कौड़ियों के भाव बैंक ने नीलाम करा दी बेश कीमती संपत्ति क़र्ज़ लेना बना मुसीबत का सबब भेलसर(अयोध्या)अपनी बेश कीमती संपत्ति
अब्दुल जब्बार एड्वोकेट व् डॉ0 मो0 शब्बीर की रिपोर्ट
कौड़ियों के भाव नीलाम करवाना हो आप लोन ले ले।आज किसी भी व्यापारी अथवा किसान के लिए बैंक से लोन लेकर व्यापार का उसे चुकता करना इतना आसान काम नहीं रह गया है।बैंक कर्मी अपने निजी लाभ के लिए लोन की शरायत को ताक पर रख कर बिना पीड़ित को सुने ही बाकीदार की बेश कीमती संपत्ति कौड़ियों के भाव नीलाम कराने में ज़रा भी नहीं हिचकते।ऐसा ही एक मामला पंजाब नेशनल बैंक शाखा रूदौली का सामने आया है।
ग्राम नन्दू का पुरवा मजरे जखौली थाना पटरंगा तहसील रूदौली जनपद अयोध्याा निवासी श्रीचन्द पुत्र भगौती ने शिकायती पत्र देकर आरोप लगाया है कि उसकी दुकान यादव खाद भण्डार जखौली चौराहा पर स्थिजत है।उसका 6 लाख रू0 का सी0सी0 लोन पी0एन0बी0 शाखा रूदौली से लेन देन चल रहा था उसकी पत्नी की मानसिक बीमारी व दुकान में चोरी होने के कारण समय से लोन नही जमा कर सका।पीड़ित ने बताया कि बैंक द्वारा सी0सी0 लोन 5 वर्ष की अवधि के लिए किया गया था लेकिन बैंक के अधिकारी व मुख्या प्रबन्धक ने 2 वर्ष मे ही उसकी दुकान को नीलामी की प्रक्रिया मे गजट कर जिला मजिस्ट्रेट के यहॉं बैंक ने मुकदमा दायर किया।मुक़दमे में जिला मजिस्ट्रेट ने 26 अक्तूबर 2017 को दो लाख रू0 06 नवम्बर 2017 के पूर्व जमा करने का आदेश किया था लेकिन उक्त शाखा प्रबन्धक व मुख्य प्रबन्धक ने जिलाधिकारी के आदेश को नकारते हुए उसका रूपया नही जमा किया।पीड़ित ने बताया कि ज्ञात हुआ कि जिलाधिकारी के आदेश के पूर्व ही 05 अक्तूबर 2017 को ही उसके नाबालिंग लडके विनय कुमार यादव का फर्जी हस्ताेक्षर करके उसकी पचास लाख की सम्परत्ति को मात्र 1105000/- ग्यारह लाख पांच हजार रूपये मे ही नीलमा कर दिया।जिसे जिलाधिकारी के यहॉं और सी0जे0एम0 के यहॉं बैंक कर्मियों के विरूद्ध मुकदमा दाखिल किया।न्यायालय ने 03 सितम्बर 2019 को धारा 465 भा0द0स0 फोरजरी के सम्बन्ध में विचाराणार्थ तलब करने का आदेश हुआ है।पीड़ित ने उच्च अधिकारियों को शिकायती पत्र के माध्यम कहा है कि मामले की जाँच कराके दोषी बैंक कर्मियों के विरूद्ध कार्यवाही मांग की है पीड़ित का कहना है कि उसने डी0आर0ए0टी0 इलाहाबाद में 350000/- तीन लाख पचास हजार रूपया जमा कर दिया है। इसलिए उक्त रूपया जमा करने के बाद जो भी बकाया रूपया बैंक का बचता है उसे वह देने को तैयार है।