सेंचुरी डील की साज़िश पर प्रतिक्रियाएं कमज़ोर क्यों हैं?

अमरीका के राष्ट्रपति की ओर से सेंचुरी डील नामक ख़तरनाक साज़िश पर अरबों की कमज़ोर प्रतिक्रियाएं बहुत कुछ सोचने पर मजबूर करती हैं।
डोनल्ड ट्रम्प ने मंगलवार को जिस ख़तरनाक साज़िश को सार्वजनिक किया है उसके बारे में एक अहम सवाल यह पैदा होता है कि इस पर प्रतिक्रियाएं कमज़ोर क्यों हैं? विशेष कर इस लिए कि फ़िलिस्तीन के बारे में अब तक जितनी भी योजनाएं पेश की गई हैं वे इस जैसी ख़तरनाक नहीं थीं। इस सवाल के कई जवाब हो सकते हैंः

सबसे पहली वजह यह है कि फ़िलिस्तीन के अंदर इस साज़िश से मुक़ाबले के लिए कोई एकजुट मोर्चा नहीं बन पाया है और सभी संभावनाओं से लाभ नहीं उठाया जा रहा है। इस योजना के विरोध में फ़िलिस्तीन के अंदर विरोध प्रदर्शन तो हो रहे हैं लेकिन उन से ज़ायोनी शासन पर आवश्यक दबाव नहीं पड़ रहा है या दूसरे शब्दों में इस डील के मुक़ाबले में आवश्यक प्रतिरोध दिखाई नहीं दे रहा है। अब तक फ़िलिस्तीन के प्रतिरोधकर्ता गुटों ने इस ख़तरनाक साज़िश के मुक़ाबले में कोई योजना शुरू नहीं की है और फ़िलिस्तीनी प्रशासन ने भी शाब्दिक आपत्ति के अलावा, ज़ायोनी शासन से सुरक्षा सहयोग समाप्त करने जैसा कोई अहम क़दम नहीं उठाया है।

क्षेत्रीय स्तर पर भी या तो सरकारें अपने आंतरिक मामलों में फंसी हुई हैं या फिर सऊदी अरब, बहरैन व संयुक्त अरब इमारात जैसे देश अपनी इच्छा से ही सेंचुरी डील में शामिल हो गए हैं। इन देशों व सरकारों ने न केवल यह कि अपने स्तर पर इस डील को रोकने के लिए कोई काम नहीं किया है बल्कि इन्होंने इस्लामी सहयोग संगठन और अरब संघ के माध्यम से इस डील के ख़िलाफ़ क़दम उठाने में रुकावटें खड़ी की हैं।

विश्व स्तर पर भी, खेद के साथ कहना पड़ता है कि अब तक संसार के अहम देश, वाइट हाउस की एकतरफ़ा व निरंकुश नीतियों पर लगाम लगाने में सफल नहीं हो सके हैं। यही कारण है कि वाइट हाउस के दक्षिणपंथी अब तक अनेक अंतर्राष्ट्रीय समझौतों व संधियों से एकपक्षीय रूप से निकल कर उन्हें धता बता चुके हैं।

अनेक टीकाकारों का कहना है कि सेंचुरी डील केवल फ़िलिस्तीन तक सीमित नहीं रहेगी बल्कि यह पूरे मध्यपूर्व का नक़्शा बदल देगी। जो देश इस साज़िश में अमरीका व इस्राईल का साथ दे रहे हैं वे फ़िलिस्तीन के साथ बहुत बड़ा विश्वासघात कर रहे हैं। इस आधार पर कहा जा सकता है कि इस ख़तरनाक साज़िश का भरपूर मुक़ाबला तभी किया जा सकता है जब फ़िलिस्तीन में आंतरिक स्तर पर, क्षेत्रीय स्तर पर और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक साथ इसके ख़िलाफ़ मोर्चा खोला जाए और सभी एक दूसरे के पूरक की भूमिका निभाएं।सेंचुरी डील से फ़िलिस्तीन, क्षेत्र और संसार के सामने जो ख़तरे पैदा हो गए हैं उनके दृष्टिगत कोई भी तटस्थ नहीं रह सकता बल्कि सभी को अपनी अपनी जगह उठ खड़े होना चाहिए और इस साज़िश को नाकाम बनाने की हर संभव कोशिश करना चाहिए।

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