अब तेरा क्या होगा! जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी? राम सागर रावत व राजरानी रावत तथा नीतू सिंह के समर्थको को सता रहा है यह सवाल!
कृष्ण कुमार द्विवेदी(राजू भैया)
कृष्ण कुमार द्विवेदी(राजू भैया)
अध्यक्ष के लिए अन्य दावेदार भी बढ़ा सकते हैं माननीयो का दर्द
बाराबंकी। कभी सांसद तो कभी विधायक रहने वाले जनपद के वरिष्ठ कई नेता अब जिला पंचायत सदस्य बन गए हैं ।कारण केवल एक है कि उन्हें जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी चाहिए। ऐसे नेताओं के समर्थकों एवं उनके राजनीतिक दलों में भी यही सवाल उठ रहे हैं? लोग एक दूसरे से पूछ ले रहे हैं आखिर अब तेरा क्या होगा जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी? कौन विराजेगा आप पर? फिलहाल इस पद को लेकर भाजपा एवं सपा में रणनीति प्रारंभ है ।तो वहीं कांग्रेस की भी इस पर पैनी नजर है। जबकि निर्दलीय सतर्क हो चले हैं?
त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव संपन्न हो चुका है। बाराबंकी जिला प्रशासन ने इसे सकुशल करा कर एक उपलब्धि और हासिल की है। अब आने वाले दिनों में जिला पंचायत अध्यक्ष एवं विकास खंड के प्रमुख पदों पर कौन कौन जीते जनप्रतिनिधि आसीन होंगे? इसे लेकर सियासी रणनीतियां बनने प्रारंभ हो गई है। इसी कड़ी में सबसे ज्यादा जिस कुर्सी को लेकर बेचैनी है वह है बाराबंकी जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी! जी हां यह वह कुर्सी है जिसके लिए पूर्व सांसद रामसागर रावत व पूर्व विधायक श्रीमती राजरानी रावत जिला पंचायत सदस्य बनें है! जी हां यह वही कुर्सी है जिसके लिए विधायकी का टिकट मांग रहे शशांक कुशमेश की पत्नी श्रीमती नीतू सिंह जिला पंचायत सदस्य बन गई है? नेहा आनंद का भी नाम इसमें शुमार किया जा रहा है?
उपरोक्त नाम जो अभी जग जाहिर है कि वह केवल और केवल अध्यक्ष बनने के लिए ही माननीय अथवा बड़े नेता जी के उद्बोधन के बाद अब जिला पंचायत सदस्य के उद्बोधन पर उतरे हैं!उनमें राम सागर रावत एवं राजरानी रावत तथा नीतू सिंह के बीच मामला फंसा नजर आ रहा है? यहां एक बात यह भी साफ है कि भाजपा से श्रीमती राजरानी रावत एवं श्रीमती नीतू सिंह में से किसी एक को चुनाव लड़ाया जा सकता है! यह अलग बात है कि पार्टी अंतिम समय में किसी अन्य को सामने लाएं वह अलग बात होगी ?जबकि समाजवादी पार्टी में पूर्व सांसद रामसागर रावत का रास्ता अध्यक्ष पद की लड़ाई को लेकर फिलहाल पार्टी के अंदर एकदम साफ है? मालूम हो कि अभी तक जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर समाजवादी पार्टी के अशोक कुमार सिंह विराजमान थे। अब इसका चुनाव फिर से होना है। जाहिर है कि सत्ता में रहते हुए भाजपा इस बार यह बिल्कुल चाहेगी कि जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर उसकी पार्टी का भी कोई नुमाइंदा आसीन हो। क्योंकि भाजपा लगातार इसके लिए कई दशकों से प्रयासरत है।
उधर जिला पंचायत अध्यक्ष के लिए पूर्व सांसद एवं पूर्व विधायक के पदों के बाद वर्तमान जिला पंचायत सदस्य तक पहुंचे माननीयों की भी बेचैनी बढ़ती जा रही है? खबर मिल रही है कि पार्टी के अंदर जुगाड़ दर जुगाड़ लगाया जा रहा है। पार्टी पदाधिकारियों एवं प्रदेश स्तर तक के बड़े नेताओं के यहां गणेश प्रतिमाओं का दौर खास लोगों के द्वारा जारी है। यही नहीं इस पूरे प्रकरण में एक बात जो साफ नजर आ रही है वह यह है कि भाजपा एवं सपा में जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी को लेकर घमासान होना तय है? जबकि कांग्रेस ने भी इस होने वाले घमासान पर अपनी नजर गड़ा दी है? उधर दूसरी ओर कई निर्दलीय जिला पंचायत सदस्य इस घमासान को लेकर अभी से सतर्क हैं! निर्दलीय जिला पंचायत सदस्य अपने पत्ते खोलना नहीं चाहते? वह इस बात से बहुत खुश हैं कि आने वाले दिनों में अध्यक्ष की कुर्सी सपा एवं भाजपा के लिए मूंछ का सवाल बनने वाली है? जाहिर है कि जब मामला इज्जत का होगा तभी निर्दलीय जिला पंचायत सदस्य एवं अन्य चुने गए सदस्यों की आवभगत भी होगी? अन्यथा चुनाव हल्के में हो गया तब तो भैंस पानी में जाती नजर आएगी? स्पष्ट है कि माननीय नेताओं के समर्थक भी चर्चा में एक दूसरे से पूछ रहे हैं की बाराबंकी की जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी आखिर तेरा अगला स्वरूप क्या होगा? उधर पूर्व सांसद हो या पूर्व विधायक अथवा विधायकी का टिकट मांगने वाले बड़े नेता उनकी भी भाव भंगिमा यही बता रही है कि उन्हें अब अगले लक्ष्य के रूप में जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी चाहिए। जबकि बाराबंकी की जनता उपरोक्त नेताओं की बेचैनी एवं उनकी स्थिति को देखकर यही कह रही है! नेताजी जिला पंचायत सदस्य बने!ऐ कुर्सी तेरे लिए ?जी हां ऐ कुर्सी तेरे लिए????