क्या राजस्थान में ख्वाजा साहब की दरगाह से लेकर खाटू श्याम मंदिर तक में श्रद्धालुओं के प्रवेश पर रोक लग पाएगी?
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शादी ब्याह के समारोहों में 200 मेहमानों की संख्या निर्धारित कर दी है। सरकारी पाबंदियों से आर्थिक गतिविधियों पर प्रतिकूल असर पड़ेगा।
राजस्थान में कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 2 जनवरी को गैर सरकारी संगठनों के प्रतिनिधियों और धर्मगुरुओं से वर्चुअल तकनीक से संवाद कर रहे हैं। इस बार संवाद में धर्मगुरुओं को शामिल करने पर यह माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में प्रदेश के धार्मिक स्थलों पर भी श्रद्धालुओं के प्रवेश पर रोक लगे। नव वर्ष के मौके पर राजस्थान में सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह से लेकर खाटू श्याम मंदिर तक में जायरीन और श्रद्धालुओं की जबरदस्त भीड़ रही। अजमेर स्थित ख्वाजा साहब की दरगाह में इन दिनों जियारत करने वाले जायरीन का सैलाब है। दरगाह के आस पास और शहरभर के होटल, गेस्ट हाउस आदि फुल हैं। ऐसी ही स्थिति खाटूश्याम जी, सालासर मंदिर आदि धार्मिक स्थलों की है। सरकार की लाख अपील के बाद भी धार्मिक स्थलों पर सोशल डिस्टेंसिंग की पालना नहीं हो रही है तथा लोगों ने मास्क भी नहीं लगा रखा है। धार्मिक स्थलों में भीड़ को भी संक्रमण बढ़ने का प्रमुख कारण माना जा रहा है। अशोक गहलोत मंत्रिमंडल के दबंग सदस्य और प्रदेश के खाद्य आपूर्ति मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने पहले ही कहा है कि यदि शादी ब्याह के समारोहों पर रोक लगाई जाती है तो धार्मिक स्थलों पर भी श्रद्धालुओं के प्रवेश को रोका जाए। खाचरियावास ने यह बात सार्वजनिक तौर पर कही है। सरकार ने अंतिम संस्कार में भी लोगों की संख्या 20 कर दी है। ऐसे में सरकार पर धार्मिक स्थलों पर पाबंदिया लगाने का दबाव है। सरकार ऐसी पाबंदियां जल्द लगाएगी। माना जा रहा है कि पाबंदियों का पहला आदेश 2 जनवरी को रात तक जारी हो जाएगा। यह आदेश शिक्षण संस्थाओं और कोचिंग सेंटरों को बंद करने को लेकर होगा। क्रिसमस अवकाश के बाद प्रदेश में तीन जनवरी से शिक्षण संस्थाएं खुल रही है। सरकार शिक्षण संस्थानों को बंद रखने के पक्ष में हैं। मौजूदा समय में नाइट कर्फ्यू रात 11 बजे से सुबह 5 बजे तक हैं, इसलिए बाजार रात 10 बजे तक खुले रहते हैं। हो सकता है कि दुकानों को रात 8 बजे तक बंद करने के आदेश दिए जाएं। यदि धार्मिक स्थलों पर जायरीन और श्रद्धालुओं के प्रवेश पर रोक, शिक्षण संस्थानों को बंद, शादी ब्याह के समारोहों को सीमित बाजारों आदि पर प्रतिबंध लगाए जाते हैं तो इससे आर्थिक गतिविधियों पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। हो सकता है कि एक बार फिर लोगों को मुसीबतों का सामना करना पड़े। कोरोना की पहली और दूसरी लहर में जब प्रतिबंध लगाए गए थे, तब लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा था। बाजार के जानकारों के अनुसार पिछले चार-पांच माह से आर्थिक स्थिति में सुधार आया है। पूर्व में जो नुकसान हुआ उसकी भरपाई हो रही थी कि अब एक बार फिर कोरोना की तीसरी लहर ने दस्तक दे दी है। संक्रमण बढ़ने की यही रफ्तार रही तो लॉकडाउन जैसे हालात उत्पन्न हो जाएंगे। यदि लॉकडाउन से बचना है तो लोगों को भी सावधानी बरतनी होगी। यदि आम लोग कोविड-19 के नियमों का पालन करें तो लॉकडाउन से बचा जा सकता है। अब जरूरी हो तभी घर से निकला जाए तथा घर से बाहर निकलते ही मुंह पर मास्क लगाया जाए।