इंसान पैदा होने के बाद कभी मरता नहीं: नदवी

मामुन अंसारी संवाददाता बाराबंकी

मसौली बाराबंकी। जिले के प्रमुख कपड़ा व्यवसायी कस्बा सआदतगंज निवासी मो0 असरार अंसारी के 28 वर्षीय इंजीनियर पुत्र बख्तियार अंसारी के इंतकाल पर इजहारे अफसोस हुआ। मरहूम बख्तियार अंसारी के चचा मो0 अहरार अंसारी की सदारत में आयोजित ताजियती जलसे में अफसोस जाहिर करते हुए मौलाना मो0 एजाज कुतुब नदवी ने मरहूम बख्तियार अंसारी को इंसानी गुणों की खान बताया। उन्होंने मरहूम की शख्सियत एव सादगी पर कहा कि बख्तियार अंसारी बीमारी के दौर में भी बड़ी ही पाबन्दी के साथ नमाज अदा करते थे वजु में होनी वाली दिक्कतों के कारण हमेशा मिटटी का ढेला पास में रखते थे और तयम्मुम कर नमाज पढ़ते थे। उन्होंने इजहारे अफसोस करते हुए कहा कि इंसान पैदा होने के बाद कभी मरता नहीं। बल्कि वह एक स्थान से दूसरे स्थान पर मुंतकिल (स्थानांतरित) हो जाता है। मौत तो मोमीन के लिए एक तोहफा है। जब मोमीन इंसान दुनिया से जाता है तो बेशुमार फरिश्ते उसका (खैर मकदम) स्वागत करते हैं। इंजीनियर बख्तियार अंसारी हमारे दरम्यान थे, पर अब वे रुख्सत हो गए मगर उनका इस्तकबाल यहां से आला दर्जो पर हो रहा है।      बताते चले कि गत 24 दिसम्बर की सुबह प्रमुख कपड़ा व्यवसायी मो0 असरार अंसारी के बड़े पुत्र इंजीनियर बख्तियार अंसारी का बीमारी के कारण इंतकाल हो गया था जिन्हें कस्बा सआदतगंज में सुपर्दे खाक किया गया था। कस्बा सआदतगंज में शुक्रवार को बाद नमाज जुमा के बाद हुए ताजियती जलसे में बड़ी तादाद में इस्लामी विद्वान जुटे और मरहूम बख्तियार अंसारी को याद कर लोगो की आंखें नम हो गई। ताजियती जलसे में मौलाना मो0 नफीस, मौलाना मो0 गुफरान, डॉ0 हशमत अली, हाजी सेठ मुस्ताक, हाजी सेठ इरफान अंसारी सहित तमाम लोग मौजूद थे।
मामुन अंसारी संवाददाता बाराबंकी

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