अनाथ बच्चों की परवरिश के लिए टास्क फोर्स गठित

एसएम न्यूज़24टाइम्स नेटवर्क उत्तर प्रदेश भारत 9889789714

 जिलाधिकारी ने अपनी अध्यक्षता में गठित की 6 सदस्यीय समिति  अखबारों, न्यूज चैनलों व सोशल मीडिया के संदेशों का स्वतः संज्ञान लेते हुए कार्यवाही करेगी टीम

गोंडा कोविड-19 महामारी की इस दौर में माता-पिता की मृत्यु के बाद बच्चों की परिवरिश के लिए अन्य परिवारीजन के न होने की दशा में उन बच्चों की देखभाल व सुरक्षा हेतु प्रशासन ने जिम्मा उठा लिया है। इसके लिए जिलाधिकारी मार्कण्डेय शाही ने जनपद स्तर टास्क फोर्स तथा कोविड वर्चुअल सपोर्ट ग्रुप का गठन किया है, जिसके द्वारा कोविड-19 महामारी के दौरान परित्यक्त, अनाथ, परिवार विहीन अथवा ‘देखरेख व संरक्षण की स्थिति में’ आने वाले बच्चों के बारे में विभिन्न मीडिया स्रोतों यथा न्यूज चैनल्स/अखबारों/सोशल मीडिया से प्रसारित होने वाले ऐसे सभी समाचार/संदेशों का स्वतः संज्ञान लेते उस पर आवश्यक कार्यवाही करेगी, जिनमें कोई भी व्यक्ति अवैध रूप से बच्चों को गोद लेने/देने या महिला की तस्करी सम्बन्धी पेशकश करता है। जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गठित 6 सदस्यीय इस टीम में सदस्य के रूप में मुख्य विकास अधिकारी शशांक त्रिपाठी के साथ अध्यक्ष बाल कल्याण समिति, जिला कार्यक्रम व सेंटर मैनेजर को नामित किया गया है। इसी के साथ जिला प्रोबेशन अधिकारी/जिला बाल संरक्षण अधिकारी टास्क फोर्स के सदस्य सचिव रहेंगे। जिलाधिकारी श्री शाही ने बताया कि समिति द्वारा चाइल्ड लाइन, महिला सहायता प्रकोष्ठ, विशेष किशोर पुलिस इकाई/बाल कल्याण अधिकारी/स्थानीय पुलिस के साथ समन्वय कर ऐसे मामलों पर तत्काल कार्यवाही सुनिश्चित करेगी। साथ ही टास्क फोर्स द्वारा राजकीय व गैर सरकारी संगठनों के माध्यम से संचालित समस्त बाल देखरेख गृहों का नियमित निरीक्षण करेंगे तथा बच्चों के लिए उपलब्ध सुविधाओं व सेवाओं की निगरानी तथा इन गृहों में नियमित कोविड-19 परीक्षण, कोविड टीकाकरण, स्वास्थ्य उपकरण व दवाओं की उपलब्धता और चिकित्सा देखभाल/अस्पताल में भर्ती, जैसा भी प्रकरण में सहयोग प्रदान करेगी। जिला प्रोबेशन अधिकारी जयदीप सिंह ने बताया कि महामारी की इन परिस्थितियों में ग्रस्त व चिन्हित बच्चों की उत्तरजीविता, विकास, सुरक्षा तथा संरक्षण हेतु विभाग द्वारा निर्धारित संचालन प्रक्रिया के अनुरूप कार्य किया जायेगा। उन्होने बताया कि अनाथ/परित्यक्त जैसे बच्चों को बालगृहों में आवासित करना अंतिम उपाय होगा, इसके पूर्व उन्हे गैर संस्थागत देखभाल (रिश्तेदारों की देखरेख में), फास्टर केयर, उपयुक्त व्यक्ति या उपयुक्त सुविधा, कानूनी रूप से गोद देना जैसे परिवार आधारित देखरेख में रखे जाने के प्रयास किये जाने जायेंगे तथा उनका फाॅलोअप लिया जाता रहेगा।

Don`t copy text!