उत्तर प्रदेश सियासत में बाहुबलियों का दबदबा: जिनका राजनीति में आज भी चलता सिक्का सत्ता बदली सल्तनत नहीं.!!
पंकज पाराशर छतरपुर
राजनैतिक उत्तर प्रदेश सियासत में बाहुबलियों का दबदबा चलता रहा है l कई ऐसे नेता हैं जिन्होंने पहले तो अपराध की दुनिया में अपने नाम का डंका बजवाया और अब नेता बनकर वो देश की राजनीति का बेड़ा गर्क कर रहे हैं। देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश का हाल भी कुछ ऐसा ही है। यहां राजनीति और अपराध जगत का बेहद ही करीबी रिश्ता रहा है। यहां की सियासी जमीन पर कई ऐसे नेताओं ने राज किया है, जो अपराध की दुनिया के बेताज बादशाह हैं। अपहरण, हत्या से लेकर लूट-खसोट ये सभी काम उन अपराधियों ने किए हैं जो अब सूबे की राजनीति पर अपनी धाक जमाए हुए हैं l अपराध की दुनिया को तो नहीं छोड़ सके बल्कि उससे भी आगे बढ़कर वो राजनीति की दुनिया में प्रवेश कर गए।
मुख्तार अंसारी
इन्हें कौन नहीं जानता। एक माफिया-डॉन होने के साथ-साथ ये उत्तर प्रदेश के एक प्रमुख राजनेता भी हैं। इन्हें सूबे का बाहुबली नेता कहा जाता है। दबंगई के मामले में इनका कोई सानी नहीं है। मऊ विधानसभा क्षेत्र से ये पांच बार विधायक का चुनाव जीते हैं। 2010 में इन्हें आपराधिक गतिविधियों में संलिप्त होने के कारण बहुजन समाज पार्टी ने पार्टी से निष्कासित भी कर दिया था, लेकिन फिर बाद में इन्हें पार्टी में शामिल कर लिया गया। इनके ऊपर कृष्णमंद राय की हत्या का भी आरोप लगा था, लेकिन सबूतों के अभाव में उन्हें बरी कर दिया गया था। मुख्तार अंसारी ने अपनी दबंगई के दम पर ठेकेदारी, खनन, खराब और रेलवे ठेकेदारी जैसे क्षेत्रों में अपना कब्जा जमा रखा है। वर्तमान में बांदा जेल में बंद हैं l
रघुराज प्रताप सिंह (राजा भैया)
रघुराज प्रताप सिंह के नाम से भले ही लोग कम वाकिफ हों, लेकिन उत्तर प्रदेश की राजनीति में राजा भैया का नाम एक बाहुबली नेता के तौर पर लिया जाता है। राजा भैया पर डीएसपी जिलाउल हक सहित कई हत्याओं का आरोप है। उनके पैतृक निवास प्रतापगढ़ जिले की कुंडा तहसील के बारे में कहा जाता था कि राज्य सरकार की सीमाएं यहां खत्म हो जाती हैं, क्योंकि वहां उनका अपना ही राज चलता था।
अमरमणि त्रिपाठी
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