वर्षों बाद महासंयोग लेकर आया है नागपंचमी का पर्व, बन रहा है विशेष योग

संपादक मोहिनी शर्मा एडवोकेट एसएम न्युज24 टाइम्स 8564852662

हिन्दू मान्यताओं के अनुसार सर्पों को पौराणिक काल से ही देवता के रूप में पूजा जाता रहा है। इसलिए नाग पंचमी के दिन नाग पूजन का अत्यधिक महत्व है।
नाग पंचमी का त्योहार इस साल 13 अगस्त को मनाया जाएगा। इस बार नाग पंचमी हस्त नक्षत्र और साध्य योग में पड़ रही है, जो बहुत खास माना जाता है। पूजा का मुहूर्त प्रात: 05 बजकर 49 मिनट से 08 बजकर 28 मिनट तक.मुहूर्त की अवधि: 02 घण्टे 39 मिनट.इस दिन जो लोग नाग पूजा और काल सर्प योग की पूजा करते हैं, उन्हें अपना अनुष्‍ठान सुबह 5 बजे कर 49 मिनट से लेकर दोपहर 1 बजकर 32 मिनट के बीच करना अच्‍छा रहेगा। ये सर्प पूजा का सबसे शुभ काल है।

ज्योतिषाचार्य पंडित अतुल शास्त्री जी के अनुसार, 13 अगस्त 2021 को पड़ने वाली नाग पंचमी के पावन पर्व पर इस बार उत्तरा योग और हस्त नक्षत्र का विशेष संयोग बन रहा है. साथ ही शिन नक्षत्र भी लग रहा है. यह शिन नक्षत्र काल सर्प दोष से मुक्ति के लिए विशिष्ट फलदायी होता है.धार्मिक मान्यता है कि शिन नक्षत्र में काल सर्प दोष से मुक्ति के लिए की जानें वाली पूजा सबसे अधिक प्रभावशाली होती है. इस बार नाग पंचमी पर ऐसा संयोग करीब 108 साल बाद बन रहा है. इस लिए इस बार की नाग पंचमी पर नाग देव की पूजा विशेष रूप से फलदायी होती. 2 दिन बाद ही 15 अगस्त भारत जो स्वतंत्रता दिवस मनाएगा भारत की कुंडली में कालसर्प दोष है
यही वजह है कि तब से लेकर अब तक प्राकृतिक आपदा तथा आतंकवाद जैसी समस्याएं लगातर बनी हुई हैं।कालसर्प दोष होने के कारण भारत को पड़ोसी देशों से विश्वासघात का सामना करना पड़ेगा। भारत को पड़ोसी देशों से समस्याएं आती रहेंगी। भारत की कुंडली में केतु सप्तम भाव में होने के कारण अन्तर्राष्ट्रीय आतंकवाद को जन्म देता है। पाकिस्तान को लेकर सतर्क रहना होगा क्योंकि युद्ध की पहल उसकी तरफ से हो सकती है। पाकिस्तान पर वर्तमान वर्ष 2018-2024में मार्केश की महादशा चंद्र राहु का ग्रहण होने के कारण उसे सर्वाधिक नुक्सान होगा। लेकिन भारत के लिए शुभ कार्यों के लिए इस नागपंचमी में विशेष योग बन रहे है।

अतुल जी बता रहें ज्योतिष में नागं का महत्व ज्योतिष कें अनुसार पंचमी तिथि के स्वामी नाग हैं। इस दिन नागों की पूजा प्रधान रूप से की जाती है।
नाग पंचमी मुहूर्त :

