धर्मराज के लिए भगवान जगन्नाथ हैं बुजुर्गों के हाथ दो बार से सदर विधायक बुजुर्गों से करवाते हैं विकास कार्यों का उद्घाटन फीता काटने वाले बुजुर्ग की नहीं देखते जाति व धर्म
कृष्ण कुमार द्विवेदी (राजू भैया)
सुरेश यादव उर्फ धर्मराज का मानना है कि बुजुर्गों का आशीर्वाद है मेरे लिए ब्रह्मास्त्र
बाराबंकी। जिले की सदर विधानसभा से दूसरी बार सपा के विधायक बने धर्मराज यादव उर्फ सुरेश यादव के लिए बुजुर्गों के हाथ भगवान जगन्नाथ जी से कम नहीं है ।तभी तो सपा विधायक अपने विकास कार्यों का उद्घाटन हमेशा बुजुर्गों से ही करवाते हैं! उनका मानना है कि बुजुर्गों का यह आशीर्वाद ही उनके लिए ब्रह्मास्त्र है ।फिलहाल सपा विधायक की यह अदा आम लोगों में चर्चा का विषय तो रहती ही है! बल्कि बड़ों को सम्मान देने की परंपरा के संस्कारों को भी मजबूत बनाती नजर आती है।
जनता के द्वारा चुने जाने वाले माननीय जब विधायक बन जाते हैं तो उनका ज्यादातर यह प्रयास रहता है कि उनके क्षेत्र में हुए विकास कार्यो का उद्घाटन वह अपने हाथों से फीता काटकर स्वंय करें । यही नहीं कई बार तो ऐसे माननीय भी दृष्टिगत हो जाते हैं जो विकास कार्यों के लगने वाले शिलापट एवं उद्घाटन को लेकर पहले से ही निर्देश जारी करते हैं? और जब उनके निर्देश पूरे नहीं होते हैं तो उनकी नाराजगी भी जग जाहिर होती है ?लेकिन सदर से दूसरी बार सपा के विधायक धर्मराज यादव उर्फ सुरेश यादव इस मामले में अलहदा नजर आते हैं। श्री यादव इस बार दूसरी बार समाजवादी पार्टी से सदर विधायक हैं। उन्होंने शायद ही कभी अपने विकास कार्यों का फीता काटकर उद्घाटन किया हो? हम यह नहीं कह सकते कि उन्होंने फीता काटकर उद्घाटन जैसा कार्य नहीं किया किया होगा! लेकिन ज्यादातर उनके विकास कार्य का उद्घाटन गांव के बुजुर्ग ही करते नजर आते हैं। धर्मराज का धर्म बस केवल यह होता है कि वह बुजुर्ग हो। बाकी उन्हें जाति अथवा धर्म से कोई मतलब नहीं रहता।
स्थिति तब बड़ी भावनात्मक बन जाती है जब विधायक सुरेश यादव स्वयं ही गांव के बुजुर्गों को फीता काटने के लिए आग्रह करके आगे बुलाते हैं। गांव में तमाम विभीषिकाओ से जूझने वाले बुजुर्ग जब माननीय विधायक के इस आग्रह के बाद आगे बढ़ते हैं तो उनका ह्रदय आनंद से भर उठता है। और फिर जब कांपते हाथों से वह अपने गांव क्षेत्र में हुए विकास कार्यों का फीता काटते हैं तो उनके हृदय से सपा विधायक के लिए आशीर्वाद की जो धारा निकलती है उसे केवल एहसास किया जा सकता है ।शब्दों में उसका वर्णन नहीं किया जा सकता। तमाम इंटरलॉकिंग सड़कों एवं नाला, नालियों तथा सोलर लाइटों के अलावा अन्य कई ऐसे कार्य हैं जिनका उद्घाटन सदर विधायक बुजुर्गों से ही करवाते हैं।
