बंकी कस्बे के मेडिकल स्टोरों पर खुलेआम म्याऊँ-म्याऊँ बोलकर नशेड़ी ले रहे सिरप व दवाई 

Abdulmueed /Anil Yadav

 

विभाग व डी0आई0 की मिलीभगत से चल रहा है धड़ल्ले से खेल

Abdul mueed

बाराबंकी। शहर से सटा हुआ कस्बा बंकी इस समय नशीली व प्रतिबंधित दवाओं की बिक्री का मुख्य केन्द्र बन गया है। कस्बे में संचालित मेडिकल स्टोरों पर नशेड़ियों का जमवाड़ा लगा रहता है। यहां पर मेडिकल स्टोर चलाने वाले खुलेआम छोटे-छोटे बच्चों व नाबालिगों को नशीली सिरप व टेबलेट बेच रहे है। ऐसा नहीं कि विभाग को जानकारी नहीं है, पूरा खेल विभाग के कर्मचारी व अधिकारियों के संरक्षण में चलता है। ज्यादातर मेडिकल स्टोरों के बाहर शाम 6 बजे सें रात्रि 10 बजे तक अराजक तत्व बैठैं रहते है और आने जाने वाली महिलाओं पर छींटाकसी करते हैं। बिना डॉक्टर के पर्चे के नशीली दवाएं बेचने पर खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग (एफएसडीए) मेडिकल स्टोरों पर कोई कार्यवाही करने से कतरा रहा है। जबकि खुलेआम मेडिकल स्टोर पर प्रतिबंधित दवाएं बेची जा रही थीं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार कस्बा बंकी वर्तमान समय में चंद पैसों की खातिर लोग दूसरे के जीवन के साथ खिलवाड़ करने से बाज नहीं आ रहे हैं। शहर से सटे बंकी कस्बे में एक दर्जन से अधिक अवैध मेडिकल स्टोरों पर बिना लाइसेंस व रजिस्ट्रेशन के कालातीत व नकली दवाएं खुलेआम बेची जा रही हैं। नशीली दवाओं से जहां युवा पीढ़ी नशे की शिकार हो रही है, वहीं मरीजों की जान पर संकट बना रहता है। इस गंभीर समस्या की ओर अधिकारी आंखें मूंदे हुए हैं। क्षेत्र में अवैध मेडिकल स्टोर संचालकों की भरमार है। कुछ मेडिकल स्टोरों के संचालक तो ऐसे हैं जिनका लाइसेंस एक बाजार का है लेकिन उनके मेडिकल स्टोर कई जगह चल रहे हैं। लाइसेंस विहीन मेडिकल स्टोरों के संचालक प्रतिबंधित दवाएं मरीजों को मुहैया करा रहे हैं। मेडिकल स्टोर पर कालातीत व नकली दवाएं बेंची जा रही हैं। बंकी बाजार में कई मेडिकल स्टोर चल रहे हैं जिनमें ज्यादातर का लाइसेंस ही नहीं है। इन मेडिकल स्टोरों पर नशीली और प्रतिबंधित दवाएं बिक रही हैं। नशीली दवाओं का असर युवा पीढ़ी पर पड़ रहा है। यदि समय रहते अवैध रुप से संचालित इन मेडिकल स्टोरों के संचालकों पर लगाम नहीं लगाई गई तो युवा पीढ़ी इसकी चपेट में आ जाएगी। प्रतिबंधित दवा कोडीन, एल्प्रोजोलम, सोडियम बारविटनोम, जोलीपिमडोन, लेजिपियाम क्लोरीन व अन्य दवाएं खुलेआम बिक रही है। हर छोटे बच्चे तक पहुंच कोई चेकिंग अभियान न चलते से नशीली दवाएं बेचने वालों के हौसले बुलंद होते जा रहे हैं। ड्रग विभाग की कार्रवाई मेडिकल स्टोर पर कम ही रही है। इसकी रोकथाम के लिए प्रशासन कोई प्रयास नहीं कर पा रहा है। बड़े से लेकर बच्चे भी चपेट में आ रहे हैं।
नशीली दवाइयों की बिक्री और फैलाव रोकने का एक ही तरीका है, इतना कड़ा कानून बनाना चाहिए कि कोई इन्हें बेचने के बारे में सोच भी न सकें। अभी नशीली दवा बेचने वालों को भी कड़ी सजा नहीं मिल पा रही है, और जिन मेडिकल स्टोर्स में ऐसी दवाइयां पकड़ी जा रही हैं, उनके खिलाफ भी सख्त कार्रवाई नहीं हो रही है। जिन मेडिकल स्टोर्स में नशीली दवाओं का हिसाब गड़बड़ मिला है, उनका लाइसेंस केवल कुछ समय के लिए ही निलंबित किया जा रहा है। इस तरह, कार्रवाईयां खानापूर्ति के सिवा कुछ और नहीं रह गई हैं। जब तक कानून सख्त नहीं होगा, ऐसे लोग भयभीत नहीं होंगे। सख्ती हुई तो ऐसी दवाइयां बेचने वाले भी गड़बड़ी करने की नहीं सोचेंगे। ऐसी दवा जिनमें नशे की मात्रा है, वो डाक्टरों की पर्ची के बिना किसी भी सूरत में नहीं मिलनी चाहिए, वह भी एक पर्ची से एक ही बार। जहां तक अस्पतालों का सवाल है, वहां ऐसे प्रावधान जरूरी है कि मरीजों का जीवन बचाने के लिए डाक्टर बिना किसी बंधन के कोई भी फैसला ले सकें।

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