दुश्मन के लिये दिल से दुआ करना भी है एक जेहाद : मौलाना सफी हैदर अस्करी हाल में मजलिस संपन्न

नेवाज अंसारी संवाददाता एस0एम0 न्यूज 24 टाइम्स)7268941211

बाराबंकी। 1200 मकतबों के बोर्ड तंज़ीमुल मकातिब के सेक्रेट्री मौलाना सैयद सफ़ी हैदर ने मजलिस को सम्बोधित करते हुवे कहा कि महिलाये कम खर्च में अपने घर को सलीके से चलाती है अपने शौहर को आजिज़ नही करती वो जेहाद का पाती है सवाब वहीं बुराई समेत,बदकलामी,झूठ मक्कारी से बचने के लिये अपने ज़मीर को रोकना भी है जेहाद। मौलाना गुलाम अस्करी हाल में कनीज़ मेहदी(शन्नो बेगम) बिन्ते सैयद हुसैन की याद में आयोजित मजलिस को खिताब करते हुए मौलाना सैयद सफी हैदर ने आगे कहा जो अपने को जहन्नम से बचाकर जन्नत की तरफ़ ले जाते हैं उनकी मामूली सी भी नेकी कामयाबी की तरफ़ ले जाती है। तक़वे के साथ मामूली सी भी दुआ काफ़ी होती है। हमें उन गुनाहों से बचना चाहिये जो हमारी दुआओं को बार्गाहे इलाही तक पहुंचने नहीं देते। उन्होंने यह भी कहा कि हर वो काम करो जिससे जन्नत की नेमत और रज़ाये परवर दिगार हासिल हो,जो जहन्नम की तरफ़ ले जाये उनसे बचो जो वाजिब छोड़कर मुस्तहब अपनाते हैं तक़वे से खारिज हो जाते हैं अज्रो सवाब भी नहीं पाते हैं। जो फर्ज़ अदा करने के बाद मुस्तहब अदा करते हैं कई गुना सवाब पाते हैं। दुश्मन के लिये दिल से दुआ करना भी जेहाद है। जो अल्लाह के करीब होते हैं वो गुनाह से हमेशा दूर रह्ते हैं। अमल से दीन का गासिब खुद को ज़बान से दीन का पैरो कार बताये तो भी वो दीन का पैरोकार नहीं हो सकता। आखिर में करबला वालों के मसायब पेश किए जिसे सुनकर सभी रोने लगे। मजलिस की शुरुवात मौलाना हिसाल अब्बास ने तिलावते कलामे इलाही से किया और शहरे अहलेबैत अजमल किन्तूरी ने यूं अबू तालिब ने की है मुस्तुफ़ा की परवरिश, जैसे सूरज पर किसी ने बढ़ के साया कर दिया। सरवर अली रिज़वी ने पढ़ा परदा ओ अज़मत फ़ज़ीलत और हक्क़े ज़िन्दगी, सिन्फे़ नाज़ुक ने बहोत कुछ तुमसे पाया है बतूल। फराज़ मेहदी ज़ैदी ने पढ़ा औरतों को बेरिदा हर सू घुमाना है तो फिर, बेटियों के नाम क्यूँ रखते हो ज़हरा फातिमा। मजलिस समाप्ति के बाद सरवर अली रिज़वी ने सभी का शुक्रिया अदा किया।

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