तक्खलीफ़ न दीजिये

यह समाचार सोशल मीडिया से

 गन्दुम की बाली हज़रते अल्लामा इब्नुल हाज मक्की रहमतुल्लाह तआला अलैह नक़ल करते हैं कि एक बुजुर्ग अपने असहाब के साथ गन्दुम के खेत के पास गुज़रे तो उन के साथ जाने वाले एक शख्स ने गन्दुम की बाली को छुवा और फ़ौरन हाथ हटा लिया। बुजुर्ग ने येह मन्ज़र देख लिया और उसे हुक्म फ़रमाया कि खेत के मालिक से इस मुआमले को मुआफ़ करवाए। उस शख़्स ने अर्जु की : हज़रत ! गन्दुम की बाली तो उसी तरह मौजूद है और मेरे हाथ लगाने से इस में कोई कमी नहीं आई।

बुजुर्ग ने इरशाद फ़रमाया : तुम्हारा क्या ख़याल है कि अगर एक हज़ार या इस से ज़ियादा लोग यहां से गुज़रें और सब तुम्हारी तरह इसे हाथ लगाएं तो क्या इसे नुक्सान पहुंचेगा ? उस ने जवाब दिया : जी हां। इरशाद फ़रमाया : तुम ने जो किया है वोह उस जुल्म में से तुम्हारा हिस्सा है फिर उस शख्स ने जब तक गन्दुम के मालिक से मुआफ नहीं करवा लिया आप ने न उस से कलाम फ़रमाया और न ही उसे अपनी सोहबत में रहने की इजाज़त दी।

?तक्खलीफ़ न दीजिये सफह, 02?

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