गोविन्द के सहारे अंचल में कांग्रेस देख रही मजबूती की राह

मुबारक शाह जिला ब्यूरो चीफ खरगोन मध्य प्रदेश 6263652524

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ग्वालियर, मध्यप्रदेश : प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव होना है और इस चुनाव में सत्ता तक पहुंचने के लिए कांग्रेस ग्वालियर-चंबल अंचल पर ही फोकस किए हुए है।

ग्वालियर, मध्यप्रदेश। प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव होना है और इस चुनाव में सत्ता तक पहुंचने के लिए कांग्रेस ग्वालियर-चंबल अंचल पर ही फोकस किए हुए है, क्योंकि 2018 में भी कांग्रेस की सत्ता में वापिसी इसी अंचल की दम पर हुई थी। अब कांग्रेस एक बार फिर अंचल पर अपना फोकस किए हुए है और यही कारण है कि लम्बी जद्दोजहद के बाद अंचल के कद्दावर नेता डॉ. गोविन्द सिंह को नेता प्रतिपक्ष बनाया गया। इसके पीछे कांग्रेस की रणनीति है कि वह एक बार फिर अंचल में अपना परचम फहरा कर एक तरह से कांग्रेस से भाजपा में जाने वालो को जवाब दे सकें।

डॉ. गोविन्द सिंह साफ एवं स्पष्ट बोलने की छवि रखते है यही कारण है कि वह अपने क्षेत्र में पिछले साल चुनाव से अजेय बने हुए है। डॉ. सिंह ने अपना राजनीतिक सफर साल 1980 के पास शुरू किया था और उसके बाद उनको पहला पद पाने में साल 1983 तक इंतजार करना पड़ा उस समय पह लहार मार्केटिंग के अध्यक्ष बने थे। इसके बाद 1985 में वह नगर पंचयात लहार के अध्यक्ष बने तो फिर वह क्षेत्र में सक्रिय हो गए थे और 1985 में विधानसभा का चुनाव लड़ा, लेकिन मथुरा प्रसाद महंत से वह हार गए थे। इसके बाद डॉ. गोविन्द सिंह ने जनता दल के चिन्ह पर वर्ष 1990 में विधानसभा का चुनाव लड़ा तो वह विजय होकर पहली बार विधानसभा में पहुंचे थे। इसके दो साल बाद ही प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लग गया था और अगला विधानसभा चुनाव 1993 में हुआ तो गोविन्द सिंह ने हाथ का दामन थाम लिया था तभी से वह लगातार विधानसभा पहुंचते रहे है। भाजपा ने उनको हराने के लिए कई बार प्रयास किए और इसके चलते भाजपा ने बसपा का साथ भी दिया,लेकिन लहार विधानसभा क्षेत्र से डॉ. गोविन्द सिंह को किनारे नही किया जा सका। अब स्थिति यह है कि लहार में भाजपा के पास क्षेत्र का कोई ऐसा नेता नहीं है जो वहां डॉ. सिंह को टक्कर दे सके। जिस तरह से उन्होंने अपने क्षेत्र के मतदाताओ के बीच पकड़ बनाई है उसके चलते भाजपा का हर हथकंडा वहां फेल साबित होता रहा है और अब भाजपा अगले विधानसभा चुनाव में वहा से किसी बहारी प्रत्याशी को उतारने का मन बना रही है अब वह बाहरी प्रत्याशी कौन होगा इसको लेकर फिलहाल मंथन चल रहा है।

अंचल में पकड़ा का मिलेगा फायदा :

डॉ. सिंह अंचल में अपनी काफी पकड़ रखते है और हर विधानसभा क्षेत्र के लोग उनसे सीधे जुड़े हुए है। भिण्ड जिले की हर विधानसभा में वह अपना वजूद रखते है चाहे वह अटेर विधानसभा हो या फिर मेहगांव व भिण्ड क्यों न हो जबकि गोहद सीट पर वह स्वंय अपनी दम पर कांग्रेस को जिताते आ रहे है। इसके अलावा मुरैना, श्योपुर के शिवपुरी तक भी उनको नेटवर्क फैला हुआ है। यही कारण है कि शुरूआत में कांग्रेस के अंदर उनके नाम को लेकर काफी विरोध था, लेकिन जब मामला हाईकमान तक पहुंचा तो उनके कद को देखते हुए नेता प्रतिपक्ष का जिम्मा सौप दिया गया। अंचल में यह दूसरा मौका है जब अंचल को नेता प्रतिपक्ष मिला है इससे पहले भिण्ड जिले से ही सत्यदेव कटारे भी नेता प्रतिपक्ष रह चुके है।

सिंधिया के खिलाफ बोलने से नहीं चूकते :

प्रदेश में कांग्रेस की सत्ता वापिसी होने के बाद अचानक सिंधिया का नाराज होकर कांग्रेस से दूर होकर सत्ता गिराने से कांग्रेस अभी तक सिंधिया को ही कोस रहे है। अब इसमें किसकी गलती रही इस पर गौर नहीं कर रहे है,लेकिन अब जो हो गया उसको भूलकर कांग्रेसी अब अंचल में सिंधिया को घेरने की रणनीति बना रही है और इस रणनीति के तहत ही डॉ. गोविन्द सिंह क ो नेता प्रतिपक्ष बनाया गया है। अंचल में कांग्रेस के अंदर डॉ. गोविन्द सिंह ही एकमात्र ऐसे नेता है जो सिंधिया के खिलाफ बोलने से नहीं चूकते है और अब तो यहां तक कह दिया है कि उनके लिए सिंधिया कोई चुनौती नहीं है। अब देखना होगा कि अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में कौन किसकी चुनौती को ध्वस्त करता है।

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