पीएम मोदी ने बांग्लादेश की आजादी में भारतीय सैनिकों के बलिदान और तत्कालीन पीएम इंदिरा के रोल का खास जिक्र

समाचार एजेंसी न्यूज़ एसएम न्यूज़ के साथ 9889789714

ढाका । बांग्लादेश की आजादी की 50वी सालगिरह के जश्न के लिए ढाका में हुए कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत-बांग्लादेश संबंधों, दोनों देशों की साझी विरासतों और साझा लक्ष्यों पर विस्तार से बात की। इस मौके पर प्रधानमंत्री ने बांग्लादेश की आजादी में भारत की भूमिका, भारतीय सैनिकों के बलिदान और तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के रोल का खास जिक्र किया। साथ ही उन्होंने, मुक्ति संग्राम के दौरान पाकिस्तानी सेना के अत्याचारों और नरसंहार की याद दिलाकर कहा कि उन अत्याचारों और दमन की दुनिया में उतनी चर्चा नहीं होती, जितनी होनी चाहिए।

इस मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने फील्ड मार्शल मानेक शॉ, जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा, इंदिरा गांधी, अटल बिहारी वाजपेयी, गुरुदेव रविंद्र नाथ टैगोर, काजी नजरूल इस्लाम, पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी जैसी शख्सियतों का भी खास तौर पर जिक्र किया। पीएम मोदी ने बताया कि किस तरह उन्होंने खुद 20-22 साल की उम्र में बांग्लादेश की आजादी के लिए सत्याग्रह किया था और जेल भी गए थे।

मुझे खुशी है कि बांग्लादेश की विकास यात्रा के इस अहम पड़ाव में आपने मुझे भी शामिल किया। आज बांग्लादेश का राष्ट्रीय दिवस है,वहीं स्वाधीनता की 50वीं वर्षगांठ भी है। इसी साल ही भारत-बांग्लादेश मैत्री के 50 वर्ष भी पूरे हो रहे हैं। मैं सभी भारतीयों की तरफ से आप सभी को हार्दिक बधाई देता हूं। मैं बंग बंधु शेख मुजीबुर्रहमान को आदरपूर्वक श्रद्धांजलि देता हूं।

हम भारतवासियों के लिए गौरव की बात है कि हमें शेख मुजीबुर्रहमान जी को गांधी शांति पुरस्कार देने का मौका मिला। अभी इस कार्यक्रम में भव्य प्रस्तुति देने वाले सभी कलाकारों की भी सराहना करता हूं। मैं आज याद कर रहा हूं बांग्लादेश के उन लाखों बेटों-बेटियों को जिन्होंने अपने देश, अपनी भाषा, अपनी संस्कृति के लिए अनगिनत अत्याचार सहे, अपना खून दिया, अपनी जिंदगी दांव पर लगा दी। मैं आज याद कर रहा हूं मुक्तियुद्ध के शुरवीरों को।

मैं आज भारतीय सेना के उन वीर जवानों को भी नमन करता हूं जो मुक्ति युद्ध में बांग्लादेश के भाई-बहनों के साथ खड़े हुए। जिन्होंने मुक्ति युद्ध में अपना लहू देकर आजाद बांग्लादेश के सपने को साकार करने में बहुत बड़ी भूमिका निभाई। फील्ड मार्शल सैम मानिक शॉ, जनरल अरोड़ा (जगजीत सिंह अरोड़ा), जनरल जैकब, लॉन्स नायक एल्बर्ट एक्का, ग्रुप कैप्टन चंदन सिंह, कैप्टन मोहन नारायण राव सामंत. इसतरह के अनगिनत कितने ही वीर हैं जिनके नेतृत्व और साहस की कथाएं हमें प्रेरित करती है। बांग्लादेश सरकार के द्वारा इन वीरों के सम्मान में वॉर मेमोरियल समर्पित किया गया है। इसके लिए आपका आभार व्यक्त करता हूं। मुझे खुशी है कि मुक्ति युद्ध में शामिल कई भारतीय सैनिक आज इस कार्यक्रम में हमारे साथ उपस्थित हैं। बांग्लादेश की आजादी के उस संघर्ष में शामिल होना भी मेरे जीवन के पहले आंदोलनों में से एक था। मेरी उम्र 20-22 साल रही होगी जब मैंने और मेरे साथियों ने बांग्लादेश की आजादी के लिए सत्याग्रह किया था। तब मैंने गिरफ्तारी भी दी थी और जेल जाने का अवसर भी आया था। यानी बांग्लादेश की आजादी के लिए जितनी तड़प इधर थी, उतनी ही तड़प उधर भी थी।

