धक-धक करने लगा! ओ मोरा जियरा डरने लगा? उच्च न्यायालय के आदेश के बाद बदली पंचायत चुनाव की आबोहवा पहले जो हो गए थे निराश, अब उनकी फिर बंधी आस?

कृष्ण कुमार द्विवेदी(राजू भैया)

जो जुटे थे प्रचार में! अब तप रहे हैं आने वाली आरक्षण सूची के बुखार में

बाराबंकी। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के आदेश ने पंचायत चुनाव की आबोहवा एक बार फिर से बदल दी है। अब पंचायत चुनाव की आरक्षण सूची फिर से बदलेगी ।प्रचार कर रहे प्रत्याशी आने वाली आरक्षण सूची के बुखार में तपने शुरू हो गए हैं। जबकि पहले की सूची से निराश हो चुके संभावित उम्मीदवारों की आस फिर से बंध गई है। पूरे बदले माहौल को देखकर चर्चा में कई संभावित प्रत्याशी मुस्कुरा कर बोले भैया क्या करें? उफ़ आरक्षण सूची!”धक-धक करने लगा,,मेरा जियरा डरने लगा?

हाईकोर्ट ने कहा है कि 2015 में हुए आरक्षण को बेस मानकर इस बार भी आरक्षण लिस्ट तैयार की जाए। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच का यह फैसला योगी सरकार के लिए झटका माना जा रहा है। हाईकोर्ट ने 25 मई तक पंचायत चुनाव करवाने के भी निर्देश दिए हैं। अब इस फैसले के बाद आरक्षण लिस्ट फिर से बनेगी। जिससे कई ग्राम पंचायतों में चुनावी समीकरण बदल जाएंगे। हाईकोर्ट ने अजय कुमार की तरफ से दाखिल याचिका पर फैसला सुनाते हुए राज्य सरकार और राज्य चुनाव आयोग से कहा कि 2015 को आरक्षण का बेस वर्ष मानकर काम पूरा किया जाए। कोर्ट ने पंचायत चुनाव को 25 मई तक पूरा करने के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने कहा है कि 27 मार्च तक आरक्षण लिस्ट भी फाइनल हो जाना चाहिए। फिलहाल यह तो है उच्च न्यायालय का आदेश! लेकिन पंचायत चुनाव में जुटे दिग्गजों की इस आदेश ने नींद हराम कर दी हैं। इसे लेकर राजनीतिक गुणा भाग तेज हो गया है।

योगी सरकार के द्वारा जारी की गई आरक्षण सूची के बाद जहां एक वर्ग इसे लेकर उत्साहित था। वही दूसरा वर्ग इसे लेकर हतोत्साहित था? पहले चुनाव की तैयारी कर रहे लोग लाखों रुपया चुनाव लड़ने के लिए उड़ा चुके थे? लेकिन जारी आरक्षण सूची ने उनकी तमन्ना पर ब्रेक लगा दिया था ।और फिर बदली स्थिति में नए-नए प्रत्याशी अथवा जी हुजूरी करने वाले रबर स्टांप टाइप के लोग प्रत्याशी बनकर जनता की अदालत में हाजिरी देते नजर आने लगे थे। गोपनीय ढंग से फ्री पान मसाला, तंबाकू, बीड़ी, सिगरेट एवं दारू तथा मुर्गा की पार्टी जारी थी? कईयों का प्रधानी एवं जिला पंचायत तथा बीडीसी के लिए हजारों लाखों रुपए स्वाहा हो चुका था/है? तो कईयों का स्वाहा होना जारी था ।कई सपने में पंचायत प्रतिनिधि बन चुके थे। खाऊ कमाऊ बीर चुनाव लड़ने की चाहत रखने वाले लोगों के आजू-बाजू जमे थे? चुनाव लड़ने वाले भैया पुरखों की रकम से लगाकर अपनी मेहनत की कमाई को पानी की तरह उड़ा रहे थे! लेकिन एकाएक पलटी बाजी ने ऐसे तमाम चुनाव लड़ रहे प्रत्याशियों की उम्मीदों का गुड़ गोबर कर दिया!

जाहिर है कि अब फिर से आरक्षण सूची बनेगी ।बदली स्थिति में अब जहां उन प्रत्याशियों के सपनों को पंख लग गए हैं जिन्हें हाल ही में प्रदेश सरकार के द्वारा जारी सूची ने चुनाव मैदान से बाहर कर दिया था !वहीं चुनाव लड़ने की तैयारी में जुटे ऐसे कई संभावित प्रत्याशियों के माथे पर भी चिंता की लकीरें खिंच गई हैं! जिन्होंने अब तक इसके लिए काफी कुछ कर डाला है? पहले की आरक्षण सूची से चुनाव मैदान से बाहर हुए चुनावी जांबाज एवं चुनाव लड़ रहे निवर्तमान सूची के संभावित उम्मीदवारों जब दोनों से बात की गई तो सभी भगवान का नाम जपते नजर आए ?कईयों ने तो कहा आरक्षण सूची ने तो नींद हराम कर दी! लाखों रुपया बर्बाद हो गया? आरक्षण सूची ने फिर रूप बदल लिया ।अब तो हमारा यही हाल है कि जो कुछ होगा वह स्वीकार करना पड़ेगा।

स्पष्ट है कि उच्च न्यायालय ने यूपी सरकार के द्वारा निर्धारित 1995को आधार वर्ष नहीं माना। जबकि कटु सत्य यह भी है कि प्रदेश सरकार के द्वारा पंचायत चुनाव में जो आरक्षण सूची जारी की गई थी ।उसे लेकर प्रदेश एवं स्वयं बाराबंकी जनपद के कई गांव एवं जिला पंचायत तथा क्षेत्र पंचायत क्षेत्रों में काफी रोष देखा जा रहा था? खास यह भी है कि 500 से ज्यादा आपत्तियां आरक्षण पर तमाम लोगों के द्वारा की गई थी लेकिन सभी आपत्तियों को जिला प्रशासन ने खारिज कर दिया था!ऐसे कई आपत्तिकर्ताओं ने बातचीत के दौरान कहा कि भगवान के घर देर है अंधेर नहीं है! तानाशाही के फैसले को माननीय उच्च न्यायालय ने आईना दिखा दिया।फिलहाल सरकार के द्वारा जारी की गई सूची एवं अब आगे आने वाले आरक्षण की नई सूची को लेकर चुनाव लड़ने वाले योद्धाओं की धुकधुकी बढ़ चली है। तर्क- वितर्क का दौर जारी हो चला है। अपने अपने इष्ट देवता का प्रसाद माना जा रहा है? कुछ ने तो जुगाड़ का हथियार भी चलाना शुरु कर दिया है। जबकि आने वाली नई आरक्षण सूची से बेचैनी के बादल में घिरे ऐसे कई प्रत्याशी बोले हम तो यही गाना गा रहे हैं “धक-धक करने लगा,, मोरा जियरा डरने लगा,,??

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