मोदी सरकार ने सभी समीकरणों को साधा, चुनावी राज्यों का विशेष ख्याल, पिछड़ों-दलितों, महिला-युवा सब को किया शामिल

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प्रधानमंत्री मोदी के कैबिनेट विस्तार में नए मंत्रियों में युवाओं को इतनी तरजीह दी गई है कि अब केंद्रीय मंत्रिमंडल की आयु 61 से घटकर 58 वर्ष हो गई है. बताते हैं कि कुल 14 मंत्री ऐसे हैं जिनकी आयु 50 वर्ष से कम है. इनमें से 6 कैबिनेट मंत्री हैं.

अनुभव की बात करें तो मंत्रिमंडल में 46 चेहरे ऐसे हैं जिनके पास केंद्र सरकार में काम करने का अनुभव है. 23 ऐसे हैं जो कम से कम 3 बार संसद सदस्य रह चुके हैं. प्रधानमंत्री बार-बार केंद्र और राज्य की टीम की बात करते रहे हैं. अब उनकी सरकार में 18 ऐसे चेहरे हैं जिनके पास राज्यों में मंत्री के रूप में काम करने का अनुभव है.

सरकार में पहले 3 पूर्व ब्यूरोक्रेट थे, अब उनकी संख्या बढ़कर 7 हो गई है। मंत्रिमंडल में अब 13 वकील, 6 डाक्टर और 5 इंजीनियरिंग पृष्ठभूमि के हैं. महिलाओं की बात करें तो तो कुल 11 मंत्री हैं जिनमें से दो कैबिनेट दर्जे की हैं. मंत्रिमंडल विस्तार के बाद सरकार में फिर से सहयोगी दलों की प्रतिनिधित्व बढ़ा है. शिवसेना और अकाली दल के जाने के बाद केवल आरपीआइ ही सरकार में शामिल थी. अब बिहार से जदयू, लोजपा और उत्तर प्रदेश से अपना दल सरकार में शामिल है. फिलहाल केंद्रीय मंत्रिमंडल में 4 पद खाली हैं.

इस मंत्रिमंडल में हुए फेरबदल में चुनावी रणनीति भी दिखाई दे रही है. अगले साल के शुरू में होने वाले 5 राज्यों के चुनाव और उसके बाद फिर गुजरात और हिमाचल के चुनावों पर भी इसमें पूरा ख्याल रखा गया है. सबसे पहले बात देश की सर्वाधिक आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश की. उत्तर प्रदेश में अगले 7 महीने के भीतर विधानसभा चुनाव होने हैं. यूपी के मद्देनजर इस फेरबदल में कई चेहरे दिखाई दे रहे हैं. अब तक यूपी के किसी भी दलित सांसद को मंत्री नहीं बनाया गया था. यूपी चुनाव से ऐन पहले इस समुदाय को बड़ी हिस्सेदारी दी गयी है. पिछड़े समुदाय की ही तरह इस बात दलित समुदाय से भी 3-3 मंत्रियों को कैबिनेट में शामिल किया जा रहा है.

वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृह राज्य से अब मंत्रिमंडल में 7 मंत्री हैं. इनमें गृह मंत्री अमित शाह और विदेश मंत्री एस. जशंकर भी शामिल हैं. बता दें कि एस. जयशंकर गुजरात से राज्यसभा सांसद हैं. पुरुषोत्तम रुपाला और मनसुख मांडविया को भी प्रमोट कर कैबिनेट मंत्री बनाया गया है. इसके अलावा दर्शन जारदोष, मुंजपारा महेंद्र भाई और देवू सिंह चौहान को भी जगह दी गई है. गुजरात में भी अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं. बीते विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने राज्य में बेहतर प्रदर्शन किया था और बीजेपी किसी तरह बहुमत के आंकड़े को छू पाई थी. माना जा रहा है कि मंत्रिमंडल में गुजराती मंत्रियों को जगह देकर गुजरात में राजनीतिक समीकरण साधने की कोशिश की गई है.

इसके अलावा महाराष्ट्र से भी कई नेताओं को कैबिनेट में जगह दी गई है. इनमें सबसे प्रमुख नाम नारायण राणे का है. महाराष्ट्र की राजनीति में नारायण राणे कद्दावर नेता हैं. अगले साल बीएमसी का चुनाव होना है. ऐसे में पार्टी बीएमसी इलेक्शन में उनके प्रभाव का इस्तेमाल पार्टी मतदाताओं को लुभाने के लिए करेगी. साथ ही राज्य से जातीय समीकरण साधने के लिए डॉ. भारती पवार, कपिल पाटिल और भगवत करद को भी जगह दी गई है.

पश्चिम बंगाल विधानसभा के चुनाव गुजर चुके हैं लेकिन कैबिनेट फेरबदल देखकर लगता है कि बीजेपी के फोकस में राज्य अब भी बना हुआ है. यही कारण है कि राज्य से 4 नेताओं को मंत्रिमंडल में जगह दी गई है. इन नेताओं में निशिथ प्रमाणिक, जॉन बराला, शांतनु ठाकुर, सुभाष सरकार हैं. शांतनु ठाकुर मटुआ समुदाय से आते हैं जो बीजेपी का वोटर माना जाता है. इनके अलावा जॉन बराला आदिवासी नेता हैं. राज्य से नेताओं को मंत्रिमंडल में मिली जगह को देखते हुए लगता है कि 2024 चुनावों की तैयारी अभी से शुरू हो चुकी है.

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