने वाले युवा नेता का भाजपा आगे चलकर कैसा उपयोग करती है। इस पर सिद्धार्थ के समर्थकों की ही नहीं बल्कि उनके राजनीतिक विरोधियों की नजरें इस पर गड़ी हुई है?

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