सर्वधर्म सदभाव रैली में दरगाह-मंदिर का झंझट खत्म। अब अजमेर प्रशासन की अगुवाई में ही निकल रही है रैली।
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प्रशासन की रैली को लेकर हिन्दू समुदाय के प्रतिनिधियों में उत्साह नहीं।
12 जुलाई को सायं पांच बजे अजमेर में निकल रही सर्वधर्म सद्भाव रैली से अब दरगाह और मंदिर का झंझट समाप्त कर दिया गया है। अब यह रैली सुभाष उद्यान से रवाना होकर आगरा गेट, गंज, देहली गेट, दरगाह बाजार, नला बाजार होते हुए मदार गेट स्थित गांधी भवन पर समाप्त होगी। पहले यह रैली ख्वाजा साहब की दरगाह से बजरंगगढ़ तक निकलने वाली थी, लेकिन रैली के शुभारंभ और समापन स्थलों को लेकर आपत्तियां आने के बाद रैली से दरगाह और मंदिर का झंझट ही समाप्त कर दिया गया। प्रशासन ने अब जो मार्ग तय किया है उसमें रैली ख्वाजा साहब की दरगाह के सामने से भी गुजरेगी। सर्व धर्म सद्भाव रैली तब निकल रही है, जब गत माह मुस्लिम समुदाय की ओर से मौन जुलूस और सकल हिन्दू समाज की ओर से विशाल रैली निकल चुकी है। यूं तो अजमेर में साम्प्रदायिक सौहार्द की प्रतीक ख्वाजा साहब की दरगाह है, लेकिन दोनों समुदायों के जुलूस और रैली के बाद जो हालात उत्पन्न हुए उसमें अब जिला प्रशासन को सर्वधर्म सद्भाव रैली निकाली पड़ रही है। प्रशासन की इस रैली से कितनी सद्भावना होगी, यह तो आने वाला समय ही बताएगा, लेकिन प्रेस कॉन्फ्रेंस में ही कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक को तीखे सवालों का सामना करना पड़ रहा है। प्रशासन तीखे सवालों का संतोषजनक जवाब नहीं दे रहा है। अलबत्ता कलेक्टर अंशदीप का कहना है कि सर्वधर्म रैली के लिए उनके पास विभिन्न संगठनों के प्रस्ताव आए थे, इसलिए रैली निकालने का निर्णय लिया गया। ख्वाजा साहब की दरगाह के खादिमों की संस्था अंजुमन के वरिष्ठ सदस्य मुनव्वर चिश्ती ने कहा कि रैली में अंजुमन के पदाधिकारी भी भाग लेंगे। रैली को सफल बनाने के लिए हम प्रशासन को पूरा सहयोग कर रहे हैं। 11 जुलाई को प्रशासन ने विभिन्न धर्मों के प्रतिनिधियों की जो बैठक बुलाई उसमें अंजुमन सैयद जादगान के पूर्व सचिव वाहिद हुसैन अंगारा शाह को खास तौर से आमंत्रित किया गया। जबकि 10 जुलाई की बैठक में अंजुमन के मौजूदा पदाधिकारियों को ही बुलाया गया। प्राप्त जानकारी के अनुसार रैली को लेकर अजमेर प्रशासन को मुख्यमंत्री सचिवालय की ओर से बार बार दिशा निर्देश मिल रहे हैं। इसकी वजह से प्रशासन की तैयारियों में भी बदलाव हो रहा है। 10 जुलाई को अंजुमन के पदाधिकारियों ने सर्वधर्म सद्भाव रैली निकालने की घोषणा की थी तो 11 जुलाई को कलेक्टर ने कह दिया कि रैली प्रशासन द्वारा निकाली जाएगी। कलेक्टर अंशदीप ने तो स्वयं स्वीकार किया है कि उन्हें अजमेर में आए मात्र छह माह हुए है, जबकि चूनाराम जाट ने तो विगत दिनों ही पुलिस अधीक्षक का पद संभाला है। अलबत्ता रैली की सफलता के लिए रैली मार्ग के दुकानदारों से संपर्क किया जा रहा है।
उत्साह नहीं:
उदयपुर में कन्हैयालाल टेलर की हत्या के विरोध में गत 26 जून को अजमेर सकल हिन्दू समाज की ओर से निकली रैली में जो उत्साह देखने को मिला, वैसा उत्साह प्रशासन की रैली में देखने को नहीं मिल रहा है। 26 जून की रैली के बाद हिन्दू समुदाय के प्रतिनिधियों एवं धर्मगुरुओं ने कलेक्टर को ज्ञापन दिया था। लेकिन अब 12 जुलाई को ऐसे प्रतिनिधि और धर्म गुरु पूर्व नियोजित कार्यों में व्यस्त बताए गए। हालांकि ऐसे धर्म गुरुओं से प्रशासन ने संपर्क किया है। हिन्दू समुदाय के अनेक प्रतिनिधियों का कहना है कि सर्वधर्म रैली के लिए यह उपयुक्त समय नहीं है। उदयपुर हत्याकांड में आए दिन आरोपियों को गिरफ्तार किया जारहा है तो वहीं दरगाह से भड़काने वाले भाषण देने वालों के खिलाफ प्रभावी कार्यवाही नहीं की जा रही है।