कार्यकर्ताओं ने मुख्य न्यायाधीश सर्वोच्च न्यायालय को सम्बोधित ज्ञापन सौप कर बिल्किस बानो के मामले के दोषियों को रिहा कर दिये जाने के निंदा की

शान्ती देवी अवधेश वर्मा विशेष संवाददाता मसौली जनपद बाराबंकी एसएम न्यूज़ 24 टाइम्स 8707331705

गुजरात सरकार ने 2002 में हुए बिल्किस बानो मामला जिसमें दंगाइयों ने उनके साथ सामूहिक बलात्कार, उनके अजन्मे बच्चे की हत्या और 14 अन्य लोगों की हत्या कर दी थी, में उम्र क़ैद की सज़ा काट रहे 11 दोषियों को अपनी रिहाई नीति के तहत छोड़ दिया है।

मसौली बाराबंकी। जिला अल्पसंख्यक कांग्रेस जिलाध्यक्ष मो0 गुलजार अंसारी की अगुवाई में दर्जनों कार्यकर्ताओं ने मुख्य न्यायाधीश सर्वोच्च न्यायालय को सम्बोधित ज्ञापन सौप कर बिल्किस बानो के मामले के दोषियों को रिहा कर दिये जाने के निंदा की गयी है।
ज्ञापन में अवगत कराया गया है कि गुजरात सरकार ने 2002 में हुए बिल्किस बानो मामला जिसमें दंगाइयों ने उनके साथ सामूहिक बलात्कार, उनके अजन्मे बच्चे की हत्या और 14 अन्य लोगों की हत्या कर दी थी, में उम्र क़ैद की सज़ा काट रहे 11 दोषियों को अपनी रिहाई नीति के तहत छोड़ दिया है। इस मामले में एक दोषी राधेश्याम शाह ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी रिहाई की अपील की थी। जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला राज्य सरकार के विवेक पर छोड़ दिया था। जिसके बाद ये 11 दोषी रिहा हुए हैं। राज्य सरकार का निर्णय 5 बिंदुओं के आधार पर मनमाना और असंगत है जिसमे राज्य सरकार का यह तर्क कि ‘अपराध की प्रकृति’ के आधार पर इन्हें छोड़ गया है अपराध की गंभीरता को झुठलाने का आपराधिक प्रयास है। जबकि घटना जघन्यतम की श्रेणि में आता है। वही राज्य सरकार का दूसरा तर्क कि इन्हें इनके अच्छे व्यवहार के आधार पर छोड़ा गया है न्यायसंगत नहीं है। क्योंकि जेल से बाहर आते ही उस जघन्य हत्याकांड में शामिल हिंदुत्ववादी संगठनों ने इन्हें फूल माला पहना कर स्वागत किया। जिससे स्पष्ट होता है कि दोषियों को अपने अपराध पर कोई ग्लानि नहीं है और वे आगे भी ऐसे जघन्य अपराध करने के लिए मानसिक तौर पर तैयार हैं। इन जघन्य अपराधियों का छोड़ा जाना प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत का उल्लंघन है। जिसकी हर स्थिति में रक्षा करना न्यायतंत्र और राज्य की ज़िम्मेदारी है तथा दोषियों की रिहाई संविधान की भावना का भी उल्लंघन है क्योंकि संविधान सिर्फ़ शब्दों से संचालित नहीं हो सकता, उसे कार्यनव्यन में भी अपनी भावार्थ में दिखना चाहिए। इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात से मुंबई हाई कोर्ट में इसीलिए स्थांनान्त्रित किया था कि पीड़िता को उसके राज्य में न्याय मिलने की उम्मीद नहीं थी। इस मौके पर जिला उपाध्यक्ष अकरम भारती जिला महासचिव मोईनुद्दीन अंसारी अब्दुल वहीद, मोहम्मद इजहार, वीरेंद्र सिंह, गुड्डू यादव, फ़राज़ अहमद, तमसील अंसारी लुकमान अंसारी, मो0 नईम अंसारी आदि लोग मौजूद रहे।

शान्ती देवी  अवधेश वर्मा विशेष संवाददाता मसौली जनपद बाराबंकी एसएम न्यूज़ 24 टाइम्स 8707331705

 

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