एटा। चुनाव आयोग के नए आदेश ने सियासी हलकों और सरकारी मशीनरी में हलचल बढ़ा दी है। नामांकन से एक दिन पहले जहां नवनिर्वाचित सदस्यों पर फर्जी मुकदमे लिखे जाने और गिरफ्तार किए जाने पर रोक लगाई गई थी। वहीं अब आयोग ने स्पष्ट किया है कि चुनाव निष्पक्ष एवं पारदर्शी कराने के लिए विधि सम्मत कदम उठाए जाएं। लोग इस आदेश का अलग-अलग तरह से मतलब निकाल रहे हैं।
जिले में जहां जिला पंचायत सदस्यों के मामले में सपा सत्ताधारी दल भाजपा पर काफी भारी पड़ी। 30 सदस्यों में आधे से ज्यादा विजयी रही। जबकि भाजपा के पाले में कुल तीन सीटें ही आईं। बाद में दो अन्य विजयी सदस्यों ने भाजपा की सदस्यता ले ली। इस तरह भाजपा के प्रत्यक्ष रूप से पांच सदस्य नजर आ रहे हैं। हालांकि अंदरखाने बड़ा खेल चल रहा है। जिसके दम पर पार्टी अध्यक्ष पद चुनाव जीतने का दावा कर रही है। उधर, जीत को लेकर आश्वस्त सपा खेमे की चिंता उनके नेताओं पर हो रही कार्रवाई और दर्ज किए जा रहे मुकदमों ने बढ़ा दी थी। इसे लेकर उन्होंने चुनाव आयोग में दस्तक दी।
आयोग की ओर से 25 जून को खासतौर से एटा के डीएम और एसएसपी के लिए आदेश जारी किया गया। जिसमें कहा गया कि नवनिर्वाचित सदस्यों पर फर्जी मुकदमे दर्ज कराए जाने की शिकायतों का हवाला देते हुए सदस्यों की गिरफ्तारी मतदान प्रक्रिया पूरी होने तक न करने के निर्देश दिए गए। अब नया संशोधन आदेश जारी किया गया है। इसमें कहा गया है कि पूर्व में जारी आदेश का आशय यह है कि चुनाव प्रक्रिया को स्वतंत्र, निष्पक्ष एवं पारदर्शी तरीके से संपन्न कराया जाए। इसके लिए मतदान से पहले, मतदान और मतगणना के दौरान पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था तय करने को सभी विधि सम्मत कदम उठाए जाएं।
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