बाराबंकी। मुसलमानों ने सत्तर साल तक कांग्रेस सत्ता के शिखर पर बैठाये रखा, बेदाम गुलाम बने रहे, समाजवादी को पच्चीस साल से शिखर बैठाये पर कभी बदले में शिक्षा-स्वास्थ्य नहीं मांगा, कभी नौकरी या रोजगार नहीं मांगा, कभी आरक्ष ण का मुतालबा नहीं किया उक्त विचार ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज के प्रदेश अध्यक्ष वसीम राईन ने सट्टी बाजार स्थित महाज के कार्यलय पर पसमांदा समाज के लोगो को संबोधित करते हुए व्यक्त किये श्री राईन ने अपनी बात जारी रखते हुए कहा की सिर्फ आरएसएस से अपनी सुरक्षा मांगी थी क्यूँ कि कांग्रेस और सपा ने हर चुनाव में भाजपा और संघ का डर दिखाया था। बदले में मुसलमानों का सामूहिक संहार हुआ, कभी मेरठ में लोगों को गोली मारी गई तो कभी मुरादाबाद में जलियां वाला बाग बना दिया। मगर मुसलमान फिर भी जरखरीद गुलाम की तरह कांग्रेस व सपा की पालकी ढोते रहे देश का लोकतंत्र और सेक्युलरिज्म बचाते हुए अपनी और अपनों की कुरबानी देते रहे। बदले में कांग्रेस ,सपा ने उनकी उपेक्षा करती रही। पानी, बिजली, सड़क, अस्पताल, नाली जैसी बुनियादी सुविधाओं से वंचित करके दोयम दर्जे का शहरी बना दिया। जहाँ एक तरफ सरकारी नौकरियों से मुसलमानों को खत्म किया वहीं दूसरी तरफ उनके खानदानी कारोबार का भी गला घोंटा मगर मुसलमान सेक्युलरिज्म बचाते रहे बार बार कांग्रेस को लाते रहे ।कांग्रेस कामियाबी का ये राज जैसे ही दूसरों को पता सपा भी सेक्युलरिज्म का राग गाना शुरू कर दिया। कांग्रेस से विमुख हुए मुसलमानों ने उन्हें भी सत्ता के शिखर तक पहुंचाया मगर मुसलमान कहीं नहीं पहुंचे वहीं के वहीं रहे, न उनके हालात बदले न आरएसएस से उनका डर कम हुआ। बदले में उनपर आतंकवाद के लेबल लगा, उन्हें जेल मिली तो कभी गोली मिली। सारे सेक्युलर खामोश हैं उनके कार्यकर्ता मर गए हैं न कहीं कोई शोर है न हंगामा है, ऐसा लगता है जैसे मुसलमानों का इस तरह मरना और मारा जाना सहज और संवैधानिक प्रक्रिया का हिस्सा है। जवानी कुर्बान गैंग का भी यही हाल है कहने का तात्पर्य ये है कि जब वोट लेने के लिए सपा, बसपा, कांग्रेस आदि सब मुस्लिम हितैषी हैं तो इन सबके होते हुए मुसलमानों पर होने वाले जुल्म का जिम्मेदार सिर्फ त्ैै कैसे है क्या इनकी कोई जिम्मेदारी नहीं है आजतक इन्हों ने फिर किया क्या कारण है कि सब आरएसएस का विरोध करते रहे आरएसएस सत्ता के शिखर तक पहुंच गई, क्या कारण है कि सब सेक्युलर भी बने रहे। इस अवसर पर महाज के नसरुद्दीन अंसारी, खुरशेद अंसारी, ख्वाजा अंसारी, अशफाक राईन, सईद राईन, इमरान राईन, सिराज जोगी आदि लोग मौजूद रहें।
सगीर अमान उल्लाह जिला ब्यूरो बाराबंकी