तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब अर्दोगान ने जब तुर्क सैनिकों और सीरियाई विद्रोही लड़ाकों को लीबिया में लड़ने के लिए भेजा, तो जो लोग पिछले 9 साल से इस ग़लत फ़हमी में थे कि सीरिया में तुर्की समर्थित आतंकवादी गुट राष्ट्रपति बशार असद के ख़िलाफ़ सीरियाई जनता की लड़ाई लड़ रहे हैं, उनकी वह ग़लत फ़हमी भी दूर हो गई।जैसे जैसे सीरियाई सेना रूसी वायु शक्ति की सहायता से आतंकवादियों के अंतिम गढ़ इदलिब में एक शहर के बाद दूसरे रणनीतिक शहर को आतंकवादियों के गुटों से आज़ाद करा रही है और तुर्की की सीमा के निकट पहुंच रही है, वैसे वैसे सीरिया में तुर्की का खेल ख़त्म होता जा रहा है।
सीरियाई सेना तुर्की समर्थित आतंकवादी गुटों के क़ब्ज़े से अलेप्पो से दमिश्क़ को जोड़ने वाले महत्वपूर्ण हाईवे को भी आज़ाद करा चुकी है।
पिछले हफ़्ते मास्को में तुर्क और सीरियाई ख़ुफ़िया प्रमुखों की पहली बैठक में बशास असद को पछाड़ने की अर्दोगान की चाहत पर अंतिम बार पानी फिर गया। न केवल वह असद को पछाड़ने में नाकाम हो गए, बल्कि मास्को को आश्वस्त करने में विफल रहे।
तुर्की और रूस के बीच बढ़ते आर्थिक और रक्षा सहयोग के बावजूद, सीरिया में ख़ास तौर पर इदलिब में पुतिन को अर्दोगान पर प्यार लुटाने में कोई दिलचस्पी नहीं है।
तुर्की के लिए रूस, सीरिया में एकमात्र दांव है, जहां पुतिन ने दृढ़ता के साथ असद का साथ दिया है और अर्दोगान के हाथों को असद के गिरेबान तक नहीं पहुंचने दिया।
सीरिया में अर्दोगान की हालत यह रही है कि न ख़ुदा ही मिला न विसाले सनम। सीरिया में अर्दोगान की नीतियों के कारण, अंकारा ने एक एक करके अपने पुराने और नए सभी दोस्तों को खो दिया है।
सीरिया में एक दूसरे के दुश्मन विद्रोही गुटों को समर्थन के कारण, पहले ही अरब देशों को नाराज़ करने वाले तुर्की ने कुर्द बहुल क्षेत्र उत्तरी सीरिया पर चढ़ाई करके नाटो और अमरीका को भी नाराज़ कर दिया।
सीरिया की लम्बी चलने वाली इस लड़ाई में एक बात स्पष्ट हो गई है कि स्वयं सेवी बलों और रूस के सहयोग के कारण, निकट भविष्य में पूरे सीरिया पर एक बार फिर असद की पकड़ मज़बूत होने जा रही है।
अरब लीग ने भी तुर्की से स्पष्ट शब्दों में कह दिया है कि वह अरब मामलों विशेषकर सीरिया से दूर ही रहें। यह वही अरब लीग है, जिसने 8 साल पहले बशार असद की निंदा की थी, लेकिन अब वह उसी असद का बांहें फैलाकर स्वागत करने की तैयारी कर रहा है, क्योंकि उन्होंने सीरिया पर एक बार फिर निंयत्रण कर लिया है पूरे अरब क्षेत्र पर गहरा प्रभाव छोड़ा है।
यह अर्दोगान के लिए एक अपमानजनक हार होगी, इसलिए कि न केवल असद की सरकार नहीं गिरी, बल्कि वह सम्मान के साथ वापसी कर रहे हैं, जहां उनका कड़ा विरोध करने वाले संयुक्त अरब इमारात, मिस्र और बहरैन जैसे देश उनके साथ रिश्ते सुधारने में लगे हुए हैं।
अब तुर्की को न केवल कुर्दों को संभालने के लिए सीरिया से समझौता करने की ज़रूरत है, बल्कि उन आतंकवादी गुटों को निंयत्रण करने की ज़रूरत है, जो इदलिब की आज़ादी के बाद, तुर्की में अशांति फैला सकते हैं। msm