कुंभ खत्म करने पर सरकार-संतों में ठनी, जूना अखाड़ा की दो टूक

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पहले चुनावी रैलियां बंद करें, कुंभ तो 12 साल में एक बार आता है
-कई अखाड़ों के संतों का कहना कि सरकार दबाव डालकर कुंभ खत्म करवाने की कर रही है कोशिश

नई दिल्ली । कुंभ में कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए सरकार चाहती है कि जमावड़े को खत्म कर उसे सिर्फ प्रतीकात्मक तौर पर सीमित रखा जाए। इसके लिए साधु-संतों को मनाने की कोशिश हो रही है। साधु-संतों को मनाने के लिए उत्तराखंड सरकार पिछले दो दिनों से गुप्त बैठकें कर चुकी है, लेकिन अखड़े इसके लिए तैयार नहीं हैं। उधर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि से बात कर कुंभ में जमावड़े को खत्म कर उसे सिर्फ प्रतीकात्मक तौर पर सीमित रखने की अपील की है। निरंजनी और आनंद अखाड़ा ने पहले ही अपनी ओर से कुंभ समाप्ति की घोषणा कर दी है। लेकिन, कुछ अखाड़े समय से पहले मेला समाप्ति की बात से नाराज हैं। उनका कहना है कि मेला तय समय तक ही चलेगा। सबसे ताकतवर माने जाने वाले जूना अखाड़े ने साफ कर दिया है कि वह समय से पहले कुंभ खत्म नहीं करेगा और 27 अप्रैल के शाही स्नान में अखाड़े के सभी साधु हिस्सा लेंगे।

उत्तराखंड की तीरथ सरकार सीधे मेला खत्म करने की घोषणा कर साधु-संतों से विवाद मोल नहीं लेना चाहती है। इसलिए बैठकों का सहारा लिया जा रहा है। इन बैठकों का कुछ असर भी दिखा। दो दिन पहले निरंजनी और आनंद अखाड़े ने अपनी ओर से मेला समाप्ति की घोषणा कर दी थी।
-अखाड़ों में मतभेदलेकिन, कुंभ को समय से पहले खत्म करने की कोशिशों से कई अखाड़े नाराज हैं। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक और श्री जूना अखाड़ा के राष्ट्रीय महामंत्री महंत हरि गिरि कहते हैं कि निरंजनी अखाड़े की ओर से कुंभ समाप्ति के ऐलान के पीछे सरकार का हाथ हैं। वे कहते हैं कि कोई एक अखाड़ा कुंभ खत्म करने की घोषणा नहीं कर सकता। निर्मोही अखाड़े के अध्यक्ष महंत राजेंद्र दास कहते हैं, अखाड़ों को बनाने का पहला मकसद धर्म की रक्षा करना है। साधु-संतों के लिए कुंभ एक महत्वपूर्ण धार्मिक आयोजन है। कुंभ पूरा होगा। 27 अप्रैल का शाही स्नान पूरा किया जाएगा।

-अखाड़ों में संक्रमण की तेज रफ्तार
उधर, राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने चेताया है कि मेले की भीड़ अगर तुरंत कम नहीं की गई तो हालात बहुत गंभीर हो जाएंगे और अखाड़ों के शिविर कोरोना कैंप बनने में देर नहीं लगेगी। सूत्रों के मुताबिक, पुलिस- प्रशासन के अधिकारी भी हाथ खड़े कर चुके हैं और सभी ने मेला खत्म करने की सलाह दी है। 15 अप्रैल को श्री पंच निर्वाणी अखाड़े के महामंडलेश्वर कपिल देव दास की कोरोना से मौत हो गई थी। निरंजनी अखाड़े के सचिव महंत रविंद्रपुरी को भी कोरोना हो गया। उनके साथ अखाड़े के 26 अन्य साधु भी कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। इसके अलावा जूना अखाड़े के दो साधु कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। अलग-अलग अखाड़ों में से कम से कम 50 साधु कोरोना पॉजिटिव हैं। श्री पंच निर्वाणी में पांच साधु कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं।

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