मोहब्बतें अहले बैत तासीर ए इबादत है -अली अब्बास  इबादतों की कामयाबी के लिए अपने अंदर मवद्द्ते अहलेबैत पैदा करो

 बगैर मवद्दते अहलेबैत  सारी इबादतें  बेकार

बाराबंकी । बगैर मवद्दते अहलेबैत  सारी इबादतें  बेकार । इबादतों की कामयाबी के लिए अपने अंदर मवद्द्ते अहलेबैत पैदा करो । मोहब्बतें अहले बैत तासीर ए इबादत है । यह बात करबला  सिविल लाइन में मजलिस को खिताब करते हुये जाकिरे अहले बैत अली अब्बास साहब ने कही।उन्होने यह भी कहा बे नतीजा इबादतों से क्या फ़ायदा । जब तक दिल में  मवद्दते अहलेबैत पैदा नहीं होती नतीजा हासिल होने वाला नहीं।इंसान को अपने हर अगले क़दम को आखरी क़दम समझ कर बढ़ना चाहिए ईमान पर साबित क़दम रहना चाहिये।शैतान  इन्सान का खुला हुआ सबसे बड़ा दुश्मन है।उसकी पैरवी से बचना चाहिये।उसने नेक बन्दों को सिराते मुसतक़ीम पर बहकाने का वादा अल्लाह से किया है। जिन्दगी के आखरी लम्हे तक जो मवद्दते अहले बैत के साथ बाक़ी रहा वही कामयाब है। मवद्दते अहलेबैत ही सिराते मुस्त्क़ीम है।आखिर में मौला अली के मसायब बयां किये जिन्हे सजदे की हालत में मलऊन इब्ने मुलजिम ने  ज़हर भरी तलवार से जख्मी किया।जिसे सुनकर मोम्नीन रोने लगे।मजलिस का आगाज़  मास्क व सोशल डिस्टेन्सिन्ग के साथ तिलावते कलाम ए इलाही के साथ हुआ। अली मेहदी ने नज़रानए अक़ीदत पेश किया।
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