बन्दये मोमिन की मदद करना एक हज से दस हज के बराबर है- मौलाना मंजर सादिक दोस्त हो या दुश्मन सब की मदद करो ताकि वजूद बाकी रहे इस्लाम की तालीम यही सिखाती है
सगीर अमान उल्लाह जिला ब्यूरो बाराबंकी
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बाराबंकी । दोस्त हो या दुश्मन सब की मदद करो ताकि वजूद बाकी रहे इस्लाम की तालीम यही सिखाती है ।जो सिर्फ़ अपने भले की सोंचते हैं, दूसरों का ख़याल नहीं करते उनका ब वजूद मिट जाता है ।बन्दये मोमिन की मदद करना एक हज से दस हज के बराबर है । यह बात मौलाना गुलाम अस्करी हाल में मरहूम चौधरी सिब्ते मोहम्मद नक़वी साहब की ईसाल ए सवाब की मजलिस को खिताब करते हुए आली जनाब मौलाना मंज़र सादिक साहब ने कही।उन्होंने यह भी कहा कि तसकिरा ए अहले बैत करने से इंसानियत की राह हमवार होती है ।आली जनाब मौलाना गुलज़ार हुसैन साहब ने मरहूम चौधरी सिब्ते मोहम्मद साहब की हयात पर तास्सुरात पेश करते हुए कहा चौधरी साहब ज़मींदार के साथ साथ ज़मीर दार भी थे । इल्म पढ़कर हासिल करेंगे तो तरक्की की राह हमवार होगी।बाज़ार से डिग्री ख़रीदकर लायेंगे तो मुल्क बेचेंगे।आली जनाब मौलाना तसदीक़ जैदपुरी ने तास्सुरात पेश करते हुए कहा चौधरी साहब न फसादी थे और न फसादी को पसंद करते थे।वह सच्चे साफ सुथरा सोंच के इंसान थे।अच्छे सहाफी के साथ साथ बेहतरीन सियासी और का़बिल आलिम थे।मौलाना ने कहा आज ज़रूरत है कि अपनी ज़बान से आसना हो।अपनी जबान से दूरी इंसान को पस्ती की तरफ़ ले जाती है । मंज़र सादिक साहब ने करबला वालों के मसायब पेश किए जिसे सुनकर मोमनीन रोने लगे।मजलिस से पहले डा.रज़ा मौरान्वी नेनज़रानये अकी़दत पेश करते हुए पढा़ – अपने ख़ुतबात को बेबाक किया है उसने, हर गरीबाने सितम चाक किया है उसने । मौलाना साबिर इमरानी ने पढ़ा – जिंदगी तर्ज में जो बूज़रो सलमानी थी, खि़दमते दीन में ताविन्दओ रूहानी थी । अजमल किन्तूरी ने पढ़ा – सरे मक़्तल वो पस मंज़र क़लमज़द करनेवाला है ।सितम की फौ़ज से हुर को बरामद करनेवाला है ।मुजफ्फर इमाम ने पढ़ा-चाहते वाला है सच्चा सय्यदे सज्जाद का, पढ़ लिया जिसनें सहीफा सय्यदे सज्जाद का । हाजी सरवर अली करबलाई ने पढ़ा- नाज़ जिस पर कर सके तू ख़ुद अता ऐसी तो हो, इब्ने आदम आदमीयत की फ़ज़ा ऐसी तो हो । ख़ुद ही कह दे वो कि मेरा चाहने वाला है ये, चाहने वाले में ख़ुशबूये वफ़ा ऐसी तो हो ।मजलिस का आग़ाज़ तालिब मेहदी ज़ैदी ने तिलावते कलाम पाक से किया। बानिये मजलिस ने सभी का शुक़्रिया अदा किया।सगीर अमान उल्लाह जिला ब्यूरो बाराबंकी