राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर एनपीआर के लिए आधार नंबर ‘अनिवार्य’ करने की सिफारिश सिर्फ़ गृह मंत्रालय ने ही नहीं बल्कि प्रधानमंत्री कार्यालय ने भी की थी।
लगभग पांच साल पहले ही 2015 में पीएमओ ने कहा था कि एनपीआर के साथ आधार ज़रूर जोड़ा जाना चाहिए।
आधिकारिक दस्तावेजों से यह पता चलता है कि 15 अप्रैल 2015 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तत्कालीन प्रधान सचिव नृपेंद्र मिश्रा की अध्यक्षता में एक बैठक हुई थी जिसमें आधार जारी करने, एनपीआर डेटाबेस के साथ आधार नंबर को जोड़ने और समय-समय पर एनपीआर में आधार नंबर अपडेट करने को लेकर चर्चा की गई थी।
प्राप्त जानकारी के अनुसार विचार-विमर्श के बाद यह फ़ैसला लिया गया कि ग़ैर-एनआरसी वाले राज्यों में एनपीआर से आधार को जोड़ने की कार्यवाही जुलाई 2015 से अवश्य शुरू कर दी जानी चाहिए। इस कार्य के लिए संयुक्त रूप से डीबीटी के मिशन डायरेक्टर, भारत के रजिस्ट्रार जनरल और यूआईडीएआई के महानिदेशक द्वारा प्रस्ताव तैयार किया जाए।
प्राप्त किए गए दस्तावेजों से पता चलता है कि अप्रैल 2020 से एनपीआर अपडेट करने के निर्णय में पीएमओ के इस फैसले को प्रमुखता से तरजीह दी गई है. गृह मंत्रालय ने इसे उस फाइल का हिस्सा बनाया गया है जिसके आधार पर इस साल एनपीआर अपडेट करने का फैसला किया गया है. इस फाइल पर ‘बहुत जरूरी’ मार्क किया गया है.
प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार यूआईडीएआई और भारत के रजिस्ट्रार जनरल से कहा गया कि वे अपनी कोशिशों को और तेज़ करें और जून, 2015 के अंत तक नामांकन पूरा करें। इसके अलावा यह भी कहा गया कि तेजी से कार्य करने के लिए प्रधानमंत्री की ओर से मुख्यमंत्रियों को पत्र भेजा जा सकता है।
मालूम हो कि इस समय एनपीआर में आधार जोड़ने को लेकर विवाद चल रहा है। गृह मंत्रालय ने आश्वासन दिया है कि जिसके पास आधार नंबर नहीं होगा उन्हें इसे देने के लिए मजबूर नहीं किया जाएगा। (
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