नेताओं की तैयार वोटों की फसल को कहीं ये छुट्टा पशु न चर जाएं

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किसानों की नाराजगी पड़ेगी भारी,

खेतों में लहलहाती फसलें और लिहाफ ओढ़े फसलों की निगरानी करते किसान। हाड़ कंपाती इस ठंड में ये वो दृश्य हैं, जो शहर से निकलते ही देखने को मिल जाएंगे। किसानों का डर ये नहीं कि कोई आसमानी आफत उनके खेतों पर टूट पड़ेगी, इस पर उनका जोर भी नहीं। आशंका तो इस बात की रहती है कि बिन बुलाए मेहमान खेतों में घुस जाएं। ये मेहमान और कोई नहीं वो छुट्टा पशु हैं, जो फसलों को बर्बाद कर देते हैं। इन पर न प्रशासन बंदिशें लगा सका, न कोई जनप्रतिनिधि। चुनावी भाषणों में नेताओं ने चलती-फिरती इस आफत पर अंकुश लगाने के दावे-वादे खूब किए। मगर, स्थायी समाधान न हो सका है। हताश किसान इन पशुओं को स्कूलों में बंद कर नाराजगी जताते हैं। चुनाव में भी किसान यही मुद्दा उठा रहे हैं। मुद्दा गरमाया तो नेताओं की तैयार वोटों की फसल को ये छुट्टा पशु चर जाएंगे।

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