इस मौके पर पीएम मोदी ने पाकिस्तान की सेना ने जो जघन्य अपराध और अत्याचार किए, वहां तस्वीरें आज भी विचलित करती थीं। कई दिन तक सोने नहीं देती थीं। गोविंदो हलधर जी ने कहा था कि जिन्होंने अपने रक्त के सागर से बांग्लादेश को आजादी दिलाई, हम उन्हें भूलने वाले है।

एक निरंकुश सरकार अपने ही नागरिकों का नरसंहार कर रही थी। उनकी भाषा, उनकी आवाज और उनकी पहचान को कुचल रही थी। ऑपरेशन सर्च लाइट की उस क्रूरता को, दमन और अत्याचार के बारे में विश्व ने उतनी चर्चा नहीं की है, जितनी उसकी चर्चा होनी चाहिए। इन सबके बीच यहां के लोगों और हम भारतीयों के लिए आशा की किरण थे बंग बंधु शेख मुजीबुर्रहमान। उनके हौसले और नेतृत्व ने तय कर दिया था कि कोई भी ताकत बांग्लादेश को गुलाम नहीं रख सकती। बंगबंधु ने ऐलान किया था कि इस बार संग्राम हमारी मुक्ति का संग्राम है, इस बार संग्राम आजादी के लिए है। उनके नेतृत्व में यहां के सभी नागरिक एक साथ आकर मुक्तिवाहिनी बन गए। इसलिए यह अवसर बंग बंधु के आदर्शों, विजन, उनके साहस को भी याद करने का दिन है। ये दिन चिर विद्रोही को फिर से याद करने का समय है।

उन्होंने पूर्व पीएम इंदिरा गांधी का ज्रिक करते हुए बांग्लादेश के स्वाधीनता संग्राम को भारत के कोने-कोने से, हर पार्टी से, समाज के हर वर्ग का समर्थन प्राप्त था। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी जी के प्रयास और उनकी महत्वपूर्ण भूमिका सर्वविदित है। उसी दौर में 6 दिसंबर 1971 को अटल बिहारी वाजपेयी जी ने कहा था कि हम न केवल मुक्तिसंग्राम में अपने जीवन की आहूति देने वालों के साथ लड़ रहे हैं बल्कि हम इतिहास को भी एक नई दिशा देने का भी प्रयत्न कर रहे हैं। आज बांग्लादेश में अपनी आजादी के लिए लड़ने वालों और भारतीय जवानों का रक्त साथ-साथ बह रहा है। यह रक्त ऐसे संबंधों का निर्माण करेगा जो किसी भी दबाव से टूटने वाले नहीं हैं, जो किसी भी कूटनीति का शिकार नहीं बनने वाले हैं। हमारे पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा था कि शेख मुजीबुर्रहमान का जीवन धैर्य, हमारी सरकार ने यह दिखा दिया है कि आपसी विश्वास और सहयोग से हर समाधान हो सकता है। हमारा लैंड बाउंड्री अग्रीमेंट भी इसी का गवाह है। कोरोना के इस कालखंड में भी दोनों देशों के बीच बेहतरीन तालमेल रहा है। भारत को इस बात की बहुत खुशी है कि मेड इन इंडिया वैक्सीन बांग्लादेश के हमारे भाईयों-बहनों के काम आ रही हैं। मुझे याद है जब 26 जनवरी को भारत के गणतंत्र दिवस पर बांग्लादेश के सशस्त्र बलों ने दिल्ली में परेड की थी।

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