ऐसे कई बुजुर्गों से जब वार्ता की गई तो उन्होंने खुलकर कहा कि यह हमारा सौभाग्य है कि हमने ऐसा विधायक चुना जो चुनाव जीतने के बाद बुजुर्गों का सम्मान करता है। जाहिर है कि यह हमारी भारतीय संस्कृति की वह परंपरा है जिसे एक आदर्श माना जाता है। सपा विधायक फीता ही बुजुर्गों से नहीं कटवाते बल्कि स्वयं अपने हाथों से उनका माल्यार्पण भी करते हैं। वह सपा पदाधिकारियों को फीता काटने की लाइन में तो खड़ा करते हैं लेकिन गांव के 2-4 बुजुर्गों को प्रमुखता से इसके लिए आगे लाते हैं।यह कार्य वे अपनी पहली विधायकी से लेकर अब तक दूसरी विधायकी तक लगातार करते चले आ रहे हैं। इस संबंध में जब सपा के विधायक धर्मराज यादव उर्फ सुरेश यादव से चर्चा की गई तो उन्होंने स्पष्ट कहा कि यह बुजुर्गों और सदर क्षेत्र की जनता का आशीर्वाद है कि मैं दूसरी बार सदर विधानसभा से विधायक बना। इसलिए जनता एवं बुजुर्गों को सम्मान देना मेरा कर्तव्य है। क्योंकि जनता एवं बुजुर्ग उन्हें सम्मान देकर विधानसभा का प्रथम नागरिक बनाते हैं।
सनद हो कि भाजपा की लहर में बाराबंकी जनपद की 6 सीटों में से एक सदर विधानसभा की सीट ऐसी थी जिस पर सपा उम्मीदवार के रूप में दूसरी बार धर्मराज यादव उर्फ सुरेश यादव चुनाव जीते थे। बाकी सभी सीटों पर संपन्न विधानसभा चुनाव में भाजपा ने कब्जा जमाया था। यह अलग बात है कि बीते उपचुनाव में जैदपुर से समाजवादी पार्टी के विधायक के रुप में गौरव रावत चुनाव जीतने में सफल रहे हैं। स्पष्ट है कि आम जनता से सपा विधायक का नजदीकी लगाव उन्हें विपरीत परिस्थितियों में सफलता का कीर्तिमान स्थापित करवाने में सफल रहा। सदर विधायक में इस गुण के अलावा उनकी एक और खासियत है। वह अपनी विधानसभा में ही रमे रहते हैं। वह नेवता -हकारी जो कुछ भी करते हैं उसमें प्राथमिकता सदर विधानसभा की होती है। दूसरी विधानसभा के निमंत्रण वगैरह में भी वह गाहे-बगाहे ही जाते हैं! इसके अतिरिक्त जो काम करना होता है उसे तो कर देने की बात करते हैं! यदि नहीं करना है तो सीधे आए हुए व्यक्ति के मुंह पर बोल देते हैं कि मुझसे यह नहीं हो पाएगा? धर्मराज यादव का रवैया पार्टी के अंदर कुछ हनकदार माना जाता है। अपनी धुन में रहने वाले धर्मराज यादव के लिए सपा के संरक्षक मुलायम सिंह यादव एवं सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ही सब कुछ हैं। जबकि उनके लिए सदर विधानसभा की जनता भगवान है। जबकि धर्मराज यादव के सेवा धर्म में बुजुर्गों का हाथ वास्तव में उनके लिए भगवान जगन्नाथ से कम नहीं है। अपने सभी विकास कार्यों में से अधिकांशतया विकास कार्यों का बुजुर्गों के हाथ से फीता कटवाने में सदर विधायक एक रिकॉर्ड कायम कर चुके हैं।
क्षेत्र के लोगों का कहना है कि इसे चाहे आप संस्कार के रूप में देखे या फिर भारतीय परंपरा के रूप में देखिए या कूटनीतिक राजनीतिक शस्त्र के रूप में देखिए? कहीं ना कहीं यह विधा एक जनसेवक के लिए प्रभावी ब्रह्मास्त्र साबित होती नजर आती है ।जो बुजुर्ग एक बार उनके आग्रह पर फीता काट देते हैं वह तो उनसे प्रभावित होते हैं बल्कि दूसरे अन्य बुजुर्गों व उनके परिजन तथा गांव के अन्य लोग भी इससे खासे प्रसन्न नजर आते हैं !यही नहीं अन्य युवा भी इससे सबक लेते हैं। क्योंकि कभी-कभी तो उद्घाटन को लेकर कई माननीय इसके जिम्मेदार अधिकारियों को हड़काते व समझाते भी सुनाई दे जाते हैं?फ़िलहाल कुल मिलाकर सदर विधायक धर्मराज यादव के लिए बुजुर्गों का हाथ भगवान जगन्नाथ से कम नहीं है।ये अकाट्य सत्य प्रतिलक्षित तो हो ही रहा है।