भारतीय मीडिया रिपोर्टों के उलट, मलेशियाई प्रधानमंत्री ने डंके की चोट पर कहा ग़लत को ग़लत कहते रहेंगे
भारतीय मीडिया रिपोर्टों के विपरीत मलेशिया के प्रधान मंत्री महातिर मोहम्मद ने ज़ोर देकर कहा है कि वे आर्थिक नुक़सान की परवाह किए बिना मावनाधिकारों के लिए आवाज़ उठाते रहेंगे।
ग़ौरतलब है कि भारतीय मीडिया में इस तरह के दावे किए जा रहे हैं कि भेदभाव वाले नागरिकता के क़ानून सीएए को लेकर मलेशियाई प्रधान मंत्री द्वारा मोदी सरकार की आलोचना के बाद, भारत ने इस देश से पाम तेल आयात करना बंद कर दिया, जिसके बाद अब यह देश भारत से अपने रिश्तों को सुधारने के लिए हाथ पैर मार रहा है।मलेशिया के 94 वर्षीय प्रधान मंत्री महातिर मोहम्मद मानवाधिकारों और मुसलमानों से जुड़े मुद्दों पर खुलकर अपनी राय रखते रहे हैं, जिसके कारण हालिया महीनों में मलेशिया के भारत और सऊदी अरब के साथ रिश्तों में कड़वाहट देखने में आई है।
भारत के इस एलान पर महातिर मोहम्मद ने कहा है कि मलेशिया एक छोटा देश है और वह भारत को इसका जवाब देने नहीं जा रहा है, लेकिन उनकी सरकार इस समस्या का कोई समाधान खोज लेगी।
उन्होंने कहाः बेशक हमें चिंता है, इसलिए कि हम काफ़ी मात्रा में भारत को पाम ऑयल निर्यात कर रहे थे, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि जो कुछ ग़लत हो रहा है उसे हम ग़लत कहना बंद कर दें। अगर पैसे की ख़ातिर हम ग़लत को ग़लत कहना बंद कर देंगे तो मैं समझता हूं कि फिर इसकी कोई सीमा नहीं रहेगी।
भारत, मलेशिया से पाम ऑयल आयात करने वाला सबसे बड़ा देश है। 2019 में उसने 44 लाख टन पाम ऑयल मलेशिया से आयात किया था। सूत्रों का कहना है कि अगर दोनों देशों के रिश्तों में सुधार नहीं हुआ तो यह घटकर केवल 10 लाख टन तक रह जाएगा।
मलेशिया का कहना है कि वह इस नुक़सान की भरपाई के लिए फ़िलीपींस, म्यांमार, वियतनाम, इथियोपिया, सऊदी अरब, मिस्र, अल्जीरिया, पाकिस्तान और जॉर्डन जैसे देशों को अधिक तेल निर्यात करके कर सकता है।