दीने इस्लाम का सबसे बड़ा पैगाम जिहालत को दूर करना है – मौलाना हसनैन बाकरी जिक्रे कर्बला हक और बातिल में फर्क बताती है चेहरों से नकाब उठाती है
नेवाज अंसारी संवाददाता एस0एम0 न्यूज 24 टाइम्स)7268941211
हमारा दीन दीने इलाही है जो गदीर में मुकम्मल हुआ जिसमें कयामत तक तब्दीली मुमकिन नहीं जिसमें दूसरों की फिक्र न हो सिर्फ अपनी फिक्र हो उसे सियासत नहीं मक्कारी कहते हैं जो जान की कुर्बानी देना तो पसंद करे लेकिन दीने मोहम्मद में तब्दीली नहीं उसे हुसैन कहते हैं
बाराबंकी। दीने इस्लाम का सबसे बड़ा पैगाम जिहालल को दूर करना है ।जिक्रे कर्बला हक और बातिल में फर्क बताती है चेहरों से नकाब उठाती है । हमारा दीन दीने इलाही है जो गदीर में मुकम्मल हुआ जिसमें कयामत तक तब्दीली मुमकिन नहीं । यह बात मरहूम अली शब्बर के अजाखाने में मरहूम कल्बे आबिद के चालीसवें की मजलिस को खिताब करते हुए मौलाना हसनैन बाकरी साहब ने कही उन्होंने यह भी कहा कि जिसमें दूसरों की फिक्र न हो सिर्फ अपनी फिक्र हो उसे सियासत नहीं मक्कारी कहते हैं । जो जान की कुर्बानी देना तो पसंद करे लेकिन दीने मोहम्मद में तब्दीली नहीं उसे हुसैन कहते हैं ।दीन किसी के बाप की जागीर नहीं, पैगम्बर की उठाई जहमतों का नाम इस्लाम है। दीन को जज्बात से नहीं ,अक्ल व इल्म के पैमाने में अमल को देख परख कर माने । आखिर में कर्बला वालों के मसायब पेश किये जिसे सुनकर सभी रो पड़े ।मजलिस से पहले डा 0 रजा मौरान्वी ने अपना बेहतरीन कलाम पेश करते हुये पढ़ा-किसी को जब हवाए जुल्म से टकराना पड़ता है, उसे अब्बास के परचम के नीचे आना पड़ता है ।शबे आशूर शायद इस लिये हुर रात भर जागे , कि उलझे रेशमों को देर तक सुलझाना पड़ता है।इसके अलावा कशिश सन्डीलवी, बाकर नकवी , कुमैल किन्तूरी , मुजफ्फर इमाम ने भी नजरानये अकीदत पेश किया ।नौहा खानी व सीनाजनी के बाद फातिहा का भी एहतेमाम हुआ । बानिये मजलिस ने सभी का शुक्रिया अदा किया ।
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