पं महेन्द्र मृदुल ने नारद मोह कथा का प्रसंग सुनाया

संग्राम सिंह रावत संवाददाता ब्लाक सिद्धौर

सूरतगंज बाराबंकी। रामनगर क्षेत्र के अल्लापुर मजरे बासिनपुरवा में स्थित कालू मामा देवस्थान पर चल रही पॉच दिवसीय संगीतमयी श्रीराम कथा के पहले दिन सीतापुर जिले से पधारे कथा व्यास पं महेद्र मृदुल ने शुक्रवार को नारद मोह कथा का प्रसंग सुनाया। कथा प्रसंग के मुताबिक एक बार नारद मुनि भगवान शिव की कठोर तपस्या कर रहे थे। इससे परेशान देवराज इंद्र ने उनका तप भंग करने के लिए कामदेव, मेनका, रम्भा, उर्वशी आदि अप्सराओं को भेजा। तमाम कोशिश के बावजूद देवर्षि के तप की तंद्रा भंग नहीं हुई। तपस्या पूरी होने पर कामदेव ने देवर्षि से सारा वृतांत बताते हुए क्षमा-याचना की। नारद ने उन्हें क्षमा तो कर दिया पर इससे उनके अंदर अहंकार का भाव जागृत हो गया। कामदेव पर विजय प्राप्त करने की गाथा सुनाने भगवान शिव के पास पंहुच गए।देवर्षि का अहंकार भाव देखा भोलेनाथ ने नारद को भगवान विष्णु से इसकी जानकारी देने से रोका।किन्तु, कौतूहल के वशीभूत नारद भला कहां मानने वाले थे।वह क्षीर सागर भी पहुँच गए और अपने पौरुष का यशोगान किया। भगवान ने उन्हे बधाइयाँ दी और वहाँ से विदा किया पर रास्ते मे माया से एक सुंदर नगर बसा दिया जहां शील वाहन नाम के राजा का शासन था।उनकी पुत्री अत्यंत सुंदर थी।नारद को राजा ने राजमहल मे बुलाया और पुत्री का भाग्य जानना चाहा पर भगवान की माया के जाल मे महर्षि नारद फंस गए।अंत में उनका अहंकार चूर-चूर हो गया।कथा व्यास का प्रसंग सुनकर पंडाल में बैठे भक्तों ने खूब जय श्रीराम के जयकारे लगाये, और भक्तगण कथा सुन भावविभोर हो उठे। इस मौके पर विमलेश वर्मा, हरिनाम वर्मा, संतराम, मनोज, सुभाष, राजमल, हरिनाम कश्यप, सियाराम वर्मा  आदि सैकड़ो भक्त गढ़ मौजूद रहे।संग्राम सिंह रावत संवाददाता ब्लाक सिद्धौर

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