1. श्रावण शुक्ल पंचमी में नागव्रत (नाग पंचमी व्रत) किया जाता है।
2. यदि दूसरे दिन पंचमी तीन मुहूर्त से कम हो और पहले दिन तीन मुहूर्त से कम रहने वाली चतुर्थी से वह युक्त हो तो पहले ही दिन यह व्रत किया जाता है।
3. ऐसी भी मान्यता है कि यदि पहले दिन पंचमी तीन मुहूर्त से अधिक रहने वाली चतुर्थी से युक्त हो तो दूसरे दिन दो मुहूर्त तक रहने वाली पंचमी में भी यह व्रत किया जा सकता है।
नाग पंचमी व्रत व पूजन विधि :
1. इस व्रत के देव आठ नाग माने गए हैं। इस दिन में अनन्त, वासुकि, पद्म, महापद्म, तक्षक, कुलीर, कर्कट और शंख नामक अष्टनागों की पूजा की जाती है।
2. चतुर्थी के दिन एक बार भोजन करें तथा पंचमी के दिन उपवास करके शाम को भोजन करना चाहिए।
3. पूजा करने के लिए नाग चित्र या मिटटी की सर्प मूर्ति को लकड़ी की चौकी के ऊपर स्थान दिया जाता है।
4. फिर हल्दी, रोली (लाल सिंदूर), चावल और फूल चढ़कर नाग देवता की पूजा की जाती है।
5. उसके बाद कच्चा दूध, घी, चीनी मिलाकर लकड़ी के पट्टे पर बैठे सर्प देवता को अर्पित किया जाता है।
6. पूजन करने के बाद सर्प देवता की आरती उतारी जाती है।
7. सुविधा की दृष्टि से किसी सपेरे को कुछ दक्षिणा देकर यह दूध सर्प को पिला सकते हैं।
8. अंत में नाग पंचमी की कथा अवश्य सुननी चाहिए।

कई जगह परम्परानुसार अनेक प्रदेशों में चैत्र व भाद्रपद शुक्ल पंचमी के दिन भी नाग पंचमी मनाई जाती है। लोकाचार या देश-भेदवश यह पर्व कृष्ण-पक्ष में भी मनाया जाता है।नाग पंचमी से जुडी कुछ कथाएं व मान्यताएँ :

1. हिन्दू पुराणों के अनुसार ब्रह्मा जी के पुत्र ऋषि कश्यप की चार पत्नियाँ थी। मान्यता यह है कि उनकी पहली पत्नी से देवता, दूसरी पत्नी से गरुड़ और चौथी पत्नी से दैत्य उत्पन्न हुए, परन्तु उनकी जो तीसरी पत्नी कद्रू थी, जिनका ताल्लुक नाग वंश से था, उन्होंने नागों को उत्पन्न किया।
2. पुराणों के मतानुसार सर्पों के दो प्रकार बताए गए हैं — दिव्य और भौम । दिव्य सर्प वासुकि और तक्षक आदि हैं। इन्हें पृथ्वी का बोझ उठाने वाला और प्रज्ज्वलित अग्नि के समान तेजस्वी बताया गया है। वे अगर कुपित हो जाएँ तो फुफकार और दृष्टिमात्र से सम्पूर्ण जगत को दग्ध कर सकते हैं। इनके डसने की भी कोई दवा नहीं बताई गई है। परन्तु जो भूमि पर उत्पन्न होने वाले सर्प हैं, जिनकी दाढ़ों में विष होता है तथा जो मनुष्य को काटते हैं उनकी संख्या अस्सी बताई गई है।
3. अनन्त, वासुकि, तक्षक, कर्कोटक, पद्म, महापदम, शंखपाल और कुलिक — इन आठ नागों को सभी नागों में श्रेष्ठ बताया गया है। इन नागों में से दो नाग ब्राह्मण, दो क्षत्रिय, दो वैश्य और दो शूद्र हैं। अनन्त और कुलिक — ब्राह्मण; वासुकि और शंखपाल — क्षत्रिय; तक्षक और महापदम — वैश्य; व पदम और कर्कोटक को शुद्र बताया गया है।
4. पौराणिक कथानुसार जन्मजेय जो अर्जुन के पौत्र और परीक्षित के पुत्र थे; उन्होंने सर्पों से बदला लेने व नाग वंश के विनाश हेतु एक नाग यज्ञ किया क्योंकि उनके पिता राजा परीक्षित की मृत्यु तक्षक नामक सर्प के काटने से हुई थी। नागों की रक्षा के लिए इस यज्ञ को ऋषि जरत्कारु के पुत्र आस्तिक मुनि ने रोका था। जिस दिन इस यज्ञ को रोका गया उस दिन श्रावण मास की शुक्लपक्ष की पंचमी तिथि थी और तक्षक नाग व उसका शेष बचा वंश विनाश से बच गया। मान्यता है कि यहीं से नाग पंचमी पर्व मनाने की परंपरा प्रचलित हुई। नाग पंचमी का महत्व :

ऐसी भी मान्यता है कि नाग पंचमी के दिन नागों की पूजा करने वाले व्यक्ति को सांप के डसने का भय नहीं होता।
ऐसा माना जाता है कि इस दिन सर्पों को दूध से स्नान और पूजन कर दूध से पिलाने से अक्षय-पुण्य की प्राप्ति होती है।
यह पर्व सपेरों के लिए भी विशेष महत्व का होता है। इस दिन उन्हें सर्पों के निमित्त दूध और पैसे दिए जाते हैं।
इस दिन घर के प्रवेश द्वार पर नाग चित्र बनाने की भी परम्परा है। मान्यता है कि इससे वह घर नाग-कृपा से सुरक्षित रहता है।
आइए हम ज्योतिषाचार्य पंडित अतुल शास्त्री आपको बताते हैं कि नाग पंचमी पर ये दुर्लभ संयोग किस तरह सभी राशियों को प्रभावित करेंगे।
इससे मेष, वृष, कर्क और मकर राशि वाले लोगों के लिए आर्थिक लाभ मिलने की संभावना बढ़ जाएगी।

मेष – मेष राशि के लोगों के लिए धन लाभ के योग बनेंगे। संतान पक्ष में प्रगति होगी। लंबे समय से चली आ रही चिंताओं का समाधान हो जाएगा । इस राशि के लोगों को नागपंचमी पर अनंत नाग की पूजा करनी चाहिए।

वृषभ – वित्तीय स्थिति ठीक रहेगी। प्रॉपर्टी भी फायदेमंद हो सकती है। नए काम शुरू हो सकते हैं। वृषभ राशि के लोगों को नागपंचमी पर कुलिग नाग की पूजा करनी चाहिए।
मिथुन – मिथुन राशि के लोगों को सेहत का ध्यान रखना होगा। परिवार में विवाद हो सकता है। नाग पंचमी पर इस राशि के लोगों को वासुकी नाग की पूजा करनी चाहिए।
कर्क – नौकरी में नए अवसर मिलेंगे। बिजनेस में लाभ की संभावना है। अनावश्यक विवादों से दूर रहें। शंखपाल नाग की पूजा करने से इस राशि के लोगों को लाभ होगा।
सिंह – सिंह राशि के लोग मानसिक रूप से मजबूत महसूस करेंगे। आपके रुके हुए काम हो जाएंगे। प्रॉपर्टी भी फायदेमंद हो सकती है। इस दिन पद्म नाग की पूजा करनी चाहिए।
कन्या – कन्या राशि के लोगों के लिए छोटी यात्रा के आसार हैं। करियर में फायदा हो सकता है। मौद्रिक लाभ के भी आसार हैं। इस राशि के लोगों को महापद्म नाग की पूजा करने से लाभ होगा।

तुला – तुला राशि वाले अपने स्वास्थ्य का बहुत ध्यान रखें। किसी भी तरह का बहाना न बनाएं। शिव को जल चढ़ाएं। साथ ही तक्षक नाग की पूजा भी करें।
वृश्चिक – वृश्चिक राशि के लोग अपनी जिम्मेदारियों से बचेंगे। अनावश्यक तनाव ले सकते हैं। हालांकि जीवनसाथी के लिए लाभ के योग हैं। नागपंचमी पर कंकोर्टक नाग की पूजा करनी चाहिए।धनु- करियर में कुछ बदलाव हो सकता है। परिवार में व्यस्तता रहेगी। पैसों की स्थिति में सुधार हो सकता है। इस राशि के लोगों को शंखचूर्ण नाग की पूजा करनी चाहिए।
मकर- मानसिक तनाव खत्म होगा। पैसों की स्थिति अच्छी रहेगी। करियर में बदलाव की स्थिति रहेगी। मकर राशि के लोगों को नाग पंचमी पर घातक सर्प की पूजा करनी चाहिए।कुंभ राशि-कुंभ राशि के लोगों को सेहत का ध्यान रखना होगा। अनावश्यक चिंताओं से दूर रहें। शिव को जल चढ़ाएं। इसके अलावा विषधर नाग की पूजा जरूर करें।
मीन – मीन राशि के लोगों की नौकरी में बदलाव की संभावना है। छोटी यात्रा हो सकती है। शिक्षा के मामलों में आपको सफलता मिलेगी। इस राशि के लोगों को शेषनाग की पूजा करनी चाहिए।

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