जगह बदलकर नमाज़ पढ़ना

एसएम न्यूज़24टाइम्स

एसएम न्यूज़24टाइम्स  अक्सर आप लोगों ने मस्जिदों में देखा होगा कि लोग फर्ज़ नमाज़ पढ़ने के बाद अपनी जगह बदल लेते हैं और दूसरी जगह पर सुन्नत व नवाफिल अदा करते हैं,कल इसी के तअल्लुक़ से मेरे एक अज़ीज़ ने मुझसे सवाल पूछा कि क्या ये ज़रूरी है कि जगह बदली जाए या जहां फर्ज़ पढ़ी वहीं सुन्नत व नवाफिल भी पढ़ सकते हैं,तो जवाब तो मैंने उन्हें दे दिया पर ये एक अच्छा सवाल था जिसका जवाब आप भी जान लीजिए,अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त इरशाद फरमाता है कि

कंज़ुल ईमान – उस दिन वो (ज़मीन) अपनी खबरें बतायेगी………….तो जो एक ज़र्रा भर भलाई करे उसे देखेगा.और जो एक ज़र्रा भर बुराई करे उसे देखेगा

पारा 30,सूरह ज़िलज़ाल,आयत 1-8

हदीस – हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम इरशाद फरमाते हैं कि ज़मीन का खबर बताना ये है कि जिस बन्दे या बंदी ने ज़मीन की पुश्त पर जो कुछ किया होगा सब बोल देगी मसलन फलां ने ये किया फलां ने वो किया

तिर्मिज़ी,नं0 3353

फुक़्हा – सय्यदी सरकार हुज़ूर आलाहज़रत रज़ियल्लाहु तआला अन्हु फरमाते हैं कि एक शख़्स का मअमूल था कि जब भी मस्जिद में दाखिल होते तो मस्जिद की ताक़ से 7 ढेलों को अपने कल्मए शहादत का गवाह बना लेते,बाद इंतेक़ाल जब मलाईका उनको जहन्नम की तरफ ले चले तो वही 7 ढ़ेलों ने 7 पहाड़ बनकर जहन्नम के सातों दरवाज़े बंद कर दिए और उन्हें निजात मिल गई,ये सुनते ही वहां मौजूद तमाम लोगों ने बा आवाज़ बुलन्द कल्मा शरीफ पढ़ा कि उनकी आवाज़ पहाड़ो में गूंज गयी

अलमलफूज़,हिस्सा 2,सफह 105

* अलहासिल कहना ये है कि मुसलमान जो भी ज़िक्रो अज़कार नमाज़ो वज़ाइफ़ ज़िक्रो तिलावत करता है तो ज़मीन का हर वो हिस्सा जहां तक उसकी आवाज पहुंचती है वो उसके गवाह हो जाते हैं,इसी नियत से लोग जगह बदल बदल कर नमाज़ वग़ैरह पढ़ते हैं कि ज़्यादा से ज़्यादा ज़मीन का टुकड़ा उनके इबादत का गवाह हो जाए और कल मैदाने महशर में उनके हक़ में गावादी दे सके,बहर हाल ये एक फज़ीलत की बात है बाक़ी अगर कोई एक ही जगह खड़े होकर कई नमाज़े पढ़ डाले इसमें कोई हर्ज़ नहीं